उपभोग का मनोवैज्ञानिक नियम | उपभोग के मनोवैज्ञानिक नियम के तीन निर्देश | उपभोग के मनोवैज्ञानिक नियम की मान्यताएं या सीमाएं | उपभोग फलन की सीमाएँ

उपभोग का मनोवैज्ञानिक नियम | उपभोग के मनोवैज्ञानिक नियम के तीन निर्देश | उपभोग के मनोवैज्ञानिक नियम की मान्यताएं या सीमाएं | उपभोग फलन की सीमाएँ उपभोग का मनोवैज्ञानिक नियम (Psychological Law of Consumption) आय, उत्पादन तथा रोजगार सम्बन्धी विश्लेषण में केन्ज के उपभोग के मनोवैज्ञानिक नियम का बहुत अधिक महत्व है। इस नियम के…

उपभोग फलन के निर्धारक तत्त्व | उपभोग प्रवृत्ति के निर्धारक तत्त्व | विषयगत तत्व | वस्तुगत तत्व

उपभोग फलन के निर्धारक तत्त्व | उपभोग प्रवृत्ति के निर्धारक तत्त्व | विषयगत तत्व | वस्तुगत तत्व उपभोग फलन या उपभोग प्रवृत्ति के निर्धारक तत्त्व (Factors Determining Consumption Function or Propensity to Consume) विषयगत तत्व (Subjective Factors)- विषयगत या भावगत तत्वों में मुख्यत: मानव प्रकृति की मनोवैज्ञानिक विशेषताएं, सामाजिक व्यवहार व संस्थाएँ तथा संस्थागत प्रबन्धों…

उपभोग फलन | उपभोग प्रवृत्ति | उपभोग प्रवृत्ति का अर्थ | उपभोग फलन की विशेषताएँ | उपभोग प्रवृत्ति के प्रकार

उपभोग फलन | उपभोग प्रवृत्ति | उपभोग प्रवृत्ति का अर्थ | उपभोग फलन की विशेषताएँ | उपभोग प्रवृत्ति के प्रकार उपभोग फलन अथवा उपभोग प्रवृत्ति (Consumption Function or propensity to Consume) उपभोग प्रवृत्ति का अर्थ (Meaning of Propensity to Consume) आय और उपभोग व्यय के सम्बन्ध को ही उपभोग फलन या उपभोग प्रवृत्ति कहा जाता…

सम्पत्ति प्रभाव | सम्पत्ति प्रभाव पर डॉन पैटिन किन की व्याख्या | मुद्रा की पूर्ति में वृद्धि का प्रभाव

सम्पत्ति प्रभाव | सम्पत्ति प्रभाव पर डॉन पैटिन किन की व्याख्या | मुद्रा की पूर्ति में वृद्धि का प्रभाव सम्पत्ति प्रभाव पीगू प्रभाव के समान राष्ट्रीय उत्पादन, रोजगार, आय एवं उपभोग से सम्बन्धित एक अन्य प्रभाव सम्पत्ति प्रभाव है इस प्रभाव की चर्चा भिन्न-भिन्न समय में अनेक अर्थशास्त्रियों ने की है जिनमें से कुछ प्रमुख…

पीगू प्रभाव | पीगू प्रभाव की क्रियाशीलता | पीगू प्रभाव की आलोचना

पीगू प्रभाव | पीगू प्रभाव की क्रियाशीलता | पीगू प्रभाव की आलोचना पीगू प्रभाव प्रो० जे०बी०से द्वारा प्रतिपादित रोजगार का प्रतिष्ठित सिद्धान्त अर्थव्यवस्था में पूर्णरोजगार की परिकल्पना करता है क्योंकि उनके अनुसार वस्तु एवं साधन बाजार में माँग एवं पूर्ति के मध्य स्वचालन की प्रक्रिया स्वतः पूर्ण रोजगार की स्थापना करेगी परन्तु समकालीन अर्थशास्त्री ए०सी०…

कीन्स के रोजगार सिद्धान्त की आलोचना | कीन्स का सिद्धान्त तथा अल्पविकसित देश

कीन्स के रोजगार सिद्धान्त की आलोचना | कीन्स का सिद्धान्त तथा अल्पविकसित देश कीन्स के रोजगार सिद्धान्त की आलोचना अल्प रोजगार के विचार को प्रतिष्ठित विद्वानों के पूर्ण रोजगार के विचार की अपेक्षा अधिक मान्यता प्राप्त है परन्तु फिर भी कीन्स की धारणा आलोचनाओं से दोषमुक्त नहीं है। इनकी आलोचना प्रमुख रूप से प्रो० हेबरलर,…

कीन्सीय अर्थशास्त्र | कीन्सीय अर्थशास्त्र में का आलोचनात्मक मूल्यांकन | कीन्सीय अर्थशास्त्र में प्रस्तुत आय | कीन्सीय अर्थशास्त्र में रोजगार माडल

कीन्सीय अर्थशास्त्र | कीन्सीय अर्थशास्त्र में का आलोचनात्मक मूल्यांकन | कीन्सीय अर्थशास्त्र में प्रस्तुत आय | कीन्सीय अर्थशास्त्र में रोजगार माडल कीन्सीय अर्थशास्त्र 1936 में “जनरल थ्योरी” में प्रस्तुत मन्दीकालीन अर्थशास्त्र के अन्तर्गत कीन्स का केन्द्र बिन्दु अल्प रोजगार साम्य था। प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों की मान्यता पूर्ण रोजगार की थी, उन्होंने अल्प रोजगार की स्थिति का…

विकुंचित माँग वक्र परिकल्पना | विकुंचित माँग वक्र | विकुंचित माँग रेखा के सिद्धान्त की आलोचना

विकुंचित माँग वक्र परिकल्पना | विकुंचित माँग वक्र | विकुंचित माँग रेखा के सिद्धान्त की आलोचना विकुंचित माँग वक्र परिकल्पना का परीक्षण अल्पाधिकार में कीमत स्थिरता के सम्बन्ध में बहुत-सी व्याख्याएँ प्रस्तुत की गयी हैं परन्तु सबसे लोकप्रिय व्याख्या विकुंचित (Kinked) माँग वक्र परिकल्पना की है। विकुंचित माँग वक्र परिकल्पना का प्रतिपादन पॉल एम० स्वीजी…

अल्पाधिकार में कीमत जड़ता | चैम्बरलिन का अल्पाधिकार मॉडल | गठबन्धनहीन अल्पाधिकार

अल्पाधिकार में कीमत जड़ता | चैम्बरलिन का अल्पाधिकार मॉडल | गठबन्धनहीन अल्पाधिकार अल्पाधिकार में कीमत जड़ता गठबंधनहीन अल्पाधिकार में फर्मे स्वतन्त्रत रूप से गुप्त या स्पष्ट गठबन्धन में नहीं होती फिर भी स्वतन्त्र रूप से वस्तु की एक कीमत निर्धारित हो सकती है। परन्तु यह तभी हो सकता है जब सब फर्मों के मध्य बाजार…