विपणन प्रबन्ध / Marketing Management

विपणन नियन्त्रण के उद्देश्य | विपणन नियन्त्रण के लाभ | Objectives of Marketing Control in Hindi | Benefits of Marketing Control in Hindi

विपणन नियन्त्रण के उद्देश्य | विपणन नियन्त्रण के लाभ | Objectives of Marketing Control in Hindi | Benefits of Marketing Control in Hindi

विपणन नियन्त्रण के उद्देश्य

(Objectives of Marketing Control)

विपणन नियन्त्रण एक बहुमुखी कार्य है। इसके द्वारा अनेक प्रकार के उद्देश्यों की पूर्ति होती है। विलियम लेजर ने विपणन नियन्त्रण के निम्न उद्देश्य बतलाये हैं-

(1) फर्म की आन्तरिक एवं बाह्य संतुलन स्थापना में सहायता करना।

(2) संस्था के विपणन प्रयत्नों की अनुकूलता का पता लगाना और यह देखना कि फर्म के प्रयास विपणन लक्ष्यों की प्राप्ति की ओर बढ़ रहे हैं या नहीं।

(3) विपणन साधनों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना।

(4) प्रमापों का वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखकर पुनः निर्धारण करना।

(5) विभिन्न विभागीय क्रियाओं, विपणन शक्तियों व प्रमापों में संतुलन बैठाना।

इस प्रकार विपणन प्रक्रियाओं के नियन्त्रण का उद्देश्य आन्तरिक व वाह्य परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए विपणन प्रयासों के प्रबन्ध में इस प्रकार मदद करना है कि एक फर्म बदलते हुए बाजारों की माँग को पूरा करने में अपनी विपणन क्रियाओं, कार्यक्रमों तथा लक्ष्यों को पूरा करके लाभ कमा सके। विपणन नियन्त्रण का उद्देश्य केवल मात्र विपणन प्रयासों की त्रुटियों को इंगित करना ही नहीं, बल्कि उनके कारणों का पता लगाना व उन्हें दूर भी करना है, ताकि विपणन प्रयास प्रभावकारी भी हो सकें।

विपणन नियन्त्रण के लाभ

(Benefits of Marketing Control)

विपणन कार्यों के नियोजन व उनके सफलतापूर्वक क्रियान्वयन हेतु विपणन नियन्त्रण एक महत्वपूर्ण उपकरण है। इसके प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं-

