विपणन प्रबन्ध / Marketing Management

विपणन तथा विपणन अवधारणा में अन्तर | विपणन, विक्रयण व वितरण में अन्तर | विपणन और विक्रयण में अन्तर

विपणन तथा विपणन अवधारणा में अन्तर | विपणन, विक्रयण व वितरण में अन्तर | विपणन और विक्रयण में अन्तर | Difference between marketing and marketing concept in Hindi | Difference between marketing, sales and distribution in Hindi | difference between marketing and sales in Hindi

विपणन तथा विपणन अवधारणा में अन्तर

(Difference Between Marketing and Marketing Concept)

‘विपणन’ और ‘विपणन अवधारणा’ समानार्थी शब्द नहीं हैं। स्टेण्टन ने कहा है कि “प्रशासकों अथवा प्रबन्धकों को विपणन और विपणन अवधारणा के महत्वपूर्ण अन्तर को समझना चाहिए। उनके अनुसार विपणन अवधारणा एक दर्शन (Philosophy) है, एक मनः स्थिति है अथवा एक चिन्तन का तरीका है, जबकि विपणन एक प्रक्रिया है या व्यवसाय में कार्य करने का तरीका है। यह स्वाभाविक ही है कि सोचने के तरीके द्वारा कार्य करने के तरीके का निर्धारण होता है।” इस प्रकार जहाँ एक ओर विपणन अवधारणा चिन्तन से सम्बन्धित है, वहाँ दूसरी ओर विपणन वास्तविक कार्य से। यह उल्लेखनीय है कि स्टेण्टन ने विपणन विचार को दर्शन कहा है, जबकि कुछ विद्वान इससे सहमत नहीं है। एफ० जे० बोर्च ने विपणन को दर्शन कहा है, न कि विपणन अवधारणा को। उनके अनुसार अवधारणा और दर्शन पर्यायवाची शब्द नहीं हैं। अवधारणा और दर्शन के मध्य अन्तर करते हुए उन्होंने लिखा है कि “दर्शन एक विस्तृत छाता है जो कि समस्त व्यावसायिक जीवन को संचालित अथवा नियन्त्रित करता है, जबकि अवधारणा दर्शन रूपी छाते द्वारा निर्धारित वातावरण में संचालन का एक मान्य तरीका है।”

विपणन, विक्रयण व वितरण में अन्तर

विपणन, विक्रयण व वितरण में निम्नलिखित अन्तर है-

  1. व्यापकता- विपणन एक व्यापक शब्द है जिसमें विक्रयण या वितरण भी सम्मिलित हैं। विक्रयण का अर्थ वस्तु का स्वामित्व विक्रेता से क्रेता को हस्तान्तरण करने से है। वितरण वह माध्यम है जिसके द्वारा विक्रय का कार्य सम्पन्न होता है।
  2. उद्देश्य- विपणन दीर्घकालीन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। विक्रयण के उद्देश्य अल्पकालीन होते हैं। वितरण विक्रयण के उद्देश्यों को प्राप्त करने का माध्यम है।
  3. कार्य- विपणन का प्रमुख कार्य उपभोक्ता संतुष्टि है। विक्रयण का प्रमुख कार्य वस्तु का विक्रय करना है। वितरण विक्रयण के कार्य में सहायता प्रदान करना है।
  4. ध्यान केन्द्रित करना- विपणन क्रेता की आवश्यकता की ओर ध्यान केन्द्रित करता है। इसके विपरीत, विक्रयण उत्पाद तथा विक्रेता की आवश्यकता की ओर ध्यान केन्द्रित करता है। वितरण इन दोनों की ओर ध्यान केन्द्रित करता है।
  5. लाभ कमाना- विपणन ग्राहक की आवश्यकताओं एवं मांग की पूर्ति करके लाभ कमाता हैं। इसके विपरीत, विक्रयण विक्रय परिमाण से लाभ कमाता है अर्थात् अधिक विक्रय अधिक लाभ। वितरण अधिकाधिक वस्तुओं का वितरण करके लाभ कमाता है।
  6. सर्वोच्च प्राथमिकता- विपणन के अन्तर्गत सर्वोच्च प्राथमिकता (क) ग्राहक संतुष्टि (ख) लाभप्रद विक्रय की मात्रा तथा (ग) बाजार के अधिकांश अंश पर नियंत्रण करने पर दी जाती है। इसके विपरीत, विक्रयण के अन्तर्गत सर्वोच्च प्राथमिकता, (अ) विक्रय की मात्रा में वृद्धि करने तथा (ब) बढ़ते हुए कमीशन पर दी जाती है। वितरण के अन्तर्गत विक्रयण के कार्य में सक्रिय सहयोग प्रदान करने पर दी जाती है।

विपणन और विक्रयण में अन्तर

(Difference Between Marketing and Selling)

विपणन तथा विक्रयण में अन्तर के प्रमुख बिन्दु निम्नलिखित हैं-

  1. क्षेत्र (Scope) – विपणन का क्षेत्र विक्रयण की अपेक्षा अधिक विस्तृत है। विपणन क्रियाएँ वस्तु के उत्पादन से पूर्व ही प्रारम्भ हो जाती है और वस्तु के विक्रय के बाद भी चलती रहती हैं, जबकि विक्रयण क्रिया का प्रमुख ध्येय वस्तु को बेच देना मात्र होता है। अतः विक्रयण विपणन का एक अंग है।
  2. लाभ कमाने का उद्देश्य ( Object of Profit Earning) – विपणन के अन्तर्गत ग्राहक को संतुष्टि प्रदान करके लाभ कमाने का उद्देश्य होता है, जबकि विक्रयण में वस्तु की अधिकाधिक बिक्री करके लाभ कमाने का उद्देश्य होता है।
  3. ध्यान (Focus) – विपणन में ग्राहकों की आवश्यकताओं पर अधिक ध्यान दिया। जाता है, जबकि विक्रयण में विक्रय परिमाण (Sales Volume) पर अधिक ध्यान दिया जाता है।
  4. सम्बन्ध (Relation) – विपणन का सम्बन्ध उपभोक्ता की संतुष्टि है, जबकि विक्रय का सम्बन्ध उत्पाद के भौतिक हस्तान्तरण से है।
  5. वस्तु बनाम ग्राहक (Product Vs. Customer) – विपणन का अभिप्राय ग्राहकों को प्राप्त करना है, जबकि विक्रयण का अभिप्राय वस्तुओं और सेवाओं को ग्राहकों तक प्रवाहित करना होता है।
  6. समस्याओं का समाधान (Solution of the Problems ) – विपणन समस्याओं का समाधान विपणन प्रबन्धक द्वारा किया जाता है, जबकि विक्रय से सम्बन्धित समस्याओं का समाधान विक्रय प्रबन्धक द्वारा किया जाता है, और विक्रय प्रबन्धक, विपणन प्रबन्धक से निर्देश प्राप्त करता है।

उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि विपणन विक्रयण से अधिक विस्तृत है। दूसरे शब्दों में, विक्रयण विपणन का ही एक अंग है।

विपणन प्रबन्ध – महत्वपूर्ण लिंक

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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