उद्यमिता और लघु व्यवसाय / Entrepreneurship And Small Business

नवाचार की विशेषताएँ अथवा प्रकृति | नवाचारों की समस्याएँ | नवाचारों के विकास में बाधाएँ

नवाचार की विशेषताएँ अथवा प्रकृति | नवाचारों की समस्याएँ | नवाचारों के विकास में बाधाएँ | Characteristics or nature of innovation in Hindi | Problems of Innovations in Hindi | Barriers to the development of innovations in Hindi

नवाचार की विशेषताएँ अथवा प्रकृति-

नवाचारों से सम्बन्धित विभिन्न विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं-

  1. नवाचार पूर्वकल्पित, पूर्व निर्धारित एवं पूर्वानुमानित प्रक्रिया के निर्धारण व आयोजन का द्योतक माना गया है।
  2. व्यावसायिक क्षेत्रों में नवाचार को नवीन ज्ञान के उपयोग के रूप में माना गया है। यह नवीन ज्ञान व्यवसाय के विभिन्न क्रियात्मक क्षेत्रों में समाहित होता है।
  3. नवाचार जीवन वस्तुओं व सेवाओं के बाजार में विक्रय हेतु प्रस्तुतीकरण के रूप में भी माना जाता है। नवाचार का लक्ष्य भी ऐसा प्रस्तुतीकरण ही है।
  4. किसी भी उपक्रम में नवाचार सुविचारित, व्यवस्थित एवं अनुशासनबद्ध प्रक्रिया है।
  5. नवाचार को उपभोक्ताओं को प्राप्त होने वाली अधिकतम सन्तुष्टि का प्रतीक माना जाता है।
  6. नवाचार ग्राहकों को वस्तुओं एवं सेवाओं के उपयोग से प्राप्त होने वाली उपयोगिता व सन्तुष्टि के रूप में देखा जाता है।
  7. नवाचार समाज में किसी भी आविष्कार व उससे प्राप्त उपयोगिता का द्योतक भी माना गया है।

नवाचारों की समस्याएँ

नवाचारों के विकास में बाधाएँ –

नवाचारों के मार्ग में अनेक बाधाएँ आती हैं। कुछ प्रमुख समस्याएँ या बाधाएँ निम्न प्रकार हैं-

  1. वित्तीय अभाव (Financial Scarcity)- नवाचारों की प्रक्रिया को अपनाने के लिए वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होती है। प्रायः उच्च स्तरीय या महँगे नवाचारों के लिए अत्यधिक पूँजीगत संसाधनों की जरूरत होती है। अगर संस्था के पास पर्याप्त वित्तीय साधन उपलब्ध नहीं हैं तो नवाचार की प्रक्रिया में बाधाएँ उत्पन्न हो जाती हैं।
  2. संसाधनों का अभाव (Lack of Resources)- नवाचारों को अपनाने के लिए पर्याप्त व भौतिक संसाधनों की आवश्यकता होती है। इनके अभाव में नवाचारों को किसी भी प्रकार से प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता।
  3. विद्यमान तकनीकों का छोड़ा जाना (To avoid the Existing Technologies) नवाचार के अन्तर्गत कभी-कभी संस्था नवीन तकनीकों को अपनाते हुये पुरानी तकनीकों को छोड़ना यो उनका बहिर्गमन करना पड़ता है। इसमें अनावश्यक रूप में आर्थिक व्यय करना पड़ता है जो संस्था के लिये आर्थिक दृष्टिकोण से उचित नहीं होता।
  4. जोखिमों में वृद्धि (Increase in Risks) – कभी-कभी संस्था द्वारा अपनायी जा रही नवाचार की स्थितियों व विद्यमान स्थितियों में परस्पर भिन्नता व परस्पर विरोधाभासी दशाएँ पायी जाती है, जिसे संस्था प्रायः पसन्द नहीं करती। यह इससे संस्था में संकट व जोखिमपूर्ण दशाओं को बढ़ावा मिलता है जो अनुचित है।
  5. तकनीकी उनायता का अभाव (Lack of Technological Prosperity) – नवाचारी कार्यों के लिए नवीनतम तकनीकी उन्नयता व तकनीकी संसाधनों का होना आवश्यक है। जब संस्था के पास तकनीकी उन्नयनता का अभाव पाया जाता है तो वह नवाचार के मार्ग में बाधक भी बन जाता है।
  6. प्रबन्धकों में भय (Fear in Managers)- कभी-कभी संस्था के प्रबन्धकों में नवाचारों के प्रति भय व्याप्त होता है। जब उन्हें यह आभास होता है कि नवाचारों के अपनाने से उनके अधिकारों, पदस्थिति व उच्च-स्तरीय दृष्टिकोणों में टकराव पैदा हो सकता है, तब वे नवाचारों के प्रति सहयोग की प्रवृत्ति अपनाना कम कर देते हैं।
  7. योग्य कर्मचारियों का अभाव (Lack of Efficient Employees)- नवाचार के लिए योग्य व क्षमतावान कर्मचारियों की आवश्यकता होती है। ऐसे कर्मचारियों के उपलब्ध न होने पर नवाचार की प्रक्रिया को उचित रूप में नहीं अपनाया जा सकता।
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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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