  1. विभिन्न विभागों के कार्यक्रमों में समन्वय विपणन नियन्त्रण द्वारा उत्पादों की विक्री की प्रवृत्ति का यथा समय पता लग जाने से फर्म के अन्य विभागों के कार्यक्रमों में यथा समय परिवर्तन किये जा सकते हैं। इस प्रकार विपणन नियन्त्रण द्वारा प्राप्त सूचनाओं से अन्य विभागों को मार्ग दर्शन मिलता है। उदाहरण के लिए इस बात का पता लग जाने पर कि उत्पाद की बाजार में मांग कम हो गयी है फर्म का उत्पाद विभाग उत्पादन कम कर सकता है। वित्त विभाग मूल्य कटौती व उधार बिक्री और विज्ञापन खर्च में बढ़ोत्तरी सम्बन्धी आदेश दे सकता है ताकि उत्पादों का स्टॉक न बढ़ सके।
  2. आर्थिक हानि से बचाव- विपणन नियन्त्रण द्वारा एक व्यवसायी को अपने विपणन प्रयासों की कमियों का पता लग जाता है। उन त्रुटियों के निवारण के बिना भविष्य में उसे और भी अधिक आर्थिक हानि होने की संभावना बनी रहती है। अतः समय पर उन कमियों को दूर करना अत्यन्त आवश्यक है। जैसे एक विज्ञापन अपील के प्रभावकारी न होने का पता अगर कुछ समय बाद ही लग जाये तो भविष्य में उसकी पुनरावृत्ति को रोककर विज्ञापन खर्च को अधिक होने से रोकना सम्भव है।
  3. दायित्व का निर्धारण- विपणन नियन्त्रण द्वारा असफलता का दायित्व निर्धारित किया जा सकता है और सम्बन्धित कार्यों में त्रुटि सुधार हेतु प्रयत्न किये जा सकते हैं जैसे कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना, उनका मार्गदर्शन करना आदि।
  4. फर्म के नियोजन कार्य का आधार- विपणन नियन्त्रण द्वारा विभिन्न विपणन प्रयासों की प्रभावशीलता का पता लग जाता है। इसी आधार पर भावी विपणन उपलब्धियों का अनुमान लगाया जा सकता है। इससे फर्म के विभिन्न कार्यों के नियोजन के लिए महत्वपूर्ण सूचनाएँ प्राप्त होती हैं।
  5. त्रुटियों की पुनरावृत्ति पर नियन्त्रण- विपणन नियन्त्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार की नियन्त्रण सूचनाओं के आधार पर विपणन असफलताओं का पता लगाया जा सकता है और ऐसे सुझाव दिये व लागू किये जा सकते हैं जिनसे गलतियों की पुनरावृत्ति न हो सके। जैसे एक फर्म द्वारा अपने कुछ नये उत्पादों की असफलता के कारणों का विश्लेषण करने से ज्ञात हुआ कि विक्रयकर्ताओं को दिये जाने वाले पारिश्रमिक के तरीके का ठीक न होना नये उत्पादों की असफलता का मुख्य कारण था। अतः भविष्य में नये उत्पाद की बिक्री में पारिश्रमिक की इस विधि को न अपनाने पर ही सफलता प्राप्त हो सकती है।
  6. कार्यकुशलता में सुधार- यदि विपणन नियन्त्रण कार्यक्रम विपणन प्रयासों को सही दिशा प्रदान करने तथा त्रुटि सुधारने के लिए लागू किये जाते हैं तो इस बात की पूरी सम्भावना है कि प्रत्येक कर्मचारी अपनी कमियों को दूर करने की ओर अधिक ध्यान देगा, ताकि उनकी गलतियों की पुनरावृत्ति न हो। अतः प्रत्येक कर्मचारी अपने आप को अधिक कुशल बनाने का पूर्ण प्रयास करता है।
  7. भावी समस्याओं का निवारण- विपणन नियन्त्रण क्रिया के अन्तर्गत आने वाली भावी विपणन कठिनाइयों व समस्याओं का ज्ञान यथा समय हो जाता है, और उनके निवारण हेतु उचित उपाय कर लिये जाते हैं। इस प्रकार विपणन नियन्त्रण द्वारा न केवल भूतकालीन स्थिति का पता लगता है बल्कि यह भावी समस्याओं तथा भावी स्थिति का भी ज्ञान कराता है ताकि इनके समाधान के लिए पहले से ही उपयुक्त सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें।
  8. विभिन्न विपणन अवसरों का पता लगाना विपणन नियन्त्रण द्वारा नये-नये उत्पाद की बिक्री सम्भावना, अधिक लाभ कमाने के क्षेत्र और विपणन लागतों को कम करने का अवसर प्राप्त होता है। इससे विपणन प्रयासों की ही सही दिशा का ज्ञान कराया जाता है और उन विपणन निर्बलताओं का पता लग जाता है जिनके बारे में विपणन प्रबन्धक अज्ञान था।
  9. निर्णय का आधार- विपणन नियन्त्रण द्वारा कौन से उत्पाद, क्षेत्र तथा ग्राहक समूह अधिक लाभकारी हैं, इसका भी ज्ञान हो जाता है। इस प्रकार की जानकारी से एक विपणनकर्ता को यह निर्णय लेने में सुविधा होती है कि उसे अधिकतम लाभार्जन हेतु विपणन प्रयास कौन से उत्पाद, क्षेत्र व ग्राहक समूह पर करने चाहिए?

स्टेण्टन के अनुसार, ” अनेक स्थिति में यह पाया गया है कि कुल विपणन प्रयासों के 80% भाग में केवल 20% बिक्री प्राप्त हुई जबकि शेष 20% प्रयासों से 80% बिक्री की गयी ।” इस प्रकार स्पष्ट है कि हमारा विक्रय प्रयास संबंधी निर्णय कई बार भी पूर्ण नहीं होता।

विपणन प्रबन्ध – महत्वपूर्ण लिंक

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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