विद्यालय को शिक्षा का प्रभावशाली अभिकरण बनाने के उपाय | विद्यालय को शिक्षा का प्रभावशाली अभिकरण बनाने के उपायों का वर्णन कीजिये

विद्यालय को शिक्षा का प्रभावशाली अभिकरण बनाने के उपाय | विद्यालय को शिक्षा का प्रभावशाली अभिकरण बनाने के उपायों का वर्णन कीजिये
विद्यालय को निम्न उपायों द्वारा शिक्षा का प्रभावशाली अभिकरण बनाया जा सकता है-
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विद्यालय समाज का लघुरूप बने
वर्तमान विद्यालय पूर्वकालीन पाश्चात्य स्वरूप त्याग कर भारतीय वातावरण के अनुकूल विकसित हो, तभी वे हमारे समाज का दर्पण बन सकते हैं। विद्यालयों में भारतीय संस्कृति और सभ्यता की छाप हो, उनका वातावरण शुद्ध, संतुलित एवं भारतीय गंगा-जमुनी संस्कृति से आच्छादित हो। विद्यालयों में जाति, धर्म, वर्ग के आधार पर भेद-भाव न हो, वे राष्ट्रीय एकता और सद्भाव के पोषक हो।
2. पाठ्यक्रम में परिवर्तन
विद्यालयों को प्रभावशाली बनाने के लिए पाठ्यक्रम में परिवर्तन आवश्यक है। पाठ्यक्रम लचीला, वैविध्यपूर्ण, व्यावहारिक हो। उसमें स्थानीय आवश्यकताओं को पूर्ण करने की क्षमता होनी चाहिए।
3. विद्यालय और परिवार में सहयोग और सम्बन्ध दृढ़ किये जायेंगे
बिना परिवार के सहयोग के विद्यालय अपने उद्देश्यों को नहीं प्राप्त कर सकता। अतः दोनों के मध्य घनिष्ठ सम्बन्ध बढ़ाने चाहिये। विद्यालयों में अभिभावक संघ गठित किये जायें तथा अध्यापकों और अभिभावकों की बैठकें आहूत की जानी चाहिए जहां परस्पर बालकों के विकास हेतु अध्यापक-अभिभावक विचार-विमर्श कर सरकें। विद्यालयों में अध्यापक-संरक्षक तथा संरक्षक अध्यापक के पद सृजित किये जायें। आअध्यापक संरक्षक बच्चे की अभिभावक की तस्ह देख-रेख करता है। अभिभावकों को कभी-कभी अपने विषय का ज्ञान बच्चों को देने के लिए विद्यालयों में सरंक्षक अध्यापक के रूप में बुलाना चाहिये।
4. समाज और समुदाय का सहयोग
विद्यालयों को समाज और समुदाय के लिए उपयोमी कार्यों और उद्योग-धन्धों की शिक्षा देनी चाहिए। इस कार्य में उनका सहयोग भी लेना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्त्ताओं, समाज-सेवियों, कुशल व्यवसायियों, उद्योगपतियों, कारीगरों और कलाकारों, साहित्यकारों और अन्य विद्वानों को विद्यालयों में समय-समय पर आमंत्रित करना चाहिए जिससे विद्यार्थी समाज के प्रतिष्ठित लोगों के सम्पर्क में आयें और कुछ सीखने की प्रेरणा प्राप्त कर सरकें।
5. विद्यालय सांस्कृतिक केनद्र के रूप में
विद्यालयों को शिक्षा का प्रभावशाली अभिकरण बनाने के लिए उनको सांस्कृतिक केन्द्र के रूप में विकसित करना चाहिए। खाली समय में विद्यालय भवन, पुस्तकालय, वाचनालय तथा अन्य शिक्षण-सामग्री का उपयोग सामुदायिक कार्यक्रमों, प्रौढ़ शिक्षा, मनोरंजन आदि के लिए किया जा सकता है। इससे विद्यालय और समाज एक-दूसरे के निकट सम्पर्क में आयेंगे।
6. लोकतांत्रिक वातावरण
विद्यालयों का वातावरण लोकतांत्रिक बनाया जाय। वहा स्वतन्त्रता तथा अनुशासन का समन्वय होना चाहिए।
7. योग्य व प्रशिक्षित अध्यापक
विद्यालयों की सफलता अध्यापकों पर निर्भर करती है। अतः विद्यालयों में योग्य एवं प्रशिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति की जानी चाहिए। कुंठा-रहित, मानसिक रूप से स्वस्थ अध्यापक बालकों के सर्वांगीण विकास में योगदान करते हैं। उक्त उपायों को अपनाकर विद्यालयों को शिक्षा का प्रभावशाली अभिकरण बनाया जा सकता है।
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