प्रबंधन सूचना प्रणाली / Management Information System

सम्प्रेषण या संचार माध्यम का अर्थ | सम्प्रेषण या संचार माध्यम

सम्प्रेषण या संचार माध्यम का अर्थ | सम्प्रेषण या संचार माध्यम | Meaning of communication or medium of communication in Hindi | communication medium in Hindi

सम्प्रेषण या संचार माध्यम का अर्थ

(Meaning of Communication Medium)

संचार माध्यम किसी भी प्रेषक व प्राप्तकर्ता के मध्य का भौतिक माध्यम होता है अर्थात् प्रेषक व प्राप्तकर्ता के मध्य स्थित भौतिक पथ, जिसके द्वारा संचार सम्भव होता है, संचार माध्यम कहलाता है। दूसरे शब्दों में, वह भौतिक पथ जिसके द्वारा वैद्युत विभव व विद्युत चुम्बकीय तरंगें आवगमन करती हैं, संचार माध्यम कहलाता है। कम्प्यूटरों द्वारा नेटवर्क सिग्नलों के आदान- प्रदान का कार्य संचार माध्यम के द्वारा ही सम्भव होता है। यह विविध रूपों में हो सकता है। ‘आँकड़ों के संचार’ के लक्षणों एवं गुणों को सिग्नल व माध्यम दोनों की प्रकृति के आधार पर मालूम किया जा सकता है। तार के द्वारा संचार (Cable Media) की परिस्थिति में, माध्यम स्वयं अर्थात् तार, संचार की सीमाओं का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण होता है।

सम्प्रेषण या संचार माध्यम

(Kinds of Communication Medium)

संचार माध्यम मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-

(1) तार संचार माध्यम (Wire / Cable Communication Medium),

(II) बेतार संचार माध्यम (Wireless Communication Medium) ।

संचार के विभिन्न रूप

(Kinds of Communication)

  1. तार संचार माध्यम
  2. व्यवर्ति युग्म तार
  3. सम्भाग तार

– प्रकाशित तन्तु ता

  1. वेतन संचार माध्यम

– रेडियों तार

– माइक्रोबेव तरंग

  1. उपग्रह संचार माध्यम

(I) तार संचार माध्यम (Wire/Cable Communication Medium)

तार संचार माध्यम को निर्देशित संचार माध्यम भी कहा जाता है। इस माध्यम के तहत एक धात्विक तार का इस्तेमाल किया जाता है। ये तार अग्रलिखित तीन प्रकार के होते हैं-

  1. व्यवर्तित युग्त तार (Twisted-wire pairs) — दो परस्पर लिपटे तारों के युग्म को व्यवर्तित युग्म तार कहा जाता है। दोनों ही तार धात्विक पतली तारों के रेशों से निर्मित होते हैं। यह तकनीक काफी समय से प्रयुक्त की जा रही है। इस तार का उपयोग, दूरभाष, ज्यादातर आन्तरिक संचार; जैसे—इण्टरकॉम, दूरभाष सुविधा निजी शाखा एक्सचेंज, माइक्रो कम्प्यूटरों के स्थानीय नेटवर्क को स्थापित करने हेतु किया जाता है। इस प्रणाली में लगभग 100 मीटर तक आँकड़ों के संचार की गति 9600 बाउड (Baud) तक सम्भव हो सकती है, परन्तु यह माध्यम व्यतिकरण (Interference) के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होता है।
  2. समाक्ष तार (Coaxial Cable) – इस माध्यम में एक धात्विक नली के केन्द्र में ताँबे का तार स्थित होता है और इन दोनों के बीच एक कुचालक पदार्थ की पर्त होती है। इसका उपयोग ऐसे संवेदनशील संरक्षण में किया जाता है जिसमें व्यवधान से संचार ज्यादा प्रभावित हो सकता है। यह 10 MB प्रति सेकण्ड के आंकिक आँकड़ों के संचार में सक्षम होता है। यह सम्पूर्ण तार एक जैकेट अथवा दृढ़ अचालक से परिरक्षित (Covered) होता है। समाक्ष तार का व्यास 0.4 इंच से 1 इंच तक होता है। इस तार का उपयोग ज्यादा दूरी के दूरभाष व केबिल टेलीफोन संचार, स्थानीय नेटवर्क क्षेत्र में किया जाता है।
  3. प्रकाशित तन्तु तार- इस माध्यम में यह तार काँच के हजारों रेशों से बना होता है। जिसमें प्रकाश का संवहन हो सकता है। इसके प्रत्येक काँच का रेशा एक बाल की भाँति पतला होता है। इसमें संचरण हेतु डाटा के प्रकाशपुन्ज में बदला जाता है और इस प्रकाशपुन्ज को एक लेजर डिवाइस द्वारा करोड़ों बिट्स प्रति सेकण्ड की गति से प्रेषित किया जाता है। प्रकाशित तन्तु तार का आकार और भार समाक्ष की तुलना में प्रयोग में आसान है। इनके डाटा प्रेक्षण की क्षमता समाक्ष तार से 10 गुणा ज्यादा होती है।

(II) बेतार संचार माध्यम (Wireless Communication Medium)

बेतार संचार प्रणाली में सिग्नलों का आदान-प्रदान बिना किसी वैद्युत् व प्रकाशिक तार के होता है। इन्हें निम्नलिखित माध्यमों में बाँटा जाता है-

  1. रेडियो तरंग (Radio Wave) – वैद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्स के उस भाग में जिसकी आवृत्ति 10 किलोहर्ट्ज से 1 गीगाहर्ट्ज के बीच होती है, उसे रेडियो-आवृत्ति के नाम से जाना जाता है। इस प्रणाली में रडार का प्रयोग होता है।
  2. माइक्रोवेब तरंग (Micro Wave)- माइक्रोवेब तरंगों में विशेष प्रकार के उपकरणों (apparatus) द्वारा रेडियो सिग्नल को प्रेषित किया जाता है। ये आवृत्तियाँ जिन पर माइक्रोवेब सिग्नलों का प्रेषण किया जाता है, माइक्रोवेब आवृत्तियाँ कहलाती हैं। टैक्स्ट, ग्राफिक्स, ध्वनि और चलचित्र आदि सभी प्रकार के डाटा को माइक्रोवेब सिग्नलों में बदला जाता है। इस संचार हेतु दिशात्मक ऐण्टीना का प्रयोग किया जाता है। इन ऐण्टीनों के मध्य अबाधित पथ या दृश्य- रेखा (Line of Sight) का होना जरूरी है। इस प्रणाली में 16GB प्रति सेकेण्ड से सूचनाएँ भेजी जा सकती है।
  3. उपग्रह संचार माध्यम (Satellite Communication Medium)- वृहद् दूरी के संचार की लागत कम करने के उद्देश्य से यह माध्यम विकसित किया गया। संचार उपग्रह पृथ्वी की सतह से 2230 मील की ऊँचाई पर एक कक्ष में स्थापित किया जाता है। ये उपग्रह पृथ्वी के बाहर, अन्तरिक्ष में छोड़ दिए जाते हैं। पृथ्वी की गति के बराबर की गति घूमते रहने की वजह से इनकी भौगोलिक स्थिति पृथ्वी के सापेक्ष स्थिर रहती है। अतः पृथ्वी स्थित किसी प्रसारण केन्द्र से ऐण्टीना द्वारा रेडियो सिग्नल के प्रसारण की पुनः प्राप्ति सम्भव हो सकती है।

संचार माध्यम के महत्व-

संचार माध्यम के महत्व निम्नलिखित हैं-

(1) कम्प्यूटर द्वारा नेटवर्क सिग्नलों के आदान-प्रदान का कार्य संचार माध्यम के द्वारा ही सम्भव होता है। अतः ट्रान्समिशन, कम्प्यूटर द्वारा सम्पन्न किया जाता है। जिन्हें समझना, गणना करना एवं स्टोर करना आसान होता है।

(2) कम्प्यूटर के द्वारा डाटा एक स्थिति से दूसरी स्थिति में हस्तांतरित किया जा सकता है। उदाहरण- डाटा, रीड, वनली मेमोरी से रेण्डम एसेस मेमोरी में हस्तान्तरित किया जा सकता है। (Do transformed from read only memory to random access memory (RAM).

(3) डाटा एवं सूचना परिमाणात्मक तथा गुणात्मक विश्लेषण हेतु आवश्यक होता है।

प्रबंधन सूचना प्रणाली  महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- sarkariguider@gmail.com

About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

Leave a Comment

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
close button
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
error: Content is protected !!