महाराष्ट्री प्राकृत | महाराष्ट्री प्राकृत की विशेषताएं

महाराष्ट्री प्राकृत | महाराष्ट्री प्राकृत की विशेषताएं महाराष्ट्री प्राकृत विद्वानों ने प्राकृत भाषा के जो भेद् बताये हैं, उनमें से महाराष्ट्री प्राकृत भी एक है। साहित्य की दृष्टि से महाराष्ट्री प्राकृत, प्राकृत भाषा के अन्य भेदों की अपेक्षा अधिक समृद्ध है। इनकी समृद्धि का समर्थन करते हुए डॉ० रामअवध पाण्डेय एवं डॉ0 रविनाथ मिश्र ने…

प्रतीक का उद्भव एंव विकास | प्रतीक का अर्थ | प्रतीकों का वर्गीकरण | प्रतीक योजना का आधार | काव्य में प्रतीकों का महत्व

प्रतीक का उद्भव एंव विकास | प्रतीक का अर्थ | प्रतीकों का वर्गीकरण | प्रतीक योजना का आधार | काव्य में प्रतीकों का महत्व प्रतीक का उद्भव एंव विकास काव्य में प्रतीक के उद्भव एवं विकास के विषय में भी लोगों के मत समान नहीं हैं। कुछ उन्हें  उतना ही प्राचीन मानने के पक्ष में…

राष्ट्रभाषा हिन्दी की समस्याएँ | राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी का भविष्य

राष्ट्रभाषा हिन्दी की समस्याएँ | राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी का भविष्य राष्ट्रभाषा हिन्दी की समस्याएँ हिन्दी भारत की प्रमुख भाषा है जो इस देश के बहुसंख्यक लोगों द्वारा बोली जाती है। मोटे तौर पर इसे बोलने वालों की संख्या 50 करोड़ के आस-पास है। उत्तर भारत के हिन्दी भाषी राज्यों-उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा,…

परवर्ती अपभ्रंश या अवहट्ठ | अवहट्ठ की विशेषताएं | अवहट्ट भाषा की भाषिक विशेषताएँ | अवहट्ट भाषा की व्याकरणिक विशेषताएँ

परवर्ती अपभ्रंश या अवहट्ठ | अवहट्ठ की विशेषताएं | अवहट्ट भाषा की भाषिक विशेषताएँ | अवहट्ट भाषा की व्याकरणिक विशेषताएँ परवर्ती अपभ्रंश या अवहट्ठ प्राकृत-अपभ्रंश के रचनाकारों ने अपभ्रंश के लिए अवहसे, अवर्भस, अवहत्य आदि शब्दों का प्रयोग किया है। ये प्रयोग पाया बारहवीं शताब्दी के पूर्व के हैं। बारहवीं शताब्दी के बाद के अपभ्रंश…

पालि भाषा की व्युत्पत्ति | पालिभाषा का प्रदेश | पालि-साहित्य | पालि की विशेषताएं

पालि भाषा की व्युत्पत्ति | पालिभाषा का प्रदेश | पालि-साहित्य | पालि की विशेषताएं पालि भाषा की व्युत्पत्ति (उदभव एवं विकास) आचार्य बुद्धघोष ने ‘अट्ठ कथाओं में ‘पालि’ शब्द का प्रयोग ‘बुद्ध-वचन’ या ‘मूल-त्रिपिटक के पाठ’ अर्थ में किया है। यथा-‘इमानि ताव पालियं अट्ठकथायंपन’ (विसुद्धमग्ग)। इसी प्रकार दीपवंस, चळवंश आदि में ‘पालि’ शब्द का प्रयोग…

प्राचीन भारतीय आर्य भाषा | वैदिक एवं लौकिक संस्कृत में साम्य एवं वैषम्य | वैदिक और लौकिक संस्कृत में अन्तर

प्राचीन भारतीय आर्य भाषा | वैदिक एवं लौकिक संस्कृत में साम्य एवं वैषम्य | वैदिक और लौकिक संस्कृत में अन्तर प्राचीन भारतीय आर्य भाषा- आचीन भारतीय आर्यभाषा काल का समय भाषा- विज्ञानविदों ने आर्यों के भारत प्रदेश से 500 ई. पू. तक माना है। इस युग की भाषा संस्कृत कहलाती है। इसके दो रूप मिलते…

काव्य में बिम्ब-विधान | काव्य बिम्ब का कार्य या उद्देश्य | बिम्ब के गुण एवं तत्व | बिम्बों का वर्गीकरण

काव्य में बिम्ब-विधान | काव्य बिम्ब का कार्य या उद्देश्य | बिम्ब के गुण एवं तत्व | बिम्बों का वर्गीकरण काव्य में बिम्ब-विधान ‘बिम्ब-विधान’ काव्य-शिल्प का आधुनिक सिद्धान्त है। प्राचीन भारतीय आचार्य ने काव्य की विवेचन करते हुए अपने सिद्धान्तों में कहीं भी ‘बिम्ब’ को काव्य-विवेचन का आधार नहीं बनाया है। पाश्चात्य काव्य जगत में…

काव्यभाषा का स्वरूप | काव्यभाषा एवं सामान्य भाषा में अन्तर

काव्यभाषा का स्वरूप | काव्यभाषा एवं सामान्य भाषा में अन्तर काव्यभाषा का स्वरूप काव्य भाषा विश्व साहित्य में हमेशा से ही महत्वपूर्ण रही है। यूनानी विचारकों ने भी कवि कर्म में भाषा को ही प्रधानता दी है और भारतीय काव्यशास्त्र में भाषा को साहित्य में बहुत महत्व दिया है। आम बोलचाल की भाषा में निरन्तर…

अवधी भाषा का सामान्य परिचय | भोजपुरी भाषा का सामान्य परिचय | अवधी भाषा की विशेषताएँ | भोजपुरी भाषा की विशेषताएँ

अवधी भाषा का सामान्य परिचय | भोजपुरी भाषा का सामान्य परिचय | अवधी भाषा की विशेषताएँ | भोजपुरी भाषा की विशेषताएँ अवधी भाषा का सामान्य परिचय अवधी का विकास अर्धमागधी से माना जाता है। अर्धमागधी का जो साहित्यिक रूप उपलब्ध है, उसमें अवधी की कुछ प्राचीन विशेषताएं दृष्टिगत होती हैं। डॉ. बाबूराम सक्सेना का मत…