काव्य में बिम्ब-विधान | काव्य बिम्ब का कार्य या उद्देश्य | बिम्ब के गुण एवं तत्व | बिम्बों का वर्गीकरण

काव्य में बिम्ब-विधान | काव्य बिम्ब का कार्य या उद्देश्य | बिम्ब के गुण एवं तत्व | बिम्बों का वर्गीकरण काव्य में बिम्ब-विधान ‘बिम्ब-विधान’ काव्य-शिल्प का आधुनिक सिद्धान्त है। प्राचीन भारतीय आचार्य ने काव्य की विवेचन करते हुए अपने सिद्धान्तों में कहीं भी ‘बिम्ब’ को काव्य-विवेचन का आधार नहीं बनाया है। पाश्चात्य काव्य जगत में…

काव्यभाषा का स्वरूप | काव्यभाषा एवं सामान्य भाषा में अन्तर

काव्यभाषा का स्वरूप | काव्यभाषा एवं सामान्य भाषा में अन्तर काव्यभाषा का स्वरूप काव्य भाषा विश्व साहित्य में हमेशा से ही महत्वपूर्ण रही है। यूनानी विचारकों ने भी कवि कर्म में भाषा को ही प्रधानता दी है और भारतीय काव्यशास्त्र में भाषा को साहित्य में बहुत महत्व दिया है। आम बोलचाल की भाषा में निरन्तर…

अवधी भाषा का सामान्य परिचय | भोजपुरी भाषा का सामान्य परिचय | अवधी भाषा की विशेषताएँ | भोजपुरी भाषा की विशेषताएँ

अवधी भाषा का सामान्य परिचय | भोजपुरी भाषा का सामान्य परिचय | अवधी भाषा की विशेषताएँ | भोजपुरी भाषा की विशेषताएँ अवधी भाषा का सामान्य परिचय अवधी का विकास अर्धमागधी से माना जाता है। अर्धमागधी का जो साहित्यिक रूप उपलब्ध है, उसमें अवधी की कुछ प्राचीन विशेषताएं दृष्टिगत होती हैं। डॉ. बाबूराम सक्सेना का मत…

राष्ट्र भाषा का सामान्य अर्थ | राजभाषा की परिभाषा | राजभाषा की संवैधानिक स्थिति | राजभाषा और राष्ट्रभाषा में अंतर

राष्ट्र भाषा का सामान्य अर्थ | राजभाषा की परिभाषा | राजभाषा की संवैधानिक स्थिति | राजभाषा और राष्ट्रभाषा में अंतर राष्ट्र भाषा का सामान्य अर्थ है- सम्पूर्ण राष्ट्र की भाषा। किसी भी देश में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं, उन सभी को राष्ट्र भाषा का दर्जा प्राप्त नहीं होता। राष्ट्र भाषा वही भाषा हो सकती…

रेखाचित्र से आप क्या समझाते हैं?  | रेखाचित्र एवं कहानी में अंतर | रेखाचित्र और संस्मरण में अन्तर

रेखाचित्र से आप क्या समझाते हैं?  | रेखाचित्र एवं कहानी में अंतर | रेखाचित्र और संस्मरण में अन्तर रेखाचित्र से आप क्या समझाते हैं? रेखाचित्र अंग्रेजी के ‘स्केच’ (sketches) का पर्यायवाची शब्द है। पाश्चात्य साहित्य में रेखाचित्रों की एक समृद्ध परम्परा रहीं है। यह ‘स्केच’ शब्द चित्रकला का शब्द है। स्केच उन चित्रों को कहते…

प्रयोगवाद का उद्भव और विकास | प्रयोगवादी काव्य की प्रवृत्तियाँ | प्रसाद के काव्य में छायावाद | रीतिकाल का नामकरण एवं वर्गीकरण

प्रयोगवाद का उद्भव और विकास | प्रयोगवादी काव्य की प्रवृत्तियाँ | प्रसाद के काव्य में छायावाद | रीतिकाल का नामकरण एवं वर्गीकरण प्रयोगवाद का उद्भव और विकास इसके आविर्भाव के विषय में विद्वानों में मतैक्य नहीं। डॉ0 नामवर सिंह प्रयोगवाद का आरम्भ 1940 ई0 मानते हैं, किन्तु डॉ0 देवीशंकर अवस्थी प्रयोगवादी कविता के बीच छायावादेत्तर…

समकालीन कविता | साठोत्तर कविता | विचार कविता | समकालीन कविता की प्रमुख विशेषताएं

समकालीन कविता | साठोत्तर कविता | विचार कविता | समकालीन कविता की प्रमुख विशेषताएं समकालीन कविता सन् 1960 के बाद की कविता को अनेक नाम से जाना जाता है, जिनमें प्रमुख सगोत्तरी कविता, समकालीन कविता, अकविता अस्वकृत कविता, वीट कविता तथा सहज कविता आदि। इन अनेक नामों का अभिप्राय यह है कि सठोत्तरी या समकालीन…

हिन्दी उपन्यास का उद्भव एवं विकास | हिन्दी उपन्यास के उद्भव एवं विकास में प्रेमचन्द के योगदान

हिन्दी उपन्यास का उद्भव एवं विकास | हिन्दी उपन्यास के उद्भव एवं विकास में प्रेमचन्द के योगदान हिन्दी उपन्यास का उद्भव एवं विकास प्रेमचन्द के यथार्थवाद से पूर्व-हिन्दी उपन्यास साहित्य पाठकों के मनोरंजन की वस्तु और उसके मन बहलाने का खिलौना था। प्रेमचन्द के पूर्ववर्ती उपन्यास-साहित्य के सृजन-काल को उपन्यासों का बाल्यकाल कह सकते हैं…

हिन्दी आलोचना का विकास | हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा

हिन्दी आलोचना का विकास | हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा हिन्दी आलोचना का विकास हिन्दी साहित्येतिहास लेखन की अनेक समस्या है। सभी समस्याओं का समाधान होना सम्भव भी नहीं है, परन्तु इन समस्याओं के उपस्थित होने से नये इतिहास लेखकों में जागरूकता रहेगी। साहित्य का सदैव नूतन विकास होता रहता है। वह वढ़ता…