समाज शास्‍त्र / Sociology

कार्मिक प्रबन्ध का अर्थ एवं परिभाषा | कार्मिक प्रबन्ध की विशेषतायें | कार्मिक प्रबन्ध के उद्देश्य | सेविवर्गीय प्रबन्ध के गुण एवं दोष

कार्मिक प्रबन्ध का अर्थ एवं परिभाषा | कार्मिक प्रबन्ध की विशेषतायें | कार्मिक प्रबन्ध के उद्देश्य | सेविवर्गीय प्रबन्ध के गुण एवं दोष | Meaning and definition of personnel management in Hindi | Features of personnel management in Hindi | Objectives of personnel management in Hindi | Merits and demerits of servant management in Hindi

कार्मिक प्रबन्ध का अर्थ एवं परिभाषा

(अ) कार्मिक प्रबन्ध का अर्थ-

प्रबन्ध का वह भाग, जो कर्मचारियों व अन्य श्रमिकों की प्रबन्ध व्यवस्था से सम्बन्धित हो, उसे सेविवर्गीय प्रबन्ध कहा जाता है। सेविवर्गीय प्रबन्ध एक ऐसी प्रबन्ध प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य संस्थान के कार्य में लगे हुए कर्मचारियों का सर्वांगीण विकास इस ढंग से करना होता है कि वे कार्य सम्पादन को रोचक अनुभव करते हुए उसमें अपना अधिकतम योगदान दे सकें। श्रमिकों से अधिकतम कुशलता से कार्य लेना ही सेविवर्गीय प्रबन्ध कहलाता है जिससे उत्पादकता में वृद्धि की जा सके। सेविवर्गीय प्रवन्ध सामान्य प्रबन्ध विज्ञान का ही एक अंग है, जिसकी सहायता से औद्योगिक संगठन के उद्देश्यों और कार्यों को सबसे अधिक क्षमता और मितव्ययिता से नियन्त्रित एवं निर्देशित किया जा सके।

(ब) कार्मिक प्रबन्ध की परिभाषा

(1) शॉमस जी. स्पेट्रस- “सेविवर्गीय प्रबन्ध, कर्मचारियों के कार्य का संगठन करने एवं उनमें व्यवहार करने के ढंगों की एक संहिता है जिसमें वह अपने वास्तविक आवश्यकताओं को अधिकतम मुखरित कर सकें और इस प्रकार उस संगठन को, जिसके वे अंग हैं, निर्णायक प्रतिस्पर्धात्मक लाभ और अनुकूलतम परिणाम दे सकें।”

(2) पॉल जी. हेस्टिंग्स- “सेविवर्गीय प्रबन्ध, प्रबन्ध का वह पहलू है जिसका उद्देश्य एक संगठन के श्रम साधनों के प्रभाव का उपयोग करना है।”

(3) एडविन बी. पिल्प्पो-“सेविवर्गीय कार्य का सम्बन्ध एक संगठन में लगे कर्मचारियों को उस संगठन के प्रमुख लक्ष्मों या उद्देश्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से उपलब्ध करने, विकास का प्रतिफल, एकीकरण बनाये रखने से होता है। अतः सेविवर्गीय प्रबन्ध उन क्रियात्मक कार्यों के नियोजन, संगठन, निर्देशन एवं नियंत्रण करने को कहा जाता है।”

कार्मिक प्रबन्ध की विशेषतायें

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर सेविवर्गीय प्रबन्ध की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

(1) सेविवर्गीय प्रबन्ध सामान्य प्रबन्ध विज्ञान का एक अंग है। अतः प्रबन्ध के सामान्य सिद्धान्त इस विशिष्ट प्रबन्ध पर लागू होते हैं।

(2) मानवीय सम्बन्धों को मधुर बनाए रखने के लिए इस प्रकार के विशिष्ट प्रवन्ध में मानवीय सम्बन्ध के सिद्धान्तों का पालन होता है।

(3) उपक्रम एवं कर्मचारियों के हित का एकीकरण करने में सेविवर्गीय प्रबन्ध एक महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।

(4) उपक्रम के हित को ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों से अधिकतम योगदान प्राप्त किया जाता है।

(5) कार्य पर लगे व्यक्तियों को संगठित रूप से कार्य करने के लिए निश्चित सिद्धान्तों का पालन किया जाता है।

(6) सेविवर्गीय प्रबन्ध के सिद्धान्तों की सहायता से कर्मचारियों की क्षमता का पूर्ण विकास करने का प्रयास किया जाता है।

(7) इसमें कर्मचारियों की भर्ती, प्रशिक्षण एवं अन्य प्रकार की सुविधाएँ प्रदान करना सम्मिलित रहता है।

कार्मिक प्रबन्ध के उद्देश्य

(अ) एल.पी. अलफोर्ड एवं रशेल बीटी के अनुसार कार्मिक प्रबन्ध के दो व्यापक उद्देश्य

एल.पी. अलफोर्ड एवं रशेल बीटी के अनुसार कार्मिक प्रबन्ध के दो व्यापक उद्देश्य बतलाए हैं- (1) श्रेष्ठ कर्मचारी मनोबल बनाकर उपक्रम द्वारा समाज को उपलब्ध सेवाओं में सुधार करना।

(2) उपक्रम से सम्बन्धित व्यक्तियों, जैसे कर्मचारी, अंशधारी, लेनदार, ग्राहक व सामान्य जनता के मस्तिष्क में यह विचार भर देना कि उपक्रम उनकी सर्वश्रेष्ठ सेवाएँ कर रहा है।

