भारतीय जनतंत्र की शिक्षा | जनतंत्र को शिक्षा द्वारा सफल बनाना

भारतीय जनतंत्र की शिक्षा | जनतंत्र को शिक्षा द्वारा सफल बनाना भारतीय जनतंत्र की शिक्षा भारत का राए अब एक जनतंत्र घोषित कर दिया गया है और उसका संविधान भी उसी आधार पर बना है जिसके प्रारम्भ में ही स्वतंत्रता, समानता, भ्रातृता और सामाजिक न्याय के पालन का प्रण किया गया है। शिक्षा की व्यवस्था…

जनतंत्र और शिक्षा | शिक्षा में जनतंत्र का अर्थ | जनतंत्र में शिक्षा की आवश्यकता | जनतंत्र में शिक्षा के उद्देश्य

जनतंत्र और शिक्षा | शिक्षा में जनतंत्र का अर्थ | जनतंत्र में शिक्षा की आवश्यकता | जनतंत्र में शिक्षा के उद्देश्य जनतंत्र और शिक्षा ‘जनतंत्रीय सरकार की माँग शिक्षित जनता है।” ऐसी स्थिति में जनतंत्र और शिक्षा में अत्यन्त निकट का सम्बन्ध होता है और शिक्षा एक आवश्यकता भी होती है। अतएव कुछ विद्वानों ने…

जनतंत्र का अर्थ | जनतंत्र के मूलतत्व | जनतंत्र की विशेषताएँ

जनतंत्र का अर्थ | जनतंत्र के मूलतत्व | जनतंत्र की विशेषताएँ प्राचीन समय से आज तक जनतंत्र, लोकतंत्र अथवा प्रजातंत्र एक प्रिय शासन व सामाजिक संगठन रहा है जिसमें जनता के हित एवं कल्याण की भावना लेकर समाज तथा राज्य और राज्य की शिक्षा, उसके जीवन सभी को संगठित किया गया। आधुनिक समय में जनतंत्र…

व्यक्ति और समाज | शिक्षा के वैयक्तिक और सामाजिक उद्देश्य | व्यक्ति तथा समाज के बीच सम्बन्ध

व्यक्ति और समाज | शिक्षा के वैयक्तिक और सामाजिक उद्देश्य | व्यक्ति तथा समाज के बीच सम्बन्ध व्यक्ति और समाज संसार की ओर देखने से हमें बहुत सी चीजें मिलती हैं-मनुष्य, पक्षी, पेड़ और पौधे। यदि ध्यान देकर देखा जावे तो कुछ रहस्य भी ज्ञात होते हैं। सारे विश्व में जो भी चीज है वह…

भारतीय यथार्थवाद | न्याय-वैशेषिक दर्शन में यथार्थवाद | भारतीय दर्शन में व्यावहारिकतावादी प्रवृत्ति | व्यावहारिकतावाद का अर्थ | भारतीय दर्शन में व्यावहारिक प्रवृत्ति

भारतीय यथार्थवाद | न्याय-वैशेषिक दर्शन में यथार्थवाद | भारतीय दर्शन में व्यावहारिकतावादी प्रवृत्ति | व्यावहारिकतावाद का अर्थ | भारतीय दर्शन में व्यावहारिक प्रवृत्ति भारतीय यथार्थवाद आदर्शवाद विचार जगत से सम्बन्ध रखता है परन्तु जयन्त भट्ट ने तर्क दिया है कि “हम क्यों केवल विचारों की यथार्थता को माने जब कि हम बाह्य संसार को प्रत्यक्ष…

भारतीय दर्शन का तात्पर्य | दर्शन का अर्थ | फिलॉसफी से दर्शन की भिन्नता | भारतीय आदर्शवाद

भारतीय दर्शन का तात्पर्य | दर्शन का अर्थ | फिलॉसफी से दर्शन की भिन्नता | भारतीय आदर्शवाद भारतीय दर्शन का तात्पर्य भारत प्राचीन काल से ही चिन्तन-मनन में बहुत आगे रहा है और इस कारण यहाँ चिन्तन की अजस्र धारा बहती रही। आज भी भारतीय चिन्तन-धारा का प्रवाह रुका नहीं है यधपि उसकी शैली और…

शिक्षा में यथार्थवाद | यथार्थवाद के अनुसार शिक्षा का तात्पर्य | यथार्थवाद के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य

शिक्षा में यथार्थवाद | यथार्थवाद के अनुसार शिक्षा का तात्पर्य | यथार्थवाद के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य शिक्षा में यथार्थवाद शिक्षा के क्षेत्र में आदर्शवाद, प्रकृतिवाद एवं प्रयोजनवाद के समान ही यथार्थवाद का भी प्रयोग हुआ है और इस दार्शनिक विचारधारा ने शिक्षा के अर्थ, उद्देश्य, विधि, पाठ्यक्रम, अनुशासन, शिक्षक, शिक्षार्थी एवं शिक्षालय को अच्छी…

यथार्थवाद की विशेषताएँ | यथार्थवाद के सिद्धान्त

यथार्थवाद की विशेषताएँ | यथार्थवाद के सिद्धान्त यथार्थवाद की विशेषताएँ दार्शनिकों के द्वारा यथार्थवाद की कुछ विशेषताएँ बताई गई हैं जिन्हें हम यहाँ दे रहे हैं:- (i) प्रत्यक्ष जगत की सत्यता में विश्वास- यथार्थवादी प्रो० रॉस के शब्दों से सहमत हैं, “ऐ आदर्शवादियों, तुम्हारा कथन सत्य नहीं है। संसार विचार कदापि नहीं हो सकता है।…

यथार्थवाद | यथार्थवाद का तात्पर्य | शिक्षा में यथार्थवाद | यथार्थवाद के रूप | यथार्थवाद के विभिन्न प्रकार

यथार्थवाद | यथार्थवाद का तात्पर्य | शिक्षा में यथार्थवाद | यथार्थवाद के रूप | यथार्थवाद के विभिन्न प्रकार यथार्थवाद पिछले अध्यायों में आदर्शवाद, प्रकृतिवाद के दर्शनों पर विचार किया गया है। आदर्शवाद का दर्शन विचार जगत एवं उसकी वस्तु पर ध्यान केन्द्रित करता है और इन्हें ही वास्तविक मानता है-‘ब्रह्म एवं सत्यं जगत् मिथ्या’ ।…