शिक्षक शिक्षण / Teacher Education

पाठ योजना निर्माण के विभिन्न उपागम | पाठ योजना निर्माण के विभिन्न उपागमों का वर्णन कीजिये।

पाठ योजना निर्माण के विभिन्न उपागम
पाठ योजना निर्माण के विभिन्न उपागम

पाठ योजना निर्माण के विभिन्न उपागम | पाठ योजना निर्माण के विभिन्न उपागमों का वर्णन कीजिये | Different approaches to lesson planning in hindi

पाठ योजना निर्माण के प्रमुख उपागम निम्न हैं-

  1. अमरीकन उपागम (American Approach)

अमरीकन उपागम में सीखने की परिस्थितियों व शिक्षण अधिगम के उद्देश्यों को प्रमुखता दी गयी है। प्रभावी अधिगम परिस्थिति का निर्माण इस प्रकार से किया जाता है कि निर्धारित उद्देंश्यों की दिशा में ही निरन्तर प्रयास किये जा सकें। शिक्षा सम्बन्धी समस्त क्रियायें शिक्षण के उद्देश्यों को नियोजित तथा निर्धारित करने के लिए ही होता है। संक्षेप में-

  1. अमरीकन उपागम में अधिगम उद्देश्यों को प्राथमिकता दी गयी हैं।
  2. ये उपागम छात्र केन्द्रित होते हैं।
  3. शिक्षक का कार्य अधिगम की परिस्थितियों को उत्पन्न करना मात्र होता है।
  4. इस उपागम में छात्र अधिक सक्रिय रहते हैं।
  5. पाठ्यवस्तु के उद्देश्य को परिभाषित किया जाता है और उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रत्येक विधि, नीति या युक्ति को प्रयोग करने पर बल दिया जाता है।

अमरीका के प्लेडर, ओवर, गैलावे और ब्लूम आदि शिक्षाशास्त्रियों ने पाठ योजना के इस उपागम पर अत्यधिक कार्य किवा है।

  1. ब्रिटिश उपागम (British Approach)

ब्रिटिश उपागम का प्रयोग ब्रिटेन में अधिक किया जाता है। इसमें अधिगम की परिस्थितियों के निर्माण व उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए शिक्षक के प्रयासों पर अधिक बल दिया गया है। उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किये गये प्रयासों पर भी यह उपागम बल देता है। यह उपागम शिक्षक प्रधान है और छात्रों का मूल्यांकन करने के लिए निष्पत्ति परीक्षण का प्रयोग इस उपागम में किया जाता है।

  1. भारतीय उपागम (Indian Approach)

भारतीय उपागमों में सीखने के उद्देश्यों, व्यवहार परिवर्तनों और अधिगम के अनुभवों पर अधिक बल दिया गया है। एन. सी. आर. टी. द्वारा संचालित क्षेत्रीय महाविद्यालयों में इस उपागम को विकसित करने के लिए अनेक प्रयास किये गये हैं और किये जा रहे हैं। भारतीय उपागम मूल रूप से अमरीकन और ब्रिटिश उपागमों पर ही आधारित है। भारतीय उपागमों में हरबर्ट के पंचपदी उपागम का प्रयोग प्रचुर मात्रा में किया गया है। पाठ योजना का निर्माण करने में इस उपागम के अनुसार 14 सोपान निर्धारित किये गये हैं। ये हैं-प्रकरण, कक्षा एवं वर्ग, समय, दिनांक, सामान्य उद्देश्य, पूर्व ज्ञान, विशिष्ट उद्देश्य, पाठ्य संरचना, व्यवहारिक उद्देश्य अधिगम अनुभव, अधिगम उपलब्धि, गृह कार्य, संदर्भ और आत्म निरीक्षण।

  1. हरबर्ट उपागम (Herbart Approach)

पाठ योजना के निर्माण में प्रचलित उपगमों में हरबर्ट उपागम बहुत महत्व्रर्ण है। भारतीय विश्वविद्यालयों एवं शिक्षक-प्रशिक्षण विद्यालयों में अधिकतर इसी उपागम का प्रयोग किया जा रहा है। इस उपागम में पाठ्यवस्तु की विभिन्न इकाइयों को पांच पदों में विभक्त करे पाठ योजना तैयार की जाती है और पाठ्यवस्तु के

