भूगोल / Geography

नगरीय अधिवास की विशेषताएँ | नगरों का कार्यों के अनुसार वर्गीकरण | नगरों में सुविधाएँ (गुण) | नगरों की समस्याएँ (दोष)

नगरीय अधिवास की विशेषताएँ | नगरों का कार्यों के अनुसार वर्गीकरण | नगरों में सुविधाएँ (गुण) | नगरों की समस्याएँ (दोष)

अधिवास का अर्थ

अधिवास से तात्पर्य घरों के समूह से है जहाँ मानव निवास करता है। घर मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताओं में से एक है। अधिवास में सभी प्रकार के मकान या भवन सम्मिलित होते हैं जो मनुष्य के विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं । इनमें रिहायशी मकान, कार्यालय, दुकानें, गोदाम, मनोरंजन गृह आदि सभी सम्मिलित होते हैं।

सांस्कृतिक भू-दृश्यों में मानवीय अधिवास सबसे प्रमुख है जो मानव की एक आधारभूत आवश्यकता है। इसके अन्तर्गत सभी प्रकार के मानवीय आश्रयों को सम्मिलित किया जाता है। ये अधिवास प्रमुख रूप से दो प्रकार के होते हैं- ग्रामीण एवं नगरीय

नगरीय अधिवास की विशेषताएँ

नगरीय अधिवास की प्रमुख विशेषताएँ निम्नवत् हैं।

  1. नगर मिश्रित मकानों अथवा इमारतों का एक समूह होता है। इसमें निम्न, मध्यम एवं उच्च आय वर्गों के निवास-स्थान, वाणिज्य क्षेत्र, कारखाने, शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, मनोरंजन, परिवहन, व्यापारिक तथा व्यावसायिक कार्य विकसित होते हैं। प्रशासनिक इकाइयाँ भी नगरीय व्यवस्था के प्रमुख अंग हैं।
  2. नगरों में व्यावसायिक विभिन्नताएँ पायी जाती हैं। इनके अधिकांश निवासी निर्माण, उद्योग, परिवहन, व्यापार-वाणिज्य, उच्च सेवाओं तथा प्रशासनिक आदि कार्यों में लगे होते हैं।
  3. नगरों में संगठित मकान अधिक पाये जाते हैं। यहाँ अनेक मंजिल वाले भवन बनाये जाते हैं। मकानों में सोने के कमरे, बैठक, स्नानगृह, शौचालय, रसोईघर आदि सविधाओं की पृथक् व्यवस्था होती है।
  4. नगरों में पक्की सड़कें तथा गलियाँ होती हैं। ये परिवहन मार्गों के केंद्र होते हैं। इनमें गन्दे जल के निकास की व्यवस्था नालियों द्वारा की जाती है।
  5. नगरों में रोशनी, पेयजल, स्वच्छता एवं शान्ति बनाये रखने की भी व्यवस्था होती है।
  6. नगरों में व्यावसायिक, शैक्षणिक, प्रशासनिक आदि विभिन्न संस्थान भी होते हैं, जो नगरीय जीवन के आवश्यक एवं गतिशील अंग होते हैं।
  7. नगरों में परिवहन, संचार एवं दूरसंचार के साधनों की भी समचित व्यवस्था होती है। यहाँ वाहनो का कणभदा शोर तथा ग्रामीण प्रदेशों से आने वाले दैनिक व्यक्तियों की भीड़-भाड़ अधिक रहती है।
  8. अनेक नगर सनियोजित ढंग से बसाये जाते हैं। इनमें पार्क, जल प्रदाय धर्मशालाएँ आदि सार्वजनिक स्थान भी समुचित ढंग से बनाये जाते हैं।
  9. नगरों में सामाजिक-सांस्कृतिक सेवाओं में विद्यालय, अस्पताल, सामुदायिक विकास केन्द्र, खेल के मैदान, पार्क, क्लब, सिनेमाघर आदि भी पाये जाते हैं।

नगरों का कार्यों के अनुसार वर्गीकरण

वर्तमान समय में अधिकांश नगरों में अनेक कार्य किये जाते हैं। इनमें से कुछ किसी एक कार्य में ही विशेषीकृत भी हो गये हैं। इन नगरों में उद्योग, व्यापार, परिवहन, बन्दरगाह, प्रशासन, उत्खनन, सुरक्षा, शिक्षा, धार्मिक, मनोरंजन, स्वास्थ्य आदि विशिष्ट कार्य भी मिलते हैं, परन्तु नगरों के कार्यों में विशिष्टीकरण के साथ-साथ अन्य कार्य भी मिलते हैं। विशिष्ट कार्य एवं व्यवसाय की प्रमुखता के आधार पर नगरों को निम्नलिखित आठ वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।

  1. प्रशासनिक नगर

देश, राज्य या बड़े प्रदेश की राजधानियों का प्रमुख कार्य प्रशासन होता है। ऐसे नगरों को प्रशासनिक नगर कहा जाता है। इनमें प्रशासनिक कार्यालय व विभिन्न इमारतो आदि की भरमार रहती है। भारत में नई दिल्ली पूर्णतया प्रशासनिक नगर है। इसी प्रकार वाशिंगटन (डी०सी०), इस्लामाबाद, ब्रासीलिया, बरलिन, कैनबरा, बीजिंग, मास्को आदि प्रशासनिक नगर है।

  1. औद्योगिक नगर

जिन नगरों में उद्योग-धन्धों की प्रधानता होती है, उन्हें औद्योगिक नगर कहते हैं। कुच्चा माल, ईंधन और ऊर्जा, श्रम, व्यापार, बाजार, यातायात, पूँजी, बैंकिंग, जलापूर्ति, आयात-निर्यात आदि की सुविधाओं के कैन्द्रीकरण होने से ऐसे नगरों में उद्योगों की प्रधानता हो जाती हैं। मानचेस्टर, पिट्सबर्ग, मैंगनीटोगोस्क, कानपुर, मुम्बई, अहम्दाबाद आदि औद्योगिक नगर हैं।

  1. व्यापारिक नगर

इन नगरों में व्यापार प्रमुख कार्य होता है। न्यूयॉर्क, लन्दन, हॉगकॉंग, सिंगापुर, कोलकाता आदि व्यापारिक नगर हैं। इस प्रकार के नगर यातायात एवं परिवहन के केन्द्र भी होते हैं।

  1. परिवहन नगर

वे नगर जो परिवहन कार्यों की प्रमुखता रखते हैं, उन्हें परिवहन नगर कहते हैं। शिकागो, पर्थ, वेनिस, मगलसराय आदि ऐसे ही नगरों के उदाहरण हैं।

  1. खनन नंगर

खनिज पदार्थ वाले क्षेत्रों में ऐसे नगरों का विकास होता है। झारखण्ड में कोडरमा और गिरिडीह; कर्नाटक में कोलार खनन नगर हैं। इसी प्रकार विश्व के अन्य भागों में जोहांसबर्ग (दक्षिणी अफ्रीका), कालगूल्ली-कुलगार्डी (ऑस्ट्रेलिया) स्क्राण्टन (सं०रा० अमेरिका) तथा सडबरी (कनाडा) प्रमुख खनन केन्द्र है। खूनिज भण्डार समाप्त हो जाने पर ऐसे नगर उजड़ जाते हैं। इन्हें प्रेत नगर (Ghost Towns) भी कहते हैं।

  1. मण्डा या बाजार नगर

कृषि या पशुचारण प्रदेशों में विभिन्न वस्तुओं के संग्रहण और वितरण केन्द्रो के रूप में बाजारों या मण्डियों का विकास होता है। ब्रिटेन का नार्विक, उत्तर प्रदेश का हापुड़, बिहार का बिहार- शरीफ, घाना का कुमासी ऐसे ही नगर हैं।

  1. सुरक्षा केन्द्र

सैनिक छावनियाँ, किले वाले अथवा नौ सेना अथवा वायु सेना मुख्यालय वाले केंद्र नगरों का कार्यों के अनुसार सुरक्षा नगर कहलाते हैं। ये प्रमुख नगरों से अलग क्षेत्र में उदित होते हैं। पाकिस्तान में रावलपिण्डी, भारत में काम्पटी एवं शिलांग ऐसे ही नगर हैं।

  1. सांस्कृतिक-धार्मिक-शैक्षिक नगर

इन नगरों में संस्कृति, धर्म एवं शिक्षा का बोलबाला होता है; अर्थात् इनमें इन्हीं कार्यों की प्रधानता होती है। वाराणसी इसका सर्वोत्तम नमूना है। इसे भारत की सांस्कृतिक राजधानी की संज्ञा दी जाती है। ब्रिटेन का ऑँक्सफोर्ड या कैम्ब्रिज, जर्मनी का हाइड्डेलबर्ग, स० रा० अमेरिका का प्रिंस्टन, स्वीडन का लुण्ड, नीदरलैण्ड का लीडेन विश्व-प्रसिद्ध शैक्षणिक-सांस्कृतिक नगर हैं। इसी प्रकार रोम, येरुसलम, मक्का, हरिद्वार आदि धार्मिक नगर हैं।

नगरों में सुविधाएँ (गुण)

नगरों में मानवोपयोगी अनेक सुविधाएँ पायी जाती हैं जिनके आकर्षण से समीपवर्ती प्रदेश के लोग यहाँ रहने के लिए प्रवास कर जाते हैं अथवा अपनी सेवाओं एवं आवश्यकताओं को पूर्ण कर अपने घरों को वापस चले जाते हैं। ये सुविधाएँ (गुण) इस प्रकार हैं।

  1. नगरों में आजीविका के अनेक साधन होते हैं जिससे वहाँ पर रोजगार मिलने में सविधा रहती है। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि पर जनसंख्या का अधिक भार होने के कारण बहुत से लोगों को बेकारी का सामना करना पड़ता है जिससे ये लोग रोजगार की तलाश में नगरों को पदार्पण कर जाते हैं।
  2. नगरों में परिवहन के अनेक साधनों-घोड़ागाड़ी, मोटरगाड़ी, नगर बस-सेवा, टैक्सी, रेलगाड़ी आदि की सुविधा मिलती है।
  3. नगरों में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, मनोरंजन, विद्युत तथा जल-आपूर्ति की सुविधाएँ होती हैं।
  4. नगरों में स्कूल, कॉलेज, शिक्षण-प्रशिक्षण, विश्वविद्यालयी-शिक्षा की सुविधाएँ अधिक मिलती हैं।
  5. सुरक्षा के दृष्टिकोण से पुलिस प्रबन्ध की व्यवस्था नगरों में उपलब्ध रहती है।
  6. नगरों में संचार के साधनों; जैसे-डाक, तारघर, टेलीफोन तथा समाचार-पत्रों की सुलभता पायी जाती हैं।
  7. नगरीय लोगों के रहन-सहन का स्तर उच्च होता है। अत: इस स्तर को बनाये रखने के लिए एवं अपने कार्यों की देखभाल के लिए अनेक व्यक्तियों की आवश्यकता पड़ती है, जिस कारण बहुत से लोग ग्रामों को छोड़कर नगरों में बस जाते हैं।
  8. नागरिक प्रशासन नगर में जल, सीवर विद्युत, चिकित्सा आदि अनेक कार्यों का प्रबन्ध करता है। यह व्यवस्था ग्रामों में नहीं पायी जाती है।
  9. नगरों में विभिन्न सामाजिक संस्थाएँ, धार्मिक स्थान -मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारे तथा सांस्कृतिक संस्थाएँ-संगीतालय, सिनेमाघर आदि मनोरजन के साधनों का आकर्षण बना रहता है।

नगरों की समस्याएँ (दोष)

नगरों में सुविधाओं के साथ-साथ कुछ समस्याएँ (दोष) भी होती हैं जिनका समाधान खोजना अत्यावश्यक है। ये समस्याएँ निम्नलिखित हैं।

  1. जुनसंख्या में अतिशय वृद्धि के कारण नगरों के आकार में भी वृद्धि हो जाती है जिससे नगरों में जनसंख्या की सघनता की समस्या हो जाती है। खाली भूमि महँगी हो जाती है। नगर के निवासी छोटे-छोटे मकानों में रहने को विवश हो जाते हैं। यातायात में कठिनाई उत्पन्न हो जाती है। यहा पर प्रात:काल तथा सायंकाल जनसंख्या की अत्यधिक भीड़ देखने को मिलती है।
  2. नगरों में प्राथमिक आवश्यकताओं- दूध, अनाज, शाक-सब्जी, फल आदि की पुर्ति समीपवर्ती देहात क्षेत्रों से की जाती है। कभी कभी उत्पादन की कमी से या अन्य कर्मी के कारण इनके मूल्य ऊचे हो जाते हैं। धनी लोग तो अधिक मूल्य देकर इन वस्तुओं को खरीद लेते है, जब कि साधारण आय के लोग देखते ही रह जाते हैं।
  3. नगरीय क्षेत्रों में खाद्य-पदार्थों; जैसे-आटे, घी, तेल, दूध आदि में मिलावट बहुत अधिक होती है जिससे लोगों को भोज्य-पदार्थ भी शुद्ध नहीं मिल पाते।
  4. नगरीय केन्द्रों के मकानों का किराया बहुत ऊँचा होता है। कोलकाता, मुम्बई, दिल्ली, अहमदाबाद, कानपुर ऑद नगरों में बहुत से व्यक्ति बिना मकान, रात्रि में नगर की सड़कों की पटरियों पर, पार्क, गलियों या गन्दी बस्तियों में इी सो जाते हैं। इससे वर्ग-संघर्ष की भावना को बल मिलता है।
  5. भारत के कुछ नगरों में जूनसंख्या की सघनता बहुत अधिक है जितनी कि विश्व के वृहत्तम नगरों में भी नहीं है। मुम्बई महानगर में 20,000 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी निवास करते हैं, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क नगर में 10,000 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी ही निवास करते हैं।
  6. न्यूयॉर्क आदि नगरों में इतनी जनसंख्या की सघनता औसत रूप से 15 या 20 मंजिल के मकानों में रहकर है, परन्तु भारत में उससे अधिक सघनता केवल एक या दो मंजिलों के मकानों में रहते हुए है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि नगरों में लोग बहुत तंग जग्रह में निवास करते हैं।
  7. कभी-कभी बड़े नगरों में पेयजल तथा विद्युत-आपूर्ति की कमी से बड़ी अमुविधा हो जाती है।
  8. नुगरों के आकार में वृद्धि होने पर उनके प्रबन्ध एवं प्रशासन की समस्या आती है।
  9. नगरों में समीपवर्ती ग्रामों से जो लोग आकर बसते हैं, वे अधिकतर पुरुष होते हैं। इस कारण नगरों की जनसंख्या में पुरुष-महिला अनुपात का सन्तुलन बिगड़ जाता है।

नगरों की समस्याओं का समाधान

नगरों के दोषों को दूर करने के लिए यह आवश्यक है कि नगरों का पुनर्निर्माण किया जाए और मास्टर प्लान योजनाओं द्वारा इन दोषों को दूर किया जाए तथा औद्योगिक क्षेत्रों का भी सुनियोजित विकास किया जाए। योजनाओं द्वारा नगरें के बाह्य विस्तृत भागों में, चौड़ी सड़कों के सहारे सहारे कम मंजिलों की बस्तियाँ बसायी जानी चाहिए। मिलों एवं कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए मिलों से दूर एवं नगरों के बाह्य भागों में साफ-सुथरे, स्वास्थ्यवर्द्धक मोहल्ले या वार्ड बसाये जाएँ तथा उनके रिहायशी क्षेत्रों से देनिक काम करने वाले स्थानों तक परिवहन के साधनों- मोटर बसों या रेलगाड़ियों का प्रबन्ध किया जाना चाहिए।

-नगर-निर्माण की योजनाएँ बनाने के लिए भूगोलवेत्ताओं का सहयोग अति आवश्यक है। नगर में चौड़ी सड़कें, विद्युत, जल-आपूर्ति, चिकित्सा एवं शिक्षा और रोजगार की योजनाएँ बनाकर उनको तत्परता से कार्यान्वित किया जाना चाहिए।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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