जापान का सूती वस्त्र उद्योग | जापान में सूती वस्त्र उद्योग का वितरण प्रतिरूप | जापान में सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण के लिए उत्तरदायी कारक | जापान के सूती वस्त्र उद्योग का भौगोलिक वर्णन

जापान का सूती वस्त्र उद्योग | जापान में सूती वस्त्र उद्योग का वितरण प्रतिरूप | जापान में सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण के लिए उत्तरदायी कारक | जापान के सूती वस्त्र उद्योग का भौगोलिक वर्णन

जापान का सूती वस्त्र उद्योग

(Cotton Textile Industry of Japan)

वर्तमान में विश्व के सूती वस्त्र तथा सूती धागा उत्पादित करने वाले देशों में जापान का स्थान चीन, भारत, रूसी गणराज्य तथा संयुक्त राज्य अमेरीका के बाद पाँचवाँ है। यहाँ सन् 2002 में 68 करोड़ वर्ग मीटर सूती वस्त्र तथा 190 हजार मी. टन सूती धागा उत्पादित किया गया।

जापान का सूती वस्त्र उद्योग कपास की आपूर्ति के लिए विदेशों पर निर्भर है। यही कारण है कि जापान का अधिकांश सूती वस्त्र बन्दरगाह नगरों में स्थित है। जापान में सूती धागा तथा सूती वस्त्र निर्मित करने के प्रक्रम मुख्य रूप से अलग-अलग इकाइयों में सम्पन्न होते हैं। सूती वस्त्र निर्मित करने वाली औद्योगिक इकाइयाँ प्रायः लघु या मध्यम आकार की होती हैं, जिनमें 10 से 100 तक स्वचालित करघे होते है। जापान में सूती वस्त्र निर्मित करने वाली इकाइयाँ बड़े औद्योगिक नगरों के साथ-साथ देश के आन्तरिक भागों में स्थित छोटे नगरों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में भी कार्यरत हैं। दूसरी ओर सूती धागा निर्मित करने वाली इकाइयाँ अत्याधुनिक मशीनों से युक्त अपेक्षाकृत वृहद् आकार की हैं तथा मुख्यतया बड़े-बड़े औद्योगिक नगरों में कार्यरत है।

जापान में सूती वस्त्र उद्योग का वितरण प्रतिरूप

जापान के सूती वस्त्र उद्योग का जमाव मुख्य रूप से होन्शू द्वीप के पूर्वी तट के निम्नलिखित तीन क्षेत्रों में मिलता है-(1) कोवे, (2) आमागासाकी, (3) ओसाका, (4) नारा, (5) वाकायामा, (6) नागोया, (7) याकोहामा, (8) टोकियो)

(1) आन्तरिक सागर के पूर्वी छोर पर किन्की प्रदेश- इस प्रदेश में ओसाका तथा कोबे सूती वस्त्र उद्योग के सर्वप्रमुख केन्द्र हैं। ओसाका नगर में सूती वस्त्र उद्योग का अधिक सघन जमाव मिलता है जिसके कारण इसे ‘जापान का मानचेस्टर’ भी कहा जाता है। यह नगर जापान का ही नहीं वरन् समस्त एशियाई देशों में सर्वाधिक सूती वस्त्र निर्मित करने वाला केन्द्र है। वाकायामा, आमागासाकी, किशोवादी तथा नारा इस क्षेत्र के अन्य सूती वस्त्र उद्योग के केन्द्र हैं। यह क्षेत्र देश का लगभग 35 प्रतिशत सूती धागा तथा सूती वस्त्र उत्पादित करता है।

(2) क्वांटों का मैदानी भाग- इस प्रदेश में टोकियो तथा याकोहामा सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केन्द्र है।

(3) नागोया क्षेत्र- इजी खाड़ी के तटीय भाग में स्थित नागोया महानगर सूती वस्त्र उद्योग का प्रमुख केन्द्र है।

जापान में सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण के लिए उत्तरदायी कारक

जापान में सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण के लिए निम्नलिखित कारक उत्तरदायी हैं-

(1) दक्षिण-पूर्व के बाजारों की निकटता- जापान मुख्यतः चीन एवं भारत को कपड़ा निर्यात करता है। इसके अतिरिक्त अन्य बाजारों के क्षेत्र बांग्लादेश, वियतनाम, मलेशिया, इण्डोनेशिया, पाकिस्तान, थाइलैण्ड आदि है। दक्षिण-पूर्व एशिया के सभी राष्ट्र अधिकांशतः जापान से सूती कपड़ा माँगते हैं, क्योंकि-(अ) जापान का माल अपेक्षाकृत सस्ता होता है, (ब) आयात करने में कम खर्च एवं सुविधा रहती है। (स) जापान का माल उत्तम कोटि का होता है। फलतः यहाँ के माल की माँग विश्व बाजार में पर्याप्त रहती है।

(2) कुशल श्रमिकों की प्राप्ति- जापान के सूती वस्त्र उद्योग का प्रमुख जमाव देश की औद्योगिकी पेटी में मिलता है। इस पेटी में जनसंख्या का सघन जमाव होने से कुशल मजदूरों की आसानी से प्राप्ति हो जाती है।

(3) उत्तम जलवायु- जापान की आर्द्र जलवायु सूती वस्त्र उद्योग के सर्वथा अनुकूल इस जलवायु में सूती धागे महीन तथा मजबूत बनते हैं। अंतः उत्तम वस्त्रों का बनना सम्भव होता है।

(4) आयात-नियार्त की सुविधा- चूँकि अधिकांश सूती वस्त्र उद्योग बन्दरगाह नगरों में कार्यरत हैं अतः यहाँ कपास के आयात एवं सूती वस्त्र के निर्यात की सुलभ सुविधा रहती है। इन बन्दरगाहों को क्यूरीसिवो की गर्म जलधारा वर्ष पर्यन्त खुला रखती है।

(5) उच्च तकनीक एवं स्वचालित आधुनिक मशीनें- जापान में सूती वस्त्र निर्माण में उच्च तकनीक का उपयोग किया जाता है। कपास पर निर्भरता को कम करने तथा उच्च कोटि का कपड़ा निर्मित करने के लिए जापान में सूती धागे के साथ संश्लेषित धागों का प्रयोग किया जाता है। सूती वस्त्रे निर्मित करने में स्वाचालित करघे तथा आधुनिक मशीनें प्रयुक्त की जाती हैं। जिसके कारण सूती वस्त्र निर्मित करने में उत्पादन लागत कम आती हैं।

(6) जल विद्युत शक्ति की स्थानीय उपलब्धता- सूती वस्त्र उद्योग के लिए आवश्यक शक्ति की आपूर्ति स्थानीय रूप से उपलब्ध सस्ती जलविद्युत से की जाती है।

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