इलैक्ट्रॉनिक डेटा संस्थान

इलैक्ट्रॉनिक डेटा संस्थान | इलैक्ट्रॉनिक डेटा संसाधन के चरण | वर्तमान युग सूचना तकनीकी का युग है।

इलैक्ट्रॉनिक डेटा संस्थान | इलैक्ट्रॉनिक डेटा संसाधन के चरण | वर्तमान युग सूचना तकनीकी का युग है। | Electronic Data Institute in Hindi | Stages of Electronic Data Processing in Hindi | The present era is the age of information technology in Hindi

इलैक्ट्रॉनिक डेटा संस्थान

(Electronic Data Processing)

इलैक्ट्रॉनिक डेटा प्रोसेसिंग से तात्पर्य कम्प्यूटर व उससे जुड़ी हुई विभिन्न वस्तुओं जैसे की-बोर्ड, फ्लॉपी, हार्डडिस्क, प्रिंटर व मॉनीटर आदि के सम्मिलित प्रयोग से की जाने वाली क्रिया से है। इनके माध्यम से आवश्यक सूचनाएँ प्राप्त होती हैं। डेटा प्रक्रिया मात्र कम्प्यूटर द्वारा ही नहीं होती है अपितु काफी प्रक्रियात्मक कार्य मनुष्य को स्वतः पुस्तकों, फाइलों व संचार माध्यमों के द्वारा करने पड़ते हैं। कम्प्यूटर द्वारा मनुष्य इस कार्य को सुगम व सामयिक बनाता है। कम्प्यूटर के प्रयोग से उपयोगकर्ता को शुद्ध व शीघ्र डेटा मिल जाता है।

आगम (Input)- आगम से आशय है डेटा को इस प्रकार से तैयार करना जिससे कम्प्यूटर द्वारा उस पर कार्य किया जा सके अर्थात् सर्वप्रथम अथवा सूचनाओं को कम्प्यूटर में भरा जाता है। डेटा के प्रारूप के अनुरूप आगम को कम्प्यूटर में डाला जाता है। इस कार्य में पंचकार्ड, चुम्बकीय टेप व डिस्क मददगार होती हैं।

संसाधन (Processing)- संसाधन कार्य का आशय है कार्यक्रम के निर्देशों के अनुरूप डेटा पर प्रक्रियायें करना व डेटा को सार्थक रूप से रूपान्तरित करना व आवश्यकतानुसार उनको संक्षिप्त करना आदि शामिल है।

(a) डेटा प्रचलन (Data Operation)- इसके तहत डेटा का वर्गीकरण, डेटा पर गणितीय क्रियाएँ लागू करना उचित क्रम में सुव्यवस्थित करना व आवश्यकतानुसार उनको संक्षिप्त करना आदि शामिल है।

(b) डेटा प्रबंधन (Data Management)- सबसे पहले डेटा को इकट्ठा करके उसे कम्प्यूटर में स्टोर कर लिया जाता है जिससे जब कभी भी आवश्यकता पड़े उस डाटा को उपयोग किया जा सकता है। किसी भी क्रिया को करने हेतु स्टोर किये गये डेटा की पुनः प्राप्ति की जाती है और उस डेटा को सम्बंधित पक्षकार को प्रदान किया जाता है। यह समस्त प्रक्रिया डेटा का प्रबंधन करने हेतु की जाती है।

परिणाम (Result or Output)-डेटा को प्रक्रिया में भेजने के पश्चात् प्रक्रिया का कुछ न कुछ परिणाम सामने आता है, यह परिणाम ही उत्पादन कहलाता है। परिणाम किस रूप में चाहिये, यह डेटा के प्रयोग पर निर्भर करता है। यह परिणाम तालिका, ग्राफ या किसी प्रतिवेदन के रूप में हो सकता है।

इलैक्ट्रॉनिक डेटा संसाधन के चरण

(Steps of Electronic Data Processing)

डेटा को इलैक्ट्रॉनिक रूप से संसाधित करने के लिये एक चरण से दूसरे चरण की प्रक्रिया होती है जिसका वर्णन निम्न प्रकार हैं-

