व्यूहरचनात्मक प्रबंधन / Strategic Management

व्यूहरचनात्मक प्रोफाइल | व्यूह रचनात्मक लाभ प्रोफाइल का बनना | प्रतियोगितात्मक शक्तियां एवं कमजोरियां | व्यूह रचनात्क लाभ परिदृश्य विश्लेषण

व्यूहरचनात्मक प्रोफाइल | व्यूह रचनात्मक लाभ प्रोफाइल का बनना | प्रतियोगितात्मक शक्तियां एवं कमजोरियां | व्यूह रचनात्क लाभ परिदृश्य विश्लेषण | Strategic Profile in Hindi | Formation of array creative profit profile in Hindi | Competitive Strengths and Weaknesses in Hindi | Strategy Creative Advantage Scenario Analysis in Hindi

व्यूहरचनात्मक लाभ प्रोफाइल

व्यूहरचनात्मक लाभ प्रोफाइल (Strategic Advantage Profile)-

से आशय फर्म/ कम्पनी के क्रियात्मक क्षेत्रों में शक्ति एवं कपजोरियों के अध्ययन से है। शक्तियों से अभिप्राय प्रतिस्पर्धात्मक लाभ तथा मूल क्षमता से है (प्रतियोगियों के संदर्भ में) जिससे कम्पनी बाजार में अपना स्थान बना सकती है। यह उत्कृष्ट तकनीकी ज्ञान, वितरण व्यवस्था, प्रोत्साहित कर्मचारियों आदि में छिपा रहता है। कमजोरियों संसाधनों तथा क्षमताओं में रुकावट सीमाओं तथा बाधाओं का कार्य करती है। यह कमजोरियाँ वित्तीय/तकनीकी ज्ञान की कमी के कारण हो सकती हैं। इनका प्रभाव फर्म के भविष्य के कार्यों पर पड़ता है। इस तकनीक के द्वारा व्यूह रचनात्मक लाभ कारकों का मूल्यांकन किया जाता है, जो कि कथनी के पर्यावरण की जानकारी हेतु आवश्यक है। इस प्रकार प्रोफाइल की तैयारी के अन्तर्गत विपणन, उत्पादन, वित्त, मानव संसाधन शोध एवं विकास आदि क्रियात्मक पक्षों का पूर्णरूप से अध्ययन किया जाता है।

व्यूह रचनात्मक लाभ प्रोफाइल का बनना

(Preparing the Strategic Advantages Profile)

सहारा प्रकाशन (प्रा०) लि. तालिका- व्यूह रचनात्क लाभ प्रोफाइल

(Strategic Advantage Profile of Sahara Prakashan P. Ltd.)

सहारा प्रकाशन प्रा० लि० का मुख्य कार्य पुस्तकों की छपाई एवं उसे घरेलू बाजार में विदेशी बाजारों में निर्यात करने से है। यह एक काल्पनिक उदाहरण है जिससे सम्बन्धित जानकारी निम्नलिखित हैं:

सामर्थ्य कारक (Capability Factor)

प्रतियोगितात्मक शक्तियां एवं कमजोरियां (Competitive Strengths or Weaknesses)

1. वित्त (Finance)

पूँजी की उच्च लागत, संचिति एवं आधिक्य की स्थिति अंसतोषजनक

2. विपणन (Marketing)

उद्योगों में तीव्र प्रतियोगिता, वर्तमान में कम्पनी की स्थिति सुदृढ़

3. क्रियाएं (Operations)

सम्पत्ति एवं मशीनरी की श्रेष्ठ स्थिति, पार्टस एवं कम्पोनेन्टस की उपलब्धता के स्त्रोतों की अच्छी व्यवस्था

4. कार्मिक (Personnel)

प्रतियोगी कम्पनियों से प्रबन्धक एवं कार्मिकों की गुणवत्ता की तुलना

5. सूचना (Information)

विकास की प्रक्रिया