भूगोल / Geography

औपचारिक पर्यावरण शैक्षिक पाठ्यक्रम | औपचारिक पर्यावरण शैक्षिक कार्यक्रम

औपचारिक पर्यावरण शैक्षिक पाठ्यक्रम | औपचारिक पर्यावरण शैक्षिक कार्यक्रम

औपचारिक पर्यावरण शिक्षा पाठ्यक्रम

इस श्रेणी में देश का सबसे बड़ा समूह विद्यार्थी जगत आता है जो विभिन्न स्तरों (जैसे पूर्व-प्राथमिक स्तर, प्राथमिक स्तर, उच्च प्राथमिक, सैकंडरी और विश्वविद्यालयी स्तर) पर पर्यावरण शिक्षा का अध्ययन करता है जिसके द्वारा यह विद्यार्थी जगत स्वयं अपना जीवन सँवारे, अपने परिवार का मार्गदर्शन करे, समाज को दिशा दे, देश को पर्यावरण की समस्याओं से बचाये और अन्तर्राष्ट्रीय प्रयासों में सहयोग करें।

विस्तृत कार्यक्रम को निम्नलिखित बिन्दुओं में दर्शाया जा सकता है-

(अ) पर्यावरण, पृथ्वी और पारिस्थितिकी (Environment, Earth and Ecology)

(1) अपना पर्यावरण

(2) सौरमंडल (Solar System)

(3) पृथ्वी (Earth)

(4) पारिस्थितिकी (Ecology)

(ब) प्राकृतिक संसाधन, वन एवं वन्य जीव और ऊर्जा (Natural reasources, Forests, Wildlife and Energy)-

(1) प्राकृतिक संसाधन (Natural Resources)

(2) जैव-विविधता (Biodiversity)

(3) वायु (Air)

(4) जल (Water)

(5) भूमि (Land)

(6) वन (Forest)

(7) सामाजिक वानिकी (Social forestry)

(8) वन्य जीव (Wild Life)

(9) राष्ट्रीय उद्यान और वन अभयारण्य (National Parks and Wildlife Sanctuaries)

(10) ऊर्जा (Energy)

(स) पर्यावरण प्रदूषण, समस्याएँ और कानून (Environmental Pollution, Problems and Laws)-

(1) पर्यावरणीय प्रदूषण (Environmental Pollution)

(2) पर्यावरणीय समस्याएँ (Environmental Problems)

(3) बढ़ती जनसंख्या (Growing Population)

(4) वाहन प्रदूषण (Vehicular Pollution)

(5) नैतिक प्रदूषण (Moral Pollution)

(6) ध्वनि-प्रदूषण (Noise Pollution)

(7) अपशिष्ट निस्तारण (Waste disposal)

(8) पर्यावरण कानून (Environmental Law)

(द) अन्य (Others)-

(1) स्वयंसेवी संस्थाएँ (NGOs.)

(2) पर्यावरण संरक्षण (Environment Conservation)

(3) (Environment Management)

(4) विभिन्न देशों और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण शिक्षा कार्यक्रम (Environmental

Education Programme)

विभिन्न शिक्षण स्तरों पर निम्न प्रकार विषय-वस्तु का समावेश किया जा सकता है-

  • पूर्व – प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण शिक्षा का पाठ्यक्रम-

इस स्तर पर निम्नलिखित पाठ्यक्रम का निर्माण होना चाहिए

(1) इस स्तर पर पर्यावरण शिक्षा के किसी औपचारिक व नियमित पाठ्यक्रम की आवश्यकता नहीं होती।

(2) इस स्तर पर पर्यावरण से सम्बन्धित विभिन्न रंगीन चित्रों, पोस्टरों, कहानियों व अभिनय आदि के द्वारा पर्यावरणीय ज्ञान दिया जाना चाहिए।

(3) इस स्तर पर बच्चों को अनेक प्राकृतिक स्थलों; जैसे- नदी, झरना, तालाब, खेत, बाग-बगीचे, पर्वत आदि दिखाने चाहिए।

(4) वृक्षों , जानवरों, प्राकृतिक स्थलों से सम्बन्धित पौराणिक कहानियाँ सुनाकर बच्चों को प्रेरित किया जाना चाहिए।

(5) इस स्तर पर बच्चों में पशुओं, पेड़-पौधों, पक्षियों के प्रति प्रेम, दया एवं सहानुभूति की भावना विकसित करनी चाहिए।

(6) इस स्तर पर बच्चों द्वारा पूछे गये अत्यधिक कौतूहल पूर्ण प्रश्नों के उत्तर धैर्यपूर्वक देते हुए विभिन्न माध्यमों से उनकी जिज्ञासा बढ़ानी चाहिए।

(7) इस स्तर के बच्चे कल्पनाशील होते हैं अतः उनकी कल्पनाशक्ति को और विकसित करना चाहिए।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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