  1. आगम (Input)- आगम से आशय है डेटा को इस प्रकार से तैयार करने से है, जिससे कम्प्यूटर द्वारा उस पर कार्य किया जा सके अर्थात् सबसे पहले सूचनाओं अथवा संख्याओं को कम्प्यूटर में प्रविष्ट (Feed) किया जाता है। डेटा के प्रारूप के अनुसार ही तथ्यों का कम्प्यूटर में आगम (Input) किया जाता है। इस कार्य के सम्पादन में डिस्क, पंचकार्ड और चुम्बकीय टेप की मदद ली जा सकती है।
  2. प्रक्रियात्मकता (Processing) — प्रोसेसिंग अर्थात् प्रक्रियात्मक कार्य से अभिप्राय यह है कि कार्यक्रम के निर्देशों के अनुरूप डेटा पर प्रक्रियाएँ करना तथा डेटा को सार्थक रूप से रूपान्तरित करना है। डेटा पर इन प्रक्रियाओं को निम्न दो तरह से किया जाता है-

(a) डेटा प्रबंध (Data Management)- डेटा प्रबंध के तहत सर्वप्रथम डेटा को एकत्र करके उसे कम्प्यूटर में स्टोर कर लिया जाता है, जिससे जरूरत के अनुसार उस डेटा का प्रयोग किया जा सके। स्टोर किये गए डेटा को, किसी भी क्रिया को करने हेतु पुनः प्राप्ति और उससे सम्बंधित पक्षकार को प्रदान किया जा सकता है। यह समस्त प्रक्रिया डेटा के प्रबंधन के लिये की जाती है।

(b) डाटा परिचालन (Data Operation)- डेटा परिचालन के तहत सर्वप्रथम डेटा को वर्गीकृत किया जाता है। उसके बाद उसे उचित क्रम में सुव्यवस्थित करना, उस पर गणितीय क्रियाएँ लागू करना एवं जरूरत के अनुसार उनका संक्षिप्तीकरण करना आदि क्रियाओं को शामिल किया जाता है।

  1. निर्गम या परिणाम (Output or Result)- डेटा को प्रक्रिया में भेजने के पश्चात् प्रक्रिया का कुछ-न-कुछ परिणाम सामने आता है। इस परिणाम को ही निर्गम कहते हैं। परिणाम किस रूप में होगा, यहा डेटा के उपयोग पर निर्भर करता है अर्थात् यह परिणाम प्रतिवेदन ग्राफ अथवा सारणी के रूप में हो सकता है।

“वर्तमान युग सूचना तकनीकी का युग है? इस कथन की व्याख्या

“वर्तमान युग सूचना तकनीकी का युग है।”

स्पष्टीकरण- आधुनिक सूचना क्रांति के द्वारा युगान्तकारी परिवर्तन हुए हैं जिसके परिणामस्वरूप सम्पूर्ण विश्व वैश्विक गाँव में बदल गया है और विश्व समुदाय की और तेजी से अग्रसर हो रहा है। आर्थिक जगत ने इस सूचना क्रांति का भरपूर लाभ उठाया है। आज हम विश्व के किसी भी भाग से किसी से भी सम्पर्क कर सकते हैं, सूचना देख सकते हैं, पुस्तकालय में रखी पुस्तक या समाचार पत्र पढ़ सकते हैं। यह सब आधुनिक सूचना क्रांति से ही सम्भव है। वर्तमान युग सूचना तकनीकी का युग है अथवा सूचना क्रांति के निम्नलिखित आविष्कारों के द्वारा विश्व एवं विश्व गाँव में बदल गया है। इनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-

  1. इलेक्ट्रॉनिक मेल (Electronic Mail)- इलेक्ट्रॉनिक मेल सेवा, कम्प्यूटर आधारित ‘स्टोर एण्ड फॉरवर्ड’ संदेश प्रणाली है। इसमें प्रेषक और प्रेषित दोनों को एक साथ उपस्थित रहने की आवश्यकता नहीं होती। यह सेवा डाटा संचार नेटवर्क के माध्यम से विभिन्न प्रकार के पत्रों का संचारण करती है। इस सेवा में कोई भी पत्र, स्मरण-पत्र, टेण्डर या विज्ञापन आदि टंकित