इन पांच सोपानों को एक के बाद एक क्रमबद्ध तरीके से छात्र के सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है। हरबर्ट के इस उपागम को पंच पद प्रणाली के नाम से भी जाना जाता है। इस उपागम की विशेषता यह है कि इसमें नवीन ज्ञान का पूर्व ज्ञान के साथ सम्बन्ध स्थापित करने पर अधिक बल दिया गया है। हरबर्ट के उपागम के पांच सोपान हैं- 1. प्रस्तावना, 2. प्रस्तुतीकरण, 3. स्पष्टीकरण, 4. सामान्यीकरण और 5. प्रयोग । हरबर्ट के उपागम के आधार पर पाठ योजना तैयार करने के लिए शिक्षा शास्त्रियों ने निम्न पाठ संकेतों का प्रतिपादन किया है। 1. पाठ क्रम सख्या, 2.. दिनांक, 3. कक्षा, विषय, 5. अवधि व कालाश, 6. स्कूल का नाम, 7. प्रकरण, 8. सामान्य उद्देश्य, 9. विशिष्ट उद्देश्य, 10. सहायक सामग्री, 11. पूर्व-ज्ञान, 12. प्रस्तावना, 13. उद्देश्य कथन, 14. प्रस्तुतीकरण, 15. बोध प्रश्न, 16. श्यामपट साराश, 17. पुनरावृत्ति, 18. गृह कार्य।

  1. डीवी तथा किलपैट्रिक उपागम (Dewey & Kilpatric Approach)

शिक्षा जगत को यह उपागम् जॉन डीवी तथा उसके शिष्य किलपैट्रिक की देन है। इस उपागम में अनुभाव को विशेष महत्व दिया गया है। छात्रों को अधिक से अधिक क्रियाशील रखते हुए अनुभवों के आधार पर उनका बौद्धिक एवं सामाजिक विकास करने पर इस उपागम में बल दिया गया है। यह उपागम अमेरिका में अधिक प्रचलित है। इस उपागम का आधार योजना पद्धति है। और इसी के आधार पर छात्रों में वांछित परिवर्तन लाने का प्रयास किया जाता है। इस उपागम में शिक्षण कार्य पूर्ण रूप से स्वतन्त्र, स्वाभाविक तथा सामाजिक वातावरण में किया जाता है। जिससे कि छात्र अपने अनुभवों के आधार पर ज्ञान अर्जित कर सरकें। स्वयं करके सीखना का सिद्धान्त इस उपागम में लागू होता है। इस उपागम की पाठ योजना में निम्न सोपान होते हैं- 1. परिस्थिति उत्पन्न करना। 2. योजना का चयन । 3. योजना उद्देश्य। 4. योजना के कार्यक्रम की व्यवस्था। 5. कार्यक्रम का क्रियान्वयन। 6. कार्य का मूल्यांकन। 7. योजना की रिपोर्ट बनाना।

  1. मौरीसन उपागम (Morison Approach)

मॉरीसन उपागम पूर्ण रूप से मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों पर आधारित है। मॉरीसन ने 1926 में पाठ योजना के निर्माण हेतु इस उपागम को प्रस्तुत किया। इस उपागम कॉ इकाई प्रणाली उपागम के नाम से भी जाना जाता है। इस उपागम का मूलभूत सिद्धान्त ज्ञान प्राप्त करने की प्रक्रिया में ज्ञान की एकता है। इस उपागम में पूर्ण से अंश की ओर बढ़ा जाता है। इस उपागम में छात्रों की रुचि, अभिरुचि ओर आवश्यकताओं का भी पूरा-पूरा ध्यान रखा जाता है। पाठ योजना का यह उपागम रूप से छात्र केन्द्रित उपागम है। पाठ योजना बनाने के लिए मॉरिसन महोदय ने पांच सोपानों का उल्लेख किया है। यह सोपान हैं- अन्वेषण, प्रस्तुतीकरण, आत्मीकरण व्यवस्थापन, और अभिव्यक्तिकरण।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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