हरबर्ट जॉन फ्ल्यूर

हरबर्ट जॉन फ्ल्यूर – ब्रिटिश भुगोलावेत्ता (Herbert John Fleure – British Geographers)

हरबर्ट जॉन फ्ल्यूर – ब्रिटिश भुगोलावेत्ता (Herbert John Fleure – British Geographers)

हरबर्ट जॉन फ्ल्यूर (1877-1968) ब्रिटेन के प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता और मानव विज्ञानी (anthropologist) थे। फ्लूर का जन्म 1877 में गुवर्नसी (ब्रिटेन) में हुआ था। फ्ल्यूर ने जन्तु विज्ञान, वनस्पत्ति विज्ञान, भू विज्ञान और भूगोल विषयों में शिक्षा प्राप्त की थी। डार्विन के विकासवादी विचारधारा से फ्ल्यूर काफी प्रभावित थे और उनकी अभिरुचि मानव और उसके पर्यावरण के पारस्परिक सम्बंधों के विश्लेषण में थी। फ्ल्यूर मानचेस्टर विश्वविद्यालय में भूगोल के प्रोफेसर रहे थे। उनका कार्य मुख्य रूप से मानव भूगोल और नगरीय भूगोल से सम्बंधित था।

हरबर्ट जॉन फ्ल्यूर के मतानुसार मानवीय समस्याओं के अध्ययन हेतु केवल स्थान या क्षेत्र (place or space) का ही नहीं बल्कि काल (time) और प्रकार (type) पर विचार करना भी आवश्यक होता है। फ्ल्यूर ने सर्वप्रथम 1918 में ‘पश्चिमी यूरोप में मानव भूगोल’ (Human Geography in West Europe) प्रकाशित की जिसमें ‘मानव प्रदेशों की संकल्पना (Concept of Human Regions) का विवरण दिया गया है। इसमें उन्होंने मत व्यक्त किया है कि मानव प्रदेशों का निर्माण मात्र परिस्थितियों के द्वारा नहीं होता है बल्कि मानवीय कार्यों द्वारा वह स्वयं विकसित होता है। इस प्रकार मानव प्रदेशों का निर्माण मानवीय क्रिया-कलापों के द्वारा संभव होता है। उनके अनुसार मानव प्रदेश का निर्धारण महासागरों और पर्वतों की सीमा के आधार पर अथवा जलवायु प्रदेशों के आधार पर नहीं होता है किन्तु भौतिक तत्वों का प्रभाव अवश्य पाया जाता है। इस प्रकार मानव प्रदेशों का निर्माण प्राकृतिक पर्यावरण के रूपांतरण द्वारा संभव होता है।

हरबर्ट जॉन फ्ल्यूर ने एक योग्य नगरीय भूगोलवेत्ता के रूप में नगरीय स्वरूपों का विवेचन किया और बताया कि नगर का अस्तित्व व्यापारिक क्रियाओं पर आधारित होता है। उन्होंने फ्रांस और रूस के नगरों का अध्ययन किया था। फ्ल्यूर ने नगरीय स्वरूपों पर विभिन्न ऐतिहासिक परम्पराओं के प्रभावों को स्पष्ट करने का प्रयास किया। उन्होंने नगरीय विकास पर व्यापारिक क्रिया को सर्वाधिक महत्वपूर्ण बताया और स्पष्ट करने का प्रयास किया कि अधिकांश नगर व्यापार के ऊपर आधारित होते हैं ।

उनके अनुसार, पृथ्वी पर महाद्वीपों तथा महासागरों द्वारा या पर्वतों और मैदानों द्वारा या जलवायु प्रदेशों द्वारा इतनी भिन्नता नहीं प्रदर्शित होती है जितनी भित्रताएं मानव प्रदेशों के रूप में पायी जाती हैं। मानव प्रदेश महासागरों और पर्वतों की सीमाओं को लांघ जाते हैं । किन्तु मानव प्रदेशों के निर्धारण में भौतिक प्रदेशों की पूर्ण अवहेलना नहीं की जा सकती। वास्तव में प्राकृतिक पर्यावरण को परिवर्तित करके ही मानव प्रदेश का निर्माण होता है। फ्ल्यूर के अनुसार मानव प्रदेश पृथ्वी के तल पर ऐसे क्षेत्र हैं जिसका निर्माण मानव समूहों ने प्राकृतिक पर्यावरण में रूपांतरण द्वारा किया है। सामाजिक व्यवस्था के परिवर्तन के फलस्वरूप मानव प्रदेशों में भी परिवर्तन होने लगता है।

फ्ल्यूर की प्रमुख पुस्तकें एवं लेख

(अ) पुस्तकें – फ्ल्यूर की प्रमुख पुर्तकें निम्नांकित हैं-

  1. Human Geography in Western Europe, 1918 ( पश्चिमी यूरोप में मानव भूगोल),
  2. People of Europe, 1922 (यूरोप के लोग),
  3. The Races of England and Wales8, 1923 (इंग्लैंड एवं वेल्स की प्रजातियाँ),
  4. The Races of Mankind, I927 (मानव प्रजातियाँ),
  5. French Life and Its Problems, 1942 ( फ्रांसीसी जीवन एवं इसकी समस्याएं),
  6. The Corridors of Time, 1958 (काल के पथ),
  7. The Natural History of Man in Europe, 1951 एवं 1958 (यूरोप में मानव का प्राकृतिक इतिहास)।

(ब) शोधपत्र- फ्ल्यूर के प्रमुख लेख हैं-

  1. Human Regions (मानव प्रदेश ), 1919.
  2. The Geographical Study of Society and World Problems- 1932.
  1. Geographical Thought in the Changing World (परिवर्तनशील विश्व में भौगोलिक चिन्तन), 1944.
  2. The Distribution of Types of Skin Colour (त्वचा वर्ण के प्रकारों का वितरण), 1945.

फ्ल्यूर ने अपने लेख ‘मानव प्रदेश’ (Human Regions) में मानव भूगोल के तथ्यों को तीन प्रमुख श्रेणियों में विभक्त किया है-(i) जीवन (Life), (ii) नव जीवन (New Life), और (ili) शुभ जीवन (Good Life) । उन्होंने ‘जीवन’ के अन्तर्गत आर्थिक पक्ष को, ‘नव जीवन’ के अन्तर्गत समाज तथा लिंग को, और ‘शुभ जीवन’ के अन्तर्गत संरकृति और कला को सम्मिलित किया है।

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