आधुनिक यूनानी राजनीतिक चिन्तन की विशेषताएँ | प्राचीन एवं आधुनिक राजनीतिक चिन्तन में अन्तर

आधुनिक यूनानी राजनीतिक चिन्तन की विशेषताएँ | प्राचीन एवं आधुनिक राजनीतिक चिन्तन में अन्तर | Discuss the characteristics of the modern political thought in Hindi | Distinguish between ancient and modern political thought in Hindi
आधुनिक यूनानी राजनीतिक चिन्तन की विशेषताएँ (Characteristics of Modern Political Thought in Hindi)
आधुनिक राजनीतिक चिन्तन का प्रारम्भ पन्द्रहवीं शताब्दी के अन्त और सोलहवीं शताब्दी के आरम्भ का समय माना जाता है । इसी कारण यह कहा जाता है कि मैकियावली (Mechiavelli) मध्यकाल का आन्तिम और आधुनिक काल का प्रथम विचारक है।
आधुनिक काल में चिन्तन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- राष्ट्रीय राज्यों की स्थापना (Establishment of National States)
- बन्धिवाद और प्रकृतिवाद का जन्म (Growth of Intellectualism Naturalism)
- सुधार आन्दोलन (Reform Movement)
- समाजवादी विचारधारा का जन्म (Growth of Socialistic Ideology)
- राष्ट्रीय राज्यों की स्थापना (Establishment of National States) – राज्य की सार्वभौमिकतावादी विचारधारा जिसका पषण मध्य काल में हुआ था, कालान्तर में आधुनिक काल में समाप्त हो गयी| चर्च का प्रभाव भी लुप्त हो गया फ्रांस, इंगलैंड, स्पेन आदि देशों में राष्ट्रीयता की भावना जाग्रत हुई तथा इस भावना के फलस्वरूप अनेक राष्ट्रीय राज्य स्थापित हुये।
- बन्धिवाद और प्रकृतिवाद का जन्म (Growth of Intellectualism Naturalism) – सत्रहवीं और अट्ठारहवीं शताब्दी में बुद्धिवाद तथा प्रकृतिवाद की उत्पत्ति इुई। इसके परिणामस्वरूप गणित, भौतिक एवं रसायनशास्त्र के प्रसार और अध्ययन में मनुष्य को सच्चाई का ज्ञान प्राप्त हुआ। उसने अज्ञानता के अन्धकार से निकलकर वैज्ञानिक प्रगति के कारण जन-जीवन में आये परिवर्तन को देखा, परखा और अनुभव किया तत्पश्चात् व्यक्ति ने नैतिक और धार्मिक पक्ष के स्थान पर आर्थिक पक्ष को अधिक महत्त्व देना प्रारम्भ किया।
- सुधार आन्दोलन (Reform Movement) – सुधार आन्दोलन से मध्यकालीन धार्मिक ग्रन्थों और अन्धविश्वासों का अस्तित्त्व लुप्त हो गया था| व्यक्तियों ने यह सोचना प्रारम्भ कर दिया कि किसी बात का अन्धानुकरण अनुपयुक्त है। राजा की आज्ञा का पालन जनता को आँख बन्द करके नहीं, वरन् भली-भाँति सोच-समझकर करना चाहिये। जनता को राजा की केवल उचित बात माननी चाहिये।
- समाजवादी विचारधारा का जन्म (Growth of Socialistic Ideology) – आधुनिक विचारधारा के कारण ही उन्नीसवीं शताब्दी में समाजवादी विचारधारा का जन्म हुआ जिसके कारण कालान्तर में मार्क्सवादी विचारधारा का प्रादुर्भाव हुआ।
प्राचीन एवं आधुनिक राजनीतिक चिन्तन में अन्तर (Difference between Ancient and Modern Political Thought in Hindi)
प्राचीन और आधुनिक राजनीतिक चिन्तन में प्रमुख अन्तर निम्नलिखित हैं-
- राज्य का आकार (Size of the State)
- नागरिकता (Citizenship)
- व्यक्तिवाद एवं राष्ट्रवाद (Individualism and Nationalism)
- राज्य का स्वरूप (Nature of State)
- चिन्तन का स्वरूप (Nature of Thinking)
- व्यक्ति के अधिकार (Rights of Individuals)
- राज्य के कार्यों के प्रति दृष्टिकोण (Attitude Towards the Functions’ of the State)
- न्याय का स्थान (Place of Justice)
- राज्य के उद्देश्य (Objectives of State)
- दास-प्रथा (Slavery)
- सार्वजनिक कानून (Public Law)
- जनता की भूमिका (Role of the People)
- राज्य का आकार (Size of the State) – यूनानी अथवा प्राचीन राजनीतिक चिन्तन का अध्ययन विषय छोटे-छोटे नगर-राज्य थे। इन नगर-राज्यों की समस्याएँ और आवश्यकताएँ अत्यल्प थीं। समस्त नगर-राज्य आत्म-निर्भर थे। इसके विपरीत आधुनिक राजनीतिक चिन्तन के अध्ययन का विषय विस्तृत क्षेत्रफल एवं विशाल जनसंख्या वाले राष्ट्रीय राज्य हैं।