(ब) कार्मिक प्रबन्ध के सामान्य एवं विशिष्ट उद्देश्य

मोटे तौर पर सेविवर्गीय प्रबन्ध के उद्देश्यों को हम निम्नलिखित दो भागों में विभाजित कर सकते हैं- (1) सामान्य उद्देश्य

(2) विशिष्ट उद्देश्य

(1) सामान्य उद्देश्य सेविवर्गीय प्रबन्ध के सामान्य उद्देश्य इस प्रकार है-

(i) मानवीय साधनों का प्रभावपूर्ण प्रयोग करना।

(ii) संगठन के सभी सदस्यों में वांछित क्रियाशील सम्बन्धों का विकास करना।

(iii) प्रत्येक कर्मचारी की सेवाओं का अधिकाधिक उपयोग करना।

(2) विशिष्ट उद्देश्य विशिष्ट उद्देश्य का तात्पर्य विभाग की विभिन्न गतिविधियों को निर्दिष्ट करना है। कुछ महत्वपूर्ण विशिष्ट उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

(i) उपक्रम के संचालन के लिए आवश्यक व्यक्तियों का निश्चित संख्या में और उपर्युक्त तरीके से चुनाव करना।

(ii) नए कर्मचारियों को उचित प्रशिक्षण और दिशा-निर्देशन देना।

(iii) एक ऐसे सुदृढ़ प्रशासन का निर्माण करना, जिसकी सहायता से कर्मचारियों को उचित कार्मिक मिल सके।

(iv) कमचारियों को इस प्रकार की प्रेरणा देना जिससे वे अधिक लगन और कुशलता से कार्य कर सकें।

(v) उपक्रम के विभिन्न पदाधिकारियों को कर्मचारियों से सम्बन्धित समस्याओं जैसे-पदोन्नति, स्थानान्तरण, पदच्युत करना आदि के बारे में परामर्श देना, श्रमिकों को मुआवजा देने व लाभ की योजनाओं को अपनाने के लिए सहायता देना।

(vi) सेवायुक्त उपकार की व्यवस्था करना। इसमें चिकित्सा सुविधाएँ प्राविडेन्ट फंड, ग्रेच्युटी, सवैतनिक अवकाश और अन्य ऐसी ही सुविधाएँ हों जो कि उपयुक्त और योग्य व्यक्तियों को संगठन में रखने के लिए सहायक होगी।

(vii) प्रतिनिधि श्रम संघों से विश्वास और सम्मान पर आधारित सम्बन्धों की स्थापना करना।

(viii) सेविवर्गीय प्रबन्ध को अधिकाधिक वैज्ञानिक बनाने के लिए अनुसंधान आदि को प्रोत्साहित करना।

(स) कार्मिक प्रबन्ध के तीन प्रमुख उद्देश्य

कार्मिक प्रबन्ध के तीन मुख्य उद्देश्य हैं-

(1) ऐसे उपर्युक्त व्यक्तियों को उद्योग के प्रति आकर्षित करना और नियुक्त करना जो विशेष कार्यों का सही प्रकार प्रभावी ढंग से उपयोग करना।

(2) मानवीय शक्ति और साधनों का सही तथा प्रभावी ढंग से उपयोग करना ।

(3) संगठन में काम करने वाले लोगों के वैयक्तिक विकास की व्यवस्था करना ।

उपर्युक्त व्यक्तियों एवं आवश्यकता पड़ने पर उनकी नियुक्ति के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए यह आवश्यक है कि कार्मिक प्रबन्ध को संगठन के भावी विकास और मानव शक्ति की आवश्यकता का पूर्वानुमान हो । प्रारम्भिक नियुक्ति के समय भी प्रबन्धकों को यह अनुमान कर लेना चाहिए कि जिन्हें वे नियुक्त कर रहे हैं वे इस योग्य हैं कि आगे उन्हें उच्च पदों पर प्रोन्नति दी जा सकती है ताकि संगठन के विकास हेतु आवश्यक नवीन पदों को उनके द्वारा भरा जा सके। सेविवर्गीय प्रबन्ध की स्थापना का यह भी उद्देश्य है कि वह संगठन के शेष सभी विभागों के लिए योग्य तथा उपयुक्त कर्मियों की व्यवस्था करे और इस सम्बन्ध में आवश्यकतानुसार उनकी माँग की आपूर्ति करे।

सेविवर्गीय प्रबन्ध का प्राथमिक उद्देश्य आवश्यक योग्यताएँ और क्षमताएँ रखने वाले व्यक्तियों का चयन एवं नियुक्ति करने में सहायता करना है। यह ऐसे लोगों का चयन करता है जो अपनी जिम्मेदारियों को ठीक प्रकार से समझते हैं, अपने प्रकार्यों को पूर्ण करने की वांछित क्षमता और कुशलता तथा ज्ञान रखते हैं। सेविवर्गीय प्रबन्ध का यह दायित्व है कि वह संगठन के प्रभाव तथा क्रियाशीलता की निरन्तरता को बनाये रखे। इसका यह भी उद्देश्य है कि जो लोग संगठन में काम कर रहे हैं, उनके सुनियोजित विकास की व्यवस्था हो । दुर्घटना, बीमारियों आदि से उत्पन्न असुरक्षा से बचाव के साधन उपलब्ध कराना और उसके प्रयत्ना का उचित मूल्यांकन करना भी सेविवर्गीय प्रबन्ध का उद्देश्य है।

समाजशास्त्र / Sociology – महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- sarkariguider@gmail.com

About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

Leave a Comment

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
close button
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
error: Content is protected !!