व्यूहरचनात्मक प्रबंधन / Strategic Management

व्यूह रचना निर्णय की आधुनिक अवधारणा | आधुनिकीकरण व्यूह रचना निर्णय के प्रमुख आयाम | व्यूह रचनात्मक निर्णयों की परम्परागत विचारधाराएँ

व्यूह रचना निर्णय की आधुनिक अवधारणा | आधुनिकीकरण व्यूह रचना निर्णय के प्रमुख आयाम | व्यूह रचनात्मक निर्णयों की परम्परागत विचारधाराएँ | Modern Concept of Strategy Formation Decision in Hindi | Major dimensions of modernization strategy decision in Hindi | Traditional ideologies of strategic decisions in Hindi

व्यूह रचना निर्णय की आधुनिक अवधारणा

व्यूह रचना की अवधारणा अत्यन्त प्राचीन है। Strategy शब्द ग्रीक भाषा के Strategia शब्द से बना है जिसका सम्बन्ध सेना के जनरल द्वारा अपनायी गयी रणनीति रूपी कला से है। व्यूह रचना की अवधारणा में नियोजन तथा कार्यवाही नामक दो संघटकों का समावेश है, यही दोनों संघटक आगे चलकर व्यापक व्यूह रचना के आधार बनते हैं। समय के बदलाव के साथ साथ व्यवसाय में प्रतिद्वंद्विता बढ़ी और परिणामस्वरूप विभिन्न व्यवसायों द्वारा अपने उत्पाद को बेचने के लिए अलग-अलग रणनीति बनानी पड़ी। इसी रणनीति की रचना में व्यावसायिक जगत् में एक नये शब्द ‘व्यूह रचना’ का निर्माण किया। आज के वर्तमान युग में नियोजन से पहले शब्द व्यापारिक जगत में काफी लोकप्रिय है। व्यूह रचना सदैव व्यवसाय में नियोजन से पहले सम्पन्न होती है। व्यूह रचना द्वारा संगठन के लक्ष्यों की प्राप्ति आसान होती है। संगठन कुशल व्यूह रचना के माध्यम से आंतरिक तथा बाह्य वातावरण के अनुसार अपने आपको ढालने में सफल होता है।

आधुनिकीकरण व्यूह रचना निर्णय के प्रमुख आयाम-

व्यूह रचनात्मक निर्णयों के प्रमुख आयाम निम्नलिखित हैं-

(1) व्यूह रचनात्मक निर्णय केवल उच्च प्रबन्ध ही लेता है। अधीनस्थ अथवा सहायकों को इस प्रकार के निर्णय का अधिकार नहीं होता है।

(2) इस प्रकार निर्णयों का सम्बन्ध साधनों की बड़ी एवं भारी-भरकम राशि से होता है।

(3) व्यूह रचनात्क निर्णयों का व्यापाक प्रभाव किसी संस्था के दीर्घकालीन निर्णयों पर पड़ता है।

(4) व्यूह रचनात्मक निर्णय सदैव भविष्य अभिमुखी होते हैं।

(5) इस प्रकार के निर्णय संगठन के अनेक विभागों तथा कार्य को प्रभावित करते हैं।

(6) उच्च प्रबन्ध को संगठन के बाह्य एवं आन्तरिक वातावरण को ध्यान में रखकर इस प्रकार वे निर्णय करने होते हैं। वातावरण के अनुसार ही, व्यूह रचनात्मक निर्णयों की आवश्यकता मापी जाती है।

(7) यह निर्णय सदैव परिचलन निर्णयों से भिन्न होते हैं।

कार्यनीति या रणनीति या व्यूह रचनात्मक निर्णयों की परम्परागत विचारधाराएँ

व्यूह रचनात्मक निर्णयों की प्रमुख परम्परागत विचारधाराएँ निम्नलिखित हैं-

  1. तर्कपूर्ण विचारधारा- इस विचारधारा के समर्थकों का मानना है कि निर्णय लेने वाला व्यक्ति एक विशिष्ट व्यक्ति होता है उसके समस्त निर्णय तर्कपूर्ण होते हैं। निर्णय लेने वाले व्यक्ति वे विचार विवेकपूर्ण होते हैं तथा प्रत्येक निर्णय में वह अपने विवेक का पूर्ण उपयोग करता है। निर्माण करते समय यह व्यक्ति भविष्य में इन निर्णयों के होने वाले प्रभावों का बारीकी से अध्ययन करता है और इससे संगठन को होने वाले लाभ या हानि को ध्यान में रखकर निर्णय लेता है।
  2. व्यवहारवादी विचारधारा- इस विचारधारा के समर्थकों का मानना है कि निर्णय लेने वाला व्यक्ति एक स्वतंत्र व्यक्ति होता है तथा उसका हर निर्णय उसकी इच्छाओं तथा आवश्यकताओं से प्रेरित होता है। प्रत्येक निर्णयकर्त्ता के विचार अपने अधीनस्थों से भिन्न हो सकते हैं। इस विचारधारा के समर्थक यह भी मानते है कि निर्णयकर्त्ता को विकल्पों तथा परिणामों का सीमिति ज्ञान होता है। इनका मानना है कि निर्णयकर्त्ता का उद्देश्य अधिकतम परिणाम प्राप्त करना न होकर स्वयं की संतुष्टि होता है। निर्णयकर्त्ता सदैव ऐसे विकल्प का चुनाव करता है जिससे वह स्वयं संतुष्ट हो सके। वह जो कुछ उचित समझता है उसी में उसका विश्वास होता है और वह अपनी इच्छा के अनुसार विकल्पों का चुनाव करता है।
  3. राजनीतिक विचारधारा- इस विचारधारा के चिन्तकों का मानना है कि निर्णयन एक प्रक्रिया है यह कोई व्यक्तिगत कार्य नहीं है। निर्णयकर्ता सीमित संस्था में ही प्रभावों तथा परिणामों पर विचार करता है जो संगत होते हैं तथा जिनका अनुमान लगाना आसान होता है। निर्णय पर पहुँचने से पहले कुछ विकल्पों पर विचार अवश्यक किया जाता है।

निष्कर्ष- रणनीति के परम्परागत एवं आधुनिक अवधारणाओं के अध्ययन के पश्चात् निष्कर्षतः हम यह कह सकते हैं कि आधुनिक परिभाषा अधिक विस्तृत है जिसे रणनीति के प्रत्येक स्तर पर प्रयोग किया जा सकता है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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