 कर उसे किसी भी व्यक्ति को उसके निर्धारित पते पर भेजा जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि पत्र भेजने तथा प्राप्त करने वाले दोनों नेटवर्क से जुड़े हों। इसके लिए उपयोगकर्ता को एक डाक वॉक्स किराये पर लेना पड़ता है, तभी वह डाक प्राप्त कर सकता है या भेज सकता है।

  1. सेल्युलर फोन (Shellular Phone)- सेल्युलर टेलीफोन पद्धति में एक बड़ा क्षेत्र को छोटे-छोटे क्षेत्रों में विभाजित कर दिया जाता है। इसमें प्रत्येक क्षेत्र का अपना अलग-अलग ट्रांसमीटर होता है। उपभोक्ता के रिसीवर, जिसमें एक विशेष प्रकार का एण्टीना लगा होता है, का बटन दबाते ही उसका सम्पर्क अपने क्षेत्र के ट्रांसमीटर से स्थापित हो जाता है। प्राकृतिक आपदा की स्थिति में सेल्युलर फोन वरदान सिद्ध होता है। यह उन व्यवसायियों के लिए उपयोगी है जो अपने व्यवसाय को निरंतर गति देने के लिए यात्रा करते हैं। सेल्युलर फोन के द्वारा इण्टरनेट से जुड़ाव कायम किया सकता है। इसमें फैक्स व ई-मेल की सुविधाएँ भी प्राप्त की जा सकती है।
  2. सैटेलाइट फोन (Satellite Phone)- मोबाइल अथवा सेल्युलर फोन की भाँति सैटेलाइट फोन भी दूरसंचार प्रौद्योगिकी की अनुपम देन है। उपग्रह आधारित मोबाइल फोन का क्षेत्र सेल्युलर फोन से कहीं अधिक विस्तृत तथा व्यापक आधार वाला होता है। सैटेलाइट फोन के माध्यम से उपभोक्ता विश्व के किसी भी स्थान से किसी भी अन्य स्थान पर तुरंत सम्पर्क कायम कर सकता है। इस प्रणाली की विशेषता यह है कि एक ही हैण्डसेट से फोन, फैक्स तथा पेजिंग सेवा का उपयोग किया जा सकता है।
  3. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (Video Conferencing) – वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सचित्र सम्प्रेषण का एक महत्वपूर्ण साधन है। इसमें विभिन्न स्थानों पर उपस्थित लोग एक वास्तविक सभा की तरह ही सम्प्रेषण करते हैं। इस तकनीक के माध्यम से केवल संदेशों को ही सम्प्रेषित नहीं किया जाता, बल्कि विभिन्न सम्बंधित व्यक्तियों से सजीव वार्ता भी की जा सकती है। वर्तमान में भारत के लगभग सभी जिले वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सम्बद्ध हैं।
  4. वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web)- ई-मेल के बाद इण्टरनेट पर प्राप्त सर्वाधिक लोकप्रिय सुविधा वर्ल्ड वाइड वेब है। इसे www कहा जाता है। पहले www में केवल लिखित सामग्री ही उपलब्ध थी, किन्तु वर्तमान में इस वेब पर चित्र, कार्टून, ध्वनि इत्यादि के माध्यम से भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
  5. इण्टरनेट (Internet)— यह कम्प्यूटर प्रणाली की सबसे नवीनतम तकनीक है। इस तकनीक के द्वारा विश्व के विभिन्न स्थानों पर स्थापित कम्प्यूटर नेटवर्क को टेलीफोन लाइन की सहायता से जोड़कर एक आधुनिक अन्तर्राष्ट्रीय सम्प्रेषण मार्ग तैयार किया गया है, जिसके द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान को सूचनाओं तथा संदेशों को शीघ्रता से भेजा जा सकता है।
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