भारत में आर्थिक विषमता | अर्थव्यवस्था में आय के वितरण का महत्त्व | भारत में आर्थिक विषमताओं के कारण | आर्थिक विषमताओं को दूर करने के उपाय

भारत में आर्थिक विषमता | अर्थव्यवस्था में आय के वितरण का महत्त्व | भारत में आर्थिक विषमताओं के कारण | आर्थिक विषमताओं को दूर करने के उपाय भारत में आर्थिक विषमता किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था का सही ढंग से आर्थिक विकास हो रहा है अथवा नहीं। इस बात की जानकारी हमें केवल उस राष्ट्र…

गरीबी को दूर करने के उपाय | गरीबी दूर करने के सरकार द्वारा किये गये प्रयास

गरीबी को दूर करने के उपाय | गरीबी दूर करने के सरकार द्वारा किये गये प्रयास गरीबी को दूर करने के उपाय गरीबी अथवा निर्धनता को दूर करने के उपाय एवं सरकार द्वारा किये गये प्रयास (Suggestions to Remove Poverty and attempt by Govt.) उपर्युक्त विवेचन से यह पूर्ण रूप से स्पष्ट है कि भारत…

निर्धनता का विचार | भारत में निर्धनता का दृष्टिकोण | भारत में निर्धनता के प्रमुख कारण | गरीबी का विचार | भारत में गरीबी का दृष्टिकोण | भारत में गरीबी के प्रमुख कारण

निर्धनता का विचार | भारत में निर्धनता का दृष्टिकोण | भारत में निर्धनता के प्रमुख कारण | गरीबी का विचार | भारत में गरीबी का दृष्टिकोण | भारत में गरीबी के प्रमुख कारण गरीबी अथवा निर्धनता का विचार (The Concept of Poverty)- गरीबी अथवा निर्धनता का आशय उस सामाजिक अवस्था पर जीवन से लिया जाता…

विश्व बैंक के प्रमुख उद्देश्य | विश्व बैंक से प्राप्त ऋणों से भारत को लाभ

विश्व बैंक के प्रमुख उद्देश्य | विश्व बैंक से प्राप्त ऋणों से भारत को लाभ विश्व बैंक के प्रमुख उद्देश्य भारत और विश्व बैंक भारत ने प्रारम्भ में ही विश्व बैंक की सदस्यता प्राप्त कर ली थी। अत: वह बैंक के मौलिक सदस्यों में से एक है। उसकी प्रारम्भिक पूँजी 40 करोड़ डालर निर्धारित हुई…

विश्व बैंक की उपलब्धि | विश्व बैंक की आलोचना

विश्व बैंक की उपलब्धि | विश्व बैंक की आलोचना विश्व बैंक की उपलब्धि 1947 तक विश्व बैंक का कार्य पुनर्निर्माण से सम्बन्धित रहा। उसने 4 पुनर्निर्माण ऋण दिए, जिनकी कुल राशि 497 मि० डालर थी और वे फ्रांस, नीदरलैण्ड, डेनमार्क और लक्समबर्ग को दिए गए थे। 1947 के बाद सभी ऋण विकास कार्यों के लिए…

अन्तर्राष्ट्रीय बैंक | विश्व बैंक के उद्देश्य | विश्व बैंक की सदस्यता एवं संगठन | विश्व बैंक के कार्यों की प्रगति

अन्तर्राष्ट्रीय बैंक | विश्व बैंक के उद्देश्य | विश्व बैंक की सदस्यता एवं संगठन | विश्व बैंक के कार्यों की प्रगति अन्तर्राष्ट्रीय बैंक विश्व बैंक की स्थापना मुद्रा-कोष की एक पूरक संस्था के रूप में 27 दिसम्बर, 1947 को हुई और 25 जून, 1948 से इसने कार्य आरम्भ किया। जबकि मुद्रा-कोष ‘स्थायित्व’ पर जोर देता…

अन्तर्राष्ट्रीय तरलता | अन्तर्राष्ट्रीय तरलता की समस्या | अन्तर्राष्ट्रीय तरलता का महत्व | विशेष आहरण अधिकार | विशेष आहरण अधिकारों की विशेषताएँ | सामान्य ऋण अधिकारों में भिन्नता

अन्तर्राष्ट्रीय तरलता | अन्तर्राष्ट्रीय तरलता की समस्या | अन्तर्राष्ट्रीय तरलता का महत्व | विशेष आहरण अधिकार | विशेष आहरण अधिकारों की विशेषताएँ | सामान्य ऋण अधिकारों में भिन्नता अन्तर्राष्ट्रीय तरलता कीथ होर्सफील्ड के अनुसार, “अन्तर्राष्ट्रीय तरलता से आशय विश्व के स्वर्ण कोष या मुद्रा की पूर्ति से लगाया जाता है, जिसका स्वतन्त्र रूप से अन्तर्राष्ट्रीय…

भारत और मुद्रा-कोष | भारत के मुद्रा-कोष की सदस्यता से लाभ | विकासशील देश में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा-कोष की भूमिका

भारत और मुद्रा-कोष | भारत के मुद्रा-कोष की सदस्यता से लाभ | विकासशील देश में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा-कोष की भूमिका भारत और मुद्रा-कोष (India and I.M.F.) भारत का मुद्रा कोष से घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है और उसकी नीति-निर्माण और कार्य-संचालन में भारत निरन्तर योगदान देता रहा है। समय-समय पर आर्थिक सहायता और परामर्श द्वारा भारत भी…

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा-कोष की सफलताएँ | Achievements of I.M.F. in Hindi

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा-कोष की सफलताएँ | Achievements of I.M.F. in Hindi अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा-कोष की सफलताएँ (Achievements of I.M.F.) अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा-कोष की स्थापना का मूल उद्देश्य विश्व की मौद्रिक-व्यवस्था का सन्तुलन एवं नियमन, विदेशी भुगतानों की समुचित व्यवस्था, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार पर लगे प्रतिबन्धों को हटाकर उसका सम्बर्द्धन और विश्व का उत्पादन बढ़ाकर पूर्ण रोजगार की स्थिति उत्पन्न…