जापान का मत्स्य व्यवसाय | जापान के मछली उत्पादक क्षेत्र | जापान में मत्स्योत्पादन के लिए अनुकूल भौगोलिक दशाएँ
जापान का मत्स्य व्यवसाय | जापान के मछली उत्पादक क्षेत्र | जापान में मत्स्योत्पादन के लिए अनुकूल भौगोलिक दशाएँ
जापान का मत्स्य व्यवसाय
(Fisheries of Japan)
जापान मत्स्य उत्पादन की दृष्टि से विश्व में प्रथम स्थान रखता है। वर्तमान में यह देश विश्व की लगभग 12 प्रतिशत मछली प्रतिवर्ष उत्पादित करता है। विश्व में प्रति व्यक्ति मछली का उपयोग जापान में सर्वाधिक है। जापान के कटे-फटे तटों के सहारे सहारे होकैडो द्वीप से लेकर क्यूशू द्वीप तक छोटे-बड़े मछली गावों (Fishing Villages) की कतारें मिलती हैं। जापान के मछली उत्पादक सागरीय क्षेत्र लगभग 23 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में विस्तृत हैं। जापान के लगभग 25 लाख व्यक्तियों को इस व्यवसाय से रोजगार प्राप्त है।
जापान में मत्स्योत्पादन के लिएअनुकूल भौगोलिक दशाएँ-
जापान में मत्स्योत्पादन के लिए निम्नलिखित अनुकूल भौगोलिक दशाएँ मिलती हैं-
(1) जापान की स्थिति शीतोष्ण कटिवन्ध में है इसलिए इस देश के सागरीय भागों में उत्तम किसम की मदलियों के भण्डार है। शीतोष्ण कटिबन्ध की जलवायु में मछलियाँ शीघ्र खराब नहीं होतीं।
(2) कृषि योग्य भूमि की कमी तथा जनसंख्या की अधिकता होने के फलस्वरूप जापान के निवासियों को अपनी खाद्य आवश्यकताओं की आपूर्ति के लिए सागरीय भागों से प्राप्त मछलियों पर निर्भर होना पड़ा है। वर्तमान में देश की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या मदलियों का उपयोग करती है।
(3) देश की सामुद्रिक स्थिति होने के कारण यहाँ के निवासी प्राचीनकाल से ही कुशल नाविक होने के साथ-साथ कुशल मछुआरे भी रहे हैं।
(4) तटरेखा लम्बी तथा अधिक कटी-फटी होने के कारण देश का प्रत्येक भाग सागर के निकट है। साथ ही साथ तट पर अनेक बंदरगाहों का विकास हो गया है।
(5) तटीय अनुपजाऊ भूमि मछुआरों के आवास बनाने के लिए उपयुक्त एवं पर्याप्त स्थान उपलब्ध कराती है।
(6) इस देश का समुद्री तट प्रायः शान्त रहता है, इसलिए यहाँ मछलियाँ पकड़ना सुगम है।
(7) यहाँ की जनसंख्या का अधिकांश भाग तटीय मैदानों में रहता है। अतः इस कार्य के लिए सस्ते एवं कुशल मजदूर प्राप्त हो जाते हैं।
जापान के मछली उत्पादक क्षेत्र-
जापान में मत्स्कोत्पादन के निम्न दो क्षेत्र प्रमुख हैं-
- तटीय क्षेत्र- जापान के तटीय भाग उथले होने के साथ-साथ उष्ण एवं ठण्डी जलधाराओं के मिलन-क्षेत्र हैं। जापान की लगभग 65 प्रतिशत मछलियाँ इन्हीं भागों से प्राप्त होती है। हेरिंग, मैकरेल, कॉड, सारडाइन तथा ट्राउट इस क्षेत्र में पकड़ी जाने वाली प्रमुख मछलियाँ हैं।
- अपतटीय क्षेत्र- जापान में तटीय भागों से दूर गहरे सागरीय जल में शक्तिचालक नावों, स्टीमरों तथा जलयानों की सहायता से मछली पकड़ने का कार्य सफलतापूर्वक किया जाता है। देश की लगभग 30 प्रतिशत मछलियाँ अपतटीय क्षेत्रों से ही प्राप्त होती हैं। टूना, स्किपर, शार्क, सारडाइन, मुलेट तथा शिपजैक इस क्षेत्र की प्रमुख मछलियाँ हैं।
जापान के मछली उत्पादक मुख्य तटीय क्षेत्र-मत्स्योत्पादन की दृष्टि से जापान में निम्नलिखित तटीय क्षेत्र सर्वप्रमुख हैं-
- होकैडो क्षेत्र- मत्स्योत्पादन की दृष्टि से यह जापान का सर्वप्रमुख क्षेत्र है। इस क्षेत्र से प्रतिवर्ष जापान के कुल मत्स्योत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत भाग प्राप्त होता है। इस द्वीप के समीपवर्ती सागरीय भागों में प्राचीन काल से मछलियाँ पकड़ने का कार्य होता आया है। इस भाग में कृषि के लिए लघु उत्पादक समय होता है जिससे कृषक वर्ष के शेष भाग में बेकार रहते हैं, साथ ही कृषि योग्य भूमि की कमी भी है। इस कारण इस क्षेत्र के अधिकांश निवासी मत्स्य व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। यहाँ पकड़ी जाने वाली मछलियों में हेरिंग, सालमन, क्रेब तथा वीड प्रमुख हैं। इस क्षेत्र में हेकोडेट, अवाशिरी तथा वाकाना प्रमुख मत्स्य केन्द्र हैं।
- उत्तरी होन्शू क्षेत्र- यह जापान का दूसरा प्रमुख मछली उत्पादक क्षेत्र है। वर्तमान में यहाँ देश की मदलियों का लगभग 15 प्रतिशत उत्पादन होता है। यहाँ के प्रधान केन्द्र अमोरी, कामैशी तथा निगाता है। यहाँ पर पकड़ी जाने वाली मछलियाँ सुखाकर डिब्बों में बन्द करके वाहर भेजी जाती हैं।
- दक्षिणी जापान का क्षेत्र- इस क्षेत्र के अन्तर्गत मदलियों का अपार भण्डार है। इसमें क्यूशू, शिकोकू तथा दक्षिणी होन्शू के निकटवर्ती समुद्र एवं आनतरिक सागर सम्मिलित है। आनतरिक सागर समुद्री तूफानों से सुरक्षित रहता है। यहाँ पकड़ी जाने वाली मछलियाँ स्वादिष्ट होती हैं अतः इनकी माँग अधिक है। वर्तमान में यह क्षेत्र जापान के कुल मछली उत्पादन का लगभग 10 प्रतिशत भाग उत्पन्न करता है। यहाँ के प्रमुख मछली उत्पादन केन्द्र ओवासी, टोवाता, फुकोका तथा नागासाकी हैं।
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