- नागरिकता (Citizenship) – यूनान के नगर-राज्यों में केवल कुछ ही व्यक्ति नागरिक कहलाते थे। महिलाएँ तथा दास नागरिकता के अधिकारों से वंचित थे। विदेशियों को नागरिकता प्राप्त न थी। केवल नागरिक ही राज्य के कार्यों में भाग लेने के अधिकारी थे। इसके विपरीत आधुनिक राजनीतिक चिन्तन में नागरिकता के सिद्धान्त को विस्तृत रूप से स्वीकार किया गया है। नागरिकता का सिद्धान्त भिन्न भिन्न देशों में भिन्न-भिन्न है।
- व्यक्तिवाद एवं राष्ट्रवाद (Individualism and Nationalism) – यूनानी चिन्तन व्यक्तिवादी था, उसमें राष्ट्रीयता और अन्तर्राष्ट्रीयता के लिये कोई स्थान नही था। आधुनिक चिन्तन यद्यपि राष्ट्रवादी है, तथापि इसमें अन्तर्राष्ट्रीयता की ओर झुकाव है।
- राज्य का स्वरूप (Nature of State) – यूनानी विचारकों ने राज्य को कवल एक राजनीतिक संस्था के रूप में स्वीकार किया है। इसके विपरीत आधुनिक विचारक राज्य को केवल राजनीतिक संस्था ही नहीं मानते हैं।
- चिन्तन का स्वरूप (Nature of Thinking) – यूनानी राजनीतिक चिन्तन बुद्धिवादी एवं तर्कवादी था; अतः यूनानी विचारक लौकिक दृष्टिकोण को मानते हुए इहलोक के सुख में विश्वास करते थे । इसके विपरीत आधुनिक चिन्तन लौकिक एवं अलौकिक दोनों पर विश्वास करता है, पर इसमें राज्य की नैतिकता को अलग स्थान दिया गया है।
- व्यक्ति के अधिकार (Rights of Individuals) – यूनानी चिन्तन में व्यक्तियों को सीमित अधिकार दिये गये थे । परन्तु आधुनिक राजनीतिक चिन्तन में व्यक्ति को अनेक अधिकार प्राप्त हैं, जैसे सम्पत्ति का अधिकार, जीवन रक्षा का अधिकार आदि।
- राज्य के कार्यों के प्रति दृष्टिकोण (Attitude Towards the Functions’ of the State) – यूनानियों के मतानुसार राज्य का लक्ष्य सकारात्मक (Positive) था अर्थात जनता की भलाई में वृद्धि करना तथा नागरिकों के जीवन को पूर्ण बनाना था। इसके विपरीत वर्तमान समय में राज्य का लक्ष्य व्यक्ति के जीवन में आने वाली बाधाओ को दूर करना, उसकी बाह्य शत्रुओं से रक्षा करना तथा आन्तरिक आपत्तियों से रक्षा करना है; अंतः वर्तमान दृष्टिकोण अभावात्मक (Negative) है ।
- न्याय का स्थान (Place of Justice) – यूनानी राजनीतिक चिन्तन में न्याय को बहुत अधिक महत्त्व प्रदान किया गया है। प्लेटो ने उचित न्याय को आदर्श राज्य का अनिवार्य लक्षण बताया है। अरस्तू ने भी न्याय की व्याख्या की है। आधुनिक कालीन राजनीतिक चिन्तन में न्याय को प्रमुख स्थान प्रदान किया गया है। राज्य में न्याय के लिये न्यायपालिका की पृथक स्थापना की गई है।
- राज्य के उद्देश्य (Objectives of State) – यूनानी चिन्तन में राज्य के उल्देश्य सकारात्मक थे, राज्य व्यक्ति के लिये नैतिक एवं राजनीतिक दोनों प्रकार के कार्य करते थे। इसके विपरीत आधुनिक राजनीतिक चिन्तन में व्यक्तिवादी और समाजवादी दोनों ही विचारधाराओं का प्रचलन है। व्यक्तिवादी विचारधारा के अनुसार राज्य को अत्यल्प कार्य करने चाहिये। समाजवादियों के अनुसार राज्य को समाज हितार्थ अधिक से अधिक कार्य करने चाहिये। इस प्रकार आधुनिक राजनीतिक चिन्तन में राज्य के उद्देश्य सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हैं।
- दास-प्रथा (Slavery) – यूना फी दास-प्रथा को अनिवार्य मानते थे। इसके विपरीत आधुनिक राजनीतिक चिन्तन में दास-प्रथा को कोई स्थान प्राप्त नहीं है। अब किसी को दास नहीं समझा जाता है।
- सार्वजनिक कानून (Public Law) – वर्तमान समय में सार्वजनिक कानून का विकास हो चुका है। यह कानून राज्य तथा व्यक्ति के सम्बन्ध को निश्चित करता है। पर यूनानी विचारकों द्वारा राज्य को नागरिकों के पूर्ण विकास का साधन मान लिये जाने के कारण राज्य तथा व्यक्ति के अधिकारों के मध्य कोई संघर्ष न था। अतएव यहाँ वैयक्तिक कानून का विचार उत्पन्न नही हुआ।
- जनता की भूमिका (Role of the People) – यूनानी विचारकों के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को राजकीय कार्य में गहन रुचि रखनी चाहिये। उनका आदर्श राज्य छोटा तथा संगठित था। सभी व्यक्ति एक स्थान पर एकत्र हो जाते थे। यह धारणा वर्तमान समय में व्यावहारिक नहीं है। वर्तमान समय में प्रतिनिध्यात्मक विचारधारा को मान्यता दी गई है।
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