शिक्षक शिक्षण / Teacher Education

शिक्षण विधि का अर्थ एवं परिभाषा | शिक्षण विधि के विभिन्न प्रकार

शिक्षण विधि का अर्थ एवं परिभाषा
शिक्षण विधि का अर्थ एवं परिभाषा

शिक्षण विधि का अर्थ एवं परिभाषा | शिक्षण विधि के विभिन्न प्रकार

शिक्षण विधि का अर्थ एवं परिभाषा देते हुए उसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन

जब व्यक्ति किसी कार्य को करने का मन बनाता है तो सर्वश्रथम उस कार्य को सफलतापूर्वक करने के लिए उसके तरीके के बारे में चिन्तन करता है अथवा विचार करता है। यदि कार्य बिना साचे ही शुरू कर दिया जाये तो सफलता असम्भव है। ठीक उसी प्रकार शिक्षक शिक्षण कार्य करने से पूर्व यह निर्धारित करता है कि किस पाठ अथवा प्रकरण को किस विधि से पढ़ाया जाये। वैसे इसका कोई नियम निर्धारित नहीं है यह तीन बातों पर निर्भर करता है-

  1. विषय वस्तु की प्रकृति
  2. अध्यापक का व्यक्तित्व तथा
  3. अध्यापक का विषय वस्तु पर नियंत्रण

इस प्रकार विधि तो एक माध्यम है शिक्षक की विषय वस्तु के प्रस्तुतीकरण का वह भी सरल, सुगम एवं सजीव। एक शिक्षण विधि एक अध्यापक के लिए उपयुक्त है यह आवश्यक नहीं कि वही विधि उसी प्रकरण हेतु दूसरे अध्यापक को भी उपयोगी सिद्ध हो सकती है। अथवा यह प्रकरण को जिस विधि से पढ़ाया है आवश्यक नहीं कि वही शिक्षक दूसरे प्रकरण को भी उसी विधि से पढ़ाये। जैसे कि ऊपर बताया जा चुका है कि यह तीन बातों पर निर्भर करता है- विषय वस्तु की प्रकृति, अध्यापक का व्यक्तित्व एवं विषय वस्तु पर अध्यापक का नियंत्रण। अर्थात् प्रत्येक शिक्षक को शिक्षण विधियों का ज्ञान होना आवश्यक है।

शिक्षण विधियों से अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने हेतु विभिन्न विद्वानों ने अलग-अलग परिभाषाएँ दी हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार है-

डी.वी (Dewey) के अनुसार “पद्धति वह तरीका है जिसके द्वारा हम पठन सामग्री का व्यवस्थित करके, निष्कर्षों की प्राप्ति करते हैं।”

बाईनिंग (Bining) मानते हैं कि “शिक्षण विधि शिक्षा प्रक्रिया का गतिशील कार्य है।”

‘हरबर्ट वार्ड एवं रोस्को’ (Herbart Ward and Rusco) के अनुसार, “यह सत्य है कि उत्तम विधि मात्र कत्रिम अथवा यांत्रिक प्रणालियों का योग नहीं है तथा प्रत्येक शिक्षक को स्वय अपनी शिक्षण विधि को आविष्कृत करना चाहिए। यह स्मरणीय है कि उत्तम शिक्षण विधि कुछ निश्चित एवं व्यापक सिद्धान्तों के अनवरत निरीक्षण के परिणाम स्वरूप ही जन्म ले सकती है। इसके अंतर्गत शिक्षण की व्यवस्थित प्रणाली एवं विषय वस्तु की क्रमबद्धता का समावेश होता है जिसके परिणाम स्वरूप समय एवं शक्ति की बचत होती है। इसके द्वारा विषय वस्तु की महत्ता के अनुसार वर्गीकरण करना सम्मव हो सकेगा और इसके द्वारा छत्रों का अधिकतम सहयोग होगा तथा उनकी अध्ययन कार्य में सक्रिय रुचि बनी रहेगी।”

डॉ. सरोज सक्सेना (Dr. Sexena, Saroj) के अनुसार, “वास्तव में शिक्षण विधि विषय सामग्री को छात्रों तक पहुंचाने का एक माध्यम या उद्देश्य है जो उद्देश्य प्राप्ति में भी अपना सक्रिय सहयोग प्रदान करती हैं।”

अतः यह कहा जा सकता है कि शिक्षण विधि के द्वारा शिक्षक कठिन से कठिन प्रत्ययों को भी सरल, सरस एवं बोधगम्य बना सकता है। अतः शिक्षक के लिए शिक्षण विधियों की जानकारी अति आवश्यक है।

शिक्षण विधियों का वर्गीकरण (Classification of Teaching Method)-

विभिन्न शिक्षाविदों ने शिक्षण विधियों का अलग-अलग वर्गीकरण किया

(1) ‘रूसो’ के अनुसार-व्यक्ति का सीखना चार प्रकार से होता है यथा-

(i) कर के सीखना (learning by Doing)

(ii) प्रयोग द्वारा सीखना (Learning by Experimentation)

(iii) निरीक्षण द्वारा सीखना (Learning by Observation)

(iv) खोज द्वारा सीखना (Learning by Discovery)

(2) ‘पैस्टॉलाजी’ के अनुसार-पैस्टॉलाजी रूसो से सहमत नहीं हैं वे मनोवैज्ञानिक शिक्षण विधियों को ही उपयुक्त मानते हैं।

(3) ‘हरबर्ट’ के अनुसार- “ये पैस्टालांजी से सहमत हैं। इन्होंने सामान्य विधि का सूत्रपात किया जिसके चार पद निर्धारित किये।

(i) स्पष्टता (Clearness)

(ii) सम्बन्ध (Association)

(iii) व्यवस्था (System)

(iv) विधि (Method)

लेकिन इनके शिष्य जिलर (Zilar) इनसे सहमत नहीं थे। उन्होंने इसके प्रथम पद स्पष्टता को दो भागों में विभक्त किया है। कालान्तर में अन्य शिस्यों ने भी इसमें परिवर्तन किये।

इस प्रकार हरबार्ट के चारों पदों के मूलरूप बिल्कुल परिवर्तित हो गये और उसके पदों को अन्तिम रूप अग्र प्रकार दिया गया-

  1. (A) प्रस्तावना (Preparation)

(B) उद्देश्य कथन (Statement of aitn)

  1. प्रस्तुतीकरण (Presentation)
  2. तुलना (Comparison )
  3. सामान्यीकरण (Gcneralization)
  4. (Application),

इस प्रकार विभिन्न शिक्षाशास्त्री शिक्षण विधियों के सम्बन्ध में एक मत नही हैं। सामान्यतः शिक्षण विधियां दो प्रकार की होती हैं-

(1) परम्परागत शिक्षण विधि (Traditional teaching method)

(2) आधुनिक शिक्षण विधि (Modern teaching method)

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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