शिक्षाशास्त्र / Education

इतिहास-शिक्षण में पाठ्य-पुस्तक का महत्व | इतिहास की पाठ्य-पुस्तक की विशेषताएँ | इतिहास की पाठ्य-पुस्तकों के मूल्यांकन के लिए मापदण्ड

इतिहास-शिक्षण में पाठ्य-पुस्तक का महत्व | इतिहास की पाठ्य-पुस्तक की विशेषताएँ | इतिहास की पाठ्य-पुस्तकों के मूल्यांकन के लिए मापदण्ड | Importance of Text-Book in History Teaching in Hindi | Features of History Text Books in Hindi | Criterion for evaluation of history textbooks in Hindi

इतिहास-शिक्षण में पाठ्य-पुस्तक का महत्व

पाठ्य पुस्तक शिक्षण का मूलभूत साधन है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि शिक्षण बहुत कुछ पाठ्य पुस्तकों पर आधारित होता है। भारतीय शिक्षालयों में इस उपकरण का बहुत महत्व है। इतिहास शिक्षण में पाठ्य-पुस्तक के स्थान के विषय में मतभेद है। कुछ लोगों का कहना है कि शिक्षण में इसको स्थान नहीं देना चाहिए, क्योंकि इसके द्वारा छात्रों में रटने को प्रवृत्ति उत्पन्न की जाती है। इनके द्वारा स्रोत- पद्धति की आत्मा का हनन किया जाता है; परन्तु दूसरी ओर कुछ विद्वानों का मत है। कि इतिहास शिक्षण में इसको स्थान दिया जाना चाहिए, क्योंकि इनके द्वारा ज्ञान मितव्ययी ढंग से प्रदान किया जाता है। यह एक समय में लाखों मनुष्यों के हृदय को प्रभावित कर सकती है। इसके द्वारा स्वाध्ययन तथा आत्मविश्वास की वृद्धि की जा सकती है। इनके उपयोग से छात्र मानचित्र, चाटं, चित्र आदि बना सकते हैं। उपर्युक्त मतों को देखने से यह स्पष्ट हो जाता है कि पाठ्य-पुस्तक को स्थान मिलना चाहिए, परन्तु उसका प्रयोग साधन के रूप में किया जाय, न कि साध्य के रूप में। सी० पी० हिल महोदय का कहना है कि पाठ्य-पुस्तकें तथ्यों के संकलन के रूप में उपयोग नहीं की जानी चाहिए वरन् वे मौलिक सूचनाओं के भण्डार के रूप में प्रयोग की जायें ।

इतिहास की पाठ्य-पुस्तक की विशेषताएँ –

  1. पाठ्य-पुस्तक की शैली बालकों के अनुसार हो। “It is of prime importance that the diction of a textbook should be adopted to the age of the pupils for whom it is intended.”
  2. पाठ्य-पुस्तक में साहित्यिक गुण होने चाहिए। उसकी भाषा छात्रों के मानसिक स्तर एवं शब्द-ज्ञान के अनुकूल होनी चाहिए।
  3. पाठ्य पुस्तक अधिक तथ्यों में सार के रूप में नहीं होनी चाहिए।
  4. पाठ्य पुस्तक का प्रस्तुतीकरण छात्रों के मानसिक स्तर, रुचि आदि के अनुकूल होना चाहिए, वह लक्ष्यों की पूर्ति में भी सहायक हो ।
  5. पाठ्य पुस्तक छात्रों में विश्वबन्धुत्व की गावना विकसित करे ।
  6. उसमें पाठ्यस्तु का कालक्रम तथा संगठन के सिद्धान्तों के अनुकूल संगठन होना चाहिए।
  7. पाठ्य पुस्तक चयनात्मक होनी चाहिए |
  8. इतिहास को पाठ्य-पुस्तक स्थूलात्मक होनी चाहिए-उसमें मौखिक उदाहरण मानचित्र तथा दूसरी दृश्यात्मक सामग्री होनी चाहिए।

इस सम्बन्ध में हेनरी जॉनसन ने लिखा है कि “To test the pictures, maps and other visual-aids offered by a text-book the teacher should consider the following questions-

(i) Are they clearly printed?

(ii) Are they scaled to easy vision?

(iii) Are they related to the text?”

  1. पाठ्य पुस्तक आकर्षक होनी चाहिए। उसका मुद्रण, कागज, मुखपृष्ठ आदि सब बालकों के स्तर के अनुसार होना चाहिए ।
  2. अभ्यास के लिए प्रत्येक पाठ के अन्त में प्रश्न होने चाहिए।
  3. पाठ्य पुस्तक का मूल्य भी यथोचित कम होना चाहिए।
  4. जॉनसन के अनुसार, “The teacher in search of a good text- book will be guided in the first instance by the theory that seems to him most conclusive.”- Henry Johnson.

इतिहास की पाठ्य-पुस्तकों के मूल्यांकन के लिए मापदण्ड

(Scale for Evaluating Text-book of History)

  1. पुस्तक का नाम
  2. लेखक या लेखकगण
  3. प्रकाशक
  4. पृष्ठों की संख्या
  5. पुस्तकों का मूल्य

(अ) पुस्तक के यांत्रिक तस्व-

  1. पुस्तक की बाह्य आकृति
  2. आकार
  3. जिल्द की सुदृढ़ता
  4. कागज
  5. छपाई
  6. मारजिन

(ब) संगठन-

  1. पाठों का संगठन
  2. पाठों का तर्कसम्मत विभाजन
  3. पाठों की सम्बद्धता
  4. क्रमबद्धता
  5. मौलिक एकता
  6. सारांश ।

(स) प्रस्तुतीकरण-

  1. भाषा
  2. शैली
  3. स्थूलता
  4. निष्पक्षता
  5. प्रयुक्त शब्दावली
  6. आधुनिक तथा पूर्ण (up-to-date)

(द) उदाहरण-

  1. शुद्धता
  2. वस्तुनिष्ठता
  3. गुणात्मकता
  4. उपयुक्तता
  5. अनुपात
  6. जीवन से सम्बन्ध
  7. स्पष्टता

(य) मानचित्र, चित्र आदि

  1. शुद्धता
  2. स्थूलता
  3. संख्या
  4. आकार
  5. उपयुक्तता
  6. अनुपात
  7. महत्व |

(र) अभ्यासार्थ प्रश्न-

  1. पाठ्य सामग्री से सम्बन्ध
  2. उनकी व्यापकता
  3. छात्रों की दृष्टि से उपोगिता 4. वस्तुनिष्ठता
  4. प्रेरणात्मक शक्ति
  5. विश्वसनीयता
  6. स्पष्टता ।

(ल) निर्देशन एवं विशेष अध्ययन योग्य पुस्तकें-

  1. व्यवस्थापन
  2. विश्वसनीयता
  3. शिक्षक की दृष्टि से महत्त्व
  4. बालक की दृष्टि से महत्त्व
  5. नवीन तथा पूर्ण।

(व) परिशिष्ट तथा अनुक्रमणिका

  1. व्यवस्थापना
  2. व्यावहारिकता
  3. स्पष्टता
  4. पूर्णता
  5. महत्व।
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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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