उद्यमी का महत्व

उद्यमी का महत्व | उद्यमी एवं प्रबन्धक में अन्तर | Importance of Entrepreneur in Hindi | Difference between entrepreneur and manager in Hindi

उद्यमी का महत्व | उद्यमी एवं प्रबन्धक में अन्तर | Importance of Entrepreneur in Hindi | Difference between entrepreneur and manager in Hindi

उद्यमी का महत्व

उद्यमी का सर्वांगीण योगदान होने के कारण उसके महत्व को निम्न प्रकार विश्लेषित किया जा सकता है-

  1. उपक्रम का प्रमुख स्तम्भ (Main Pillar of Enterprise) – उद्यमी वर्ग किसी भी उपक्रम व व्यवसाय का आधारभूत स्तम्भ माना जाता है। उद्यमी ही समस्त कार्यों का आधारभूत व्यक्तित्व होने के कारण वह उद्योग का स्वामी, प्रबन्धक, नियोजक, पहलकर्ता व भविष्यदृष्टा माना गया है।
  2. उत्पादकता को बढ़ावा (Promotion of Productivity)- उद्यमियों का उद्देश्य उपक्रम के उत्पाद व सेवा की किस्म व निष्पादन स्तर को ग्राहकों के लिए सर्वश्रेष्ठ बनाना है। इसी ध्येय से उत्पादकता एक साध्य है जिसकी प्राप्ति के लिए उद्यमियों को समन्वित प्रयास करने होते हैं। अतः उत्पादकता को बढ़ावा देने में उद्यमियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
  3. सृजनात्मक विचार (Constructive Thinking)- चूंकि उद्यमी सृजनात्मकता के आधार पर अपना दृष्टिकोण व विचारधाराएँ बनाते हैं तो उनके व उनके समाज में सृजनात्मक विचारों का प्रादुर्भाव होना स्वाभाविक है। ऐसे विचारों से श्रेष्ठ व्यक्तित्व की पहचान विकसित होती है।
  4. नवाचारों को प्रोत्साहन (Promotion of Innovation)- किसी भी औद्योगिक समाज में उद्यमी नई-नई वस्तुओं के डिजाइन, बनावट, किस्म, नवीन उत्पादन विधियों, नये उपकरण, नये यन्त्र, नयीं तकनीक व नये प्रयोगों को प्रोत्साहित करता है। अतः डब्ल्यू०टी० ईस्टरबुक (W. T. Esterbook) ने उद्यमी को नवप्रवर्तक देव (Innovating Giant) की उपमा दी है।
  5. संसाधनों का संरक्षणकर्ता (Protector of the Resources)- उद्यमी समाज में उपलब्ध उत्पादक व अनुत्पादक संसाधनों की खोज करता है, उन्हें प्राप्त कर एकत्र करता है, उनमें एक उचित सामंजस्य स्थापित करता है उनमें तकनीकी उन्नयनता विकसित करता है तथा उनका श्रेष्ठतम उपयोग कर उत्पादकता को बढ़ावा देता हैं।
  6. आधुनिक प्रौद्योगिकी का एक भाग (A Part of Modern Technology)- निःसंदेह उद्यमियों के कार्य एवं व्यवहार आधुनिकी प्रौद्योगिकी के ही भाग माने जाते हैं। नयी तकनीक, नयी विधियों व नयी संरचनाओं को अपनाना व इन्हें कुशलतापूर्वक लागू करना उद्यमियों का दायित्व बनता जा रहा है, अतः उद्यमी आधुनिक प्रौद्योगिकी के लिए निर्धारक व क्रियान्वयक होते हैं।

उद्यमी एवं प्रबन्धक में अन्तर

अन्तर का आधार

उद्यमी

प्रबन्धक

1. कार्यों की प्रकृति

उद्यमी नवाचार संसाधनों की प्राप्ति, क्षमता, विकास व उत्पादकता में वृद्धि का कार्य करते हैं।

प्रबन्धक उपक्रम के दैनिक प्रबन्ध व संचालन सम्बन्धी कार्य करता है।

2. गुण वा चातुर्यता

उद्यमी में नव प्रवर्तनशीलता, सृजनात्मकता, पहलपन, जोखिम वहनीयता व नेतृत्व क्षमता जैसे गुण होते हैं।

प्रबन्धकों में मानवीय, वैचारिकता, निर्णयण क्षमता व प्रशासनिक गुण पाये जाते हैं।

3. उच्च उपलब्धि की प्रेरणा

उद्यमी उच्च उपलब्धि की अभिप्रेरणा व अपेक्षा में विश्वास रखता है,

प्रबन्धक की अभिप्रेरणा उच्च उपलब्धि का स्तर निम्न व आय आवश्यकताओं का स्तर उच्च होता है।

4. जोखिम वहनीयता

उद्यमी विभिन्न औद्योगिक क्रियाओं में जोखिम वहन करते हैं।

प्रबन्धक उपक्रम की स्थापना व संचालन में कोई जोखिम वहन नहीं करते हैं।

5. प्रवर्तन व संचालन

उद्यमी उपक्रम के प्रवर्तन के लिए पूर्णतः उत्तरदायी होता है।

प्रबन्धक उपक्रम के संचालन के लिये उत्तरदायी होता है।

6. स्वामित्व एवं प्रबंध

उद्यमी अपने उपक्रम पर पूर्ण स्वामित्व व प्रबन्ध का अधिकार रखते हैं।

प्रबंधक को स्वामित्व का अधिकार प्राप्त नहीं होता और प्रबंध का अधिकार भी अपनी स्थिति के अनुरूप ही होता है।

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