मापन की त्रुटियाँ | Errors of Measurement in Hindi
मापन की त्रुटियाँ | Errors of Measurement in Hindi
पिछले पृष्ठों में चर्चा की जा चुकी है कि साधारणतः शैक्षिक मापन एक अप्रत्यक्ष प्रकार का मापन होता है। इसलिए इस प्रकार के मापन में त्रुटियों का हो जाना सम्भव है । मापन की त्रुटियों के अन्तर्गत वे सभी त्रुटि आ जाती है जो परीक्षण से प्राप्त अंकों को प्रभावित करती हैं।
मापन की त्रुटियों के चार भागों –
- व्यक्तिगत त्रुटियाँ (Personal Errors),
- चर त्रुटियाँ (Variable Errors),
- स्थिर त्रुटियां (Constant Errors) तथा
- व्याख्यात्मक त्रुटियाँ (Interpretive Errors)
व्यक्तिगत त्रुटियाँ (Personal Errors)
मापन की व्यक्तिगत त्रुटियाँ वस्तुतः मापन के अंकन में होने वाली त्रुटियाँ हैं। अतः इस प्रकार की त्रुटियाँ मुख्यतः परीक्षक से सम्बन्धित होती है । परीक्षक अपने विवेक से परीक्षार्थियों के द्वारा दिये गये उत्तरों पर अंक प्रदान करता है। परीक्षक की व्यक्तिगत पसन्द, दृष्टिकोण, प्रश्न के उत्तर के सम्बन्ध में पूर्व धारणा, अंक प्रदान करते समय की मनोस्थिति, थकान आदि का प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष ढंग से अंकन पर प्रभाव पड़ सकता है। परीक्षक के द्वारा उसकी वैयक्तिता के कारण से हुई इन त्रुटियों को व्यक्तिगत त्रुटियाँ कहते हैं। परीक्षण को वस्तुनिष्ठ बनाकर इस प्रकार की त्रुटियों को दूर किया जा सकता है।
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चर त्रुटियाँ (Variable Errors)
मापन की चर त्रुटियाँ वस्तुतः मापन यन्त्र के प्रशासन व छात्रों की प्रतिक्रियाओं से सम्बन्धित त्रुटियाँ हैं। परीक्षण के दौरान छात्रों के द्वारा प्रस्तुत निष्पत्ति (Performance) में कुछ ऐसी त्रुटियाँ आ जाती हैं। जो विभिन्न परीक्षार्थियों के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार व भिन्न-भिन्न परिमाण में होती हैं। परीक्षण के प्रशासन के दौरान निर्देशों की अस्पष्टता, परीक्षण स्थिति में अन्तर, संयोग के कारण उत्तरों का सही होना, छात्रों की थकान, प्रश्नों की अस्पष्टता, परीक्षण के प्रति जानकारी, प्रोत्साहन, चिन्ता आदि के कारण चर त्रुटियाँ हो जाती हैं। परीक्षण को अधिकाधिक विश्वसनीय बनाकर चर त्रुटियों को कम किया जा सकता है।
स्थिर त्रुटियाँ (Constant Errors)
मापन की स्थिर त्रुटियाँ वस्तुतः वे त्रुटियाँ हैं जो सभी परीक्षार्थियों को लगभग समान रूप से प्रभावित करती हैं। ये त्रुटियाँ परीक्षण की रचना या परीक्षण के उपयोग से सम्बन्धित होती हैं। जब परीक्षण इच्छित योग्यता का ठीक-ठीक मापन न करके किसी अन्य योग्यता का पूर्ण या आंशिक रुप से मापन करता है तब परीक्षण से प्राप्त अंकों में त्रुटि आ जाती है। क्योंकि इस प्रकार की त्रुटि सभी परीक्षार्थियों के प्राप्तांकों को लगभग एक समान ढंग से प्रभावित करती है इसलिए इन्हें स्थिर त्रुटि कहते हैं। परीक्षण को अधिकाधिक वैध बनाकर स्थिर त्रुटियों को कम किया जा सकता है।
व्याख्यात्मक त्रुटियाँ (Interpretive Errors)
प्राप्तांकों की व्याख्या में हुई त्रुटियों को ही मापन की व्याख्यात्मक त्रुटियाँ कहते हैं। उपयुक्त सन्दर्भ बिन्दुओं अर्थात मानकों के अभाव में प्राप्तांकों की व्याख्या करने में त्रुटियों का हो जाना स्वाभाविक ही होता है। परीक्षण के लिए उचित मानकों को विकसित करके व्याख्यात्मक त्रुटियों को काफी सीमा तक कम किया जा सकता है।
मापन में होने वाली इन चारों प्रकार की त्रुटियों की विस्तृत चर्चा परीक्षण की चार प्रमुख विशेषताओं यथा वस्तुनिष्ठता, विश्वसनीयता, वैधता तथा मानकों के सन्दर्भ में पुस्तक में अन्यत्र की गई है।
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