
हेगल का राजनीतिक दर्शन में योगदान | Hegel’s Contribution to Political Philosophy in Hindi
हेगल का राजनीतिक दर्शन में योगदान
हेगल विश्व का सबसे अधिक महत्वपूर्ण तथा उर्वर विचारक है। उसने राजनीतिक कल्पना पर विश्व-व्यापी प्रभाव डाला। फिर भी कुछ विचारकों को छोड़ कर इंग्लैण्ड में उसके अनुयायियों की संख्या अधिक न थी। उसकी उलझनदार विचार शैली साधारण बुद्धि वाले अंग्रेज दार्शनिकों को अच्छी न लगी। इसके अतिरिक्त एक अंग्रेज को अपनी स्वतंत्रता सबसे प्यारी है जो कि हेगल का दर्शन उससे छीनता पता लगता था। हेगल ने आधुनिक विचार को निम्न ढंग से प्रभावित किया –
(1) उसके द्वन्द्वात्मक तर्क को मार्क्स ने अपने दर्शन की आधारशिला बनाया। जैसा कि हमें ज्ञात है मार्क्स के विचार विश्व की एक-तिहाई आबादी पर छा गए हैं। चाहे मार्क्स ने द्वन्द्वात्मक तर्क को एक यथार्थवादी व्याख्या की और इस कल्पना से बिल्कुल उलट परिणाम निकाले, फिर भी आज हेगल को ऐसे शक्तिशाली विचार का जनक तथा पोषक समझा जाता है।
(2) उसका राज्य का सिद्धान्त एक गतिमान सिद्धान्त था। राज्य की कार्य विधियों का नारा, ‘निरन्तर प्रगति’ था। चाहे अन्त में उसके सिद्धान्त का परिणाम पुरातनवाद निकला, फिर भी उसका उन्नतिशील राज्य का विचार सम्मान-योग्य है । राज्य की स्वाभाविक उन्नति तो जारी रहनी ही चाहिए।
(3) हेगल आधुनिक युग की फैसिस्ट विचारधारा का भी पिता है। हेगल की राज्य की रहस्यवादी आदर्श कल्पना फैसिस्ट विचारकों द्वारा अपनाई गई थी। हेगल ने राज्य के बारे में यूनानी विचार को कि “राज्य संस्कृति का सुनियंत्रित जीवन होता है” पुनः स्थापित किया। उसने राज्य को न केवल एक अलग व्यक्तित्व से समन्वित किया बल्कि इसे नैतिक पूर्णता भी दी जिसने इसे सब मानवीय चीजों पर आधिपत्य दे दिया।
(4) हेगल के सिद्धान्त का महत्व इस बात में है कि यह मनुष्य की समाज पर निर्भरता का प्रतिपादन करता है। वह यह दिखाने में बिल्कुल ठीक है कि मनुष्य समाज द्वारा कितना प्रभावित होता है, उसने समाज तथा राज्य के सच्चे महत्व को मनुष्य के नैतिक उद्देश्य के रूप में समझा। यदि इसको मनुष्य का नैतिक उद्देश्य न बनाया जाता, तो वह अपनी सनकी तरंगों द्वारा पथभ्रष्ट कर दिया जाता।
(5) हेगल ने तार्किक संकल्प तथा यथातथ्य संकल्प के विचार को इसके तर्कसंगत परिणाम तक पहुंचा दिया है, तार्किक-संकल्प को कि मनुष्य के मन वरिष्ठ भाग का प्रतिनिधित्व करता है उस स्वार्थ पर छा जाना चाहिए जिसका प्रतिनिधित्व यथातथ्य-संकल्प द्वारा किया जाता है।
(6) उसने राज्य के संविदा सम्बन्धी सिद्धान्त को भली प्रकार दफना दिया। एक कृत्रिम संविदा राज्य का आधार नहीं हो सकती। राज्य का मूलाधार मानवता की स्वाभाविक सहज प्रवृत्तियां हेती हैं। हेगल के बाद संविदा के सिद्धान्त का प्रभुत्व सम्पूर्णतः समाप्त हो गया।
(7) हंगल ने विश्व को राष्ट्र-राज्य का सिद्धान्त प्रदान किया। वह आधुनिक राष्ट्र राज्यों का जनक है। राष्ट्रीयता के सिद्धान्त ने राजनीतिक संगठन के मूल आधार के रूप में हेगल. से बहुत प्रोत्साहन प्राप्त किया। उसने अपने आदर्श राज्य की ऐसी कल्पना की जो कि एक ही राष्ट्र की ऐसी जनंसख्या द्वारा निर्मित होगा जो भौगोलिक तौर पर अलग-थलग होते हुए भी आर्थिक रुप से आत्म-निर्भर होगी। उसके विचारों का इतना बड़ा प्रभाव पड़ा कि कई राज्य एक व्यवहार्थ राष्ट्र-राज्य का निर्माण करने के लिए भावनात्मक रूप में संगठित हो गए।
(8) उसके सिद्धान्तों का उसकी मातृभूति प्रशिया की समकालीन राजनीतिक उन्नति पर बहुत प्रभाव पड़ा। बिस्मार्क की राजनीति हेगल के सिद्धान्तों के विकास के अतिरिक्त और कुछ न थी। समकालीन प्रशियन नरेश तथा उस युग के सब बुद्धिमान व्यक्ति उसका बहुत सम्मान करते थे। सेबाईन ने ठीक ही कहा है कि उसका दर्शन “आधुनिक विचार के पूर्ण और सुव्यवस्थित पुनर्निर्माण” के अतिरिक्त कुछ न था। उसके प्रशंसकों का आज विचार है केवल वह अकेला ही दार्शनिक कल्पना के अन्तिम सत्य तक पहुंच सका था। राजनीतिक विचार के सुनहरे इतिहास में उसका अमर स्थान निश्चित है।
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