व्यूहरचनात्मक प्रबंधन / Strategic Management

रणनीति प्रबन्ध की प्रक्रिया | रणनीतिक प्रबन्ध के लाभ | व्यूहरचना की प्रक्रिया | व्यूहरचना के लाभ

रणनीति प्रबन्ध की प्रक्रिया | रणनीतिक प्रबन्ध के लाभ | व्यूहरचना की प्रक्रिया | व्यूहरचना के लाभ | Process of Strategic Management in Hindi | Benefits of Strategic Management in Hindi | Process of Strategy in Hindi | benefits of strategy in Hindi

व्यूहरचना या रणनीति प्रबन्ध की प्रक्रिया

व्यूहरना प्रबन्ध प्रक्रिया से आशय प्रबन्ध में समस्त कार्यों के एकीकृत प्रयास से हैं जिसके द्वारा संसाधनों का अधिक प्रभावपूर्ण आवंटन सम्भव होता है। भविष्य के अवसरों की पहचान तथा उसका विदोहन कार्यनीतिक प्रबन्ध के माध्यम से किया जा सकता है। कार्यनीतिक की प्रक्रिया को हम निम्न प्रकार से स्पष्ट कर सकते हैं-

व्यूहरचना या रजनीतिक प्रबन्ध की प्रक्रिया

व्यूहरचना प्रबन्ध की प्रक्रिया को हम निम्न प्रकार से स्पष्ट कर सकते हैं-

  1. उद्देश्यों की स्थापना- प्रत्येक व्यावसायिक फर्म का अपना ध्येय होता है। यह ध्येय व्यावसायिक नीति निर्माताओं के व्यावसायिक दर्शन को प्रतिबिम्बित करता है। अतः सर्वप्रथम उद्देश्यों की स्थापना की जाती है और उन्हें प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।
  2. पर्यावरणीय विश्लेषण- राजनीति प्रबन्ध प्रक्रिया का यह दूसरा चरण है। पर्यावरणीय विश्लेषण करते समय व्यावासयिक पर्यावरणीय घटकों का विश्लेषण किया जाता है।
  3. निगम विश्लेषण एवं उपचार- इस चरण के अन्तर्गत संगठन की मजबूती एवं कमजोरियों का अध्ययन किया जाता है। संगठनात्मक सुदृढताएँ एवं कमजोरियों, राजनीतिक अवसरों एवं धमकियों को निर्धारित करने में सहायता करती हैं।
  4. विकल्पों की पहचान- अनावश्यक कार्यवाही से बचने के लिये विकल्पों की पहचान आवश्यक है। रणनीति विकल्पों की पहचान रणनीतिक अवसरों एवं धमकियों को ध्यान में रखकर की जानी चाहिए।
  5. रणनीति का चुनाव- जो भी रणनीति बनायी जाती है उसके विभिन्न विकल्पों की पूरी सूची का अध्ययन आवश्यक होता है।
  6. क्रियान्वयन- रणनीति का चुनाव करने के पश्चात् उस रणनीति को कार्यरूप में परिणित करना होता है। संगठनात्मक रणनीतिक को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने हेतु प्रबन्धकों के पास विभिन्न मुद्दों के सन्दर्भ में स्पष्ट विचार होने चाहिये।
  7. मूल्यांकन एवं नियंत्रण- यह अन्तिम प्रक्रिया होती है। इसके अन्तर्गत निगम में वर्तमान लक्ष्यों को पुनः लागू करने या बदलने के सम्बन्ध में विचार किया जाता है।

व्यूरचना या रणनीतिक प्रबन्ध के लाभ-

रणनीतिक प्रबन्ध के निम्नलिखित लाभ हैं-

(1) रणनीतिक प्रबन्ध के द्वारा उद्देश्यों का प्राप्त करने के सम्बन्ध में प्रयासों को बढ़ावा मिलता है।

(2) रणनीतिक प्रबन्ध के द्वारा संसाधनों का अधिक प्रभावपूर्ण आबंटन सम्भव होता है।

(3) रणनीतिक प्रवन्ध द्वारा व्यक्तिगत उत्तरदायित्वों का स्पष्टीकरण हो जाता है।

(4) रणनीतिक प्रबन्ध के द्वारा संप्रेषण रूपरेखा तैयार की जा सकती है।

(5) भविष्य के अवसरों की पहचान तथा उनका विदोहन रणनीति प्रबंध के माध्यम से किया जा सकता है।

(6) रणनीतिक प्रबन्ध में समस्त कार्यों का एकीकृत प्रयास होता है।

(7) रणनीतिक प्रवन्ध से व्यवसाय की स्पष्ट समझ होती है।

व्यूहरचनात्मक प्रबंधन महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- sarkariguider@gmail.com

About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

Leave a Comment

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
close button
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
error: Content is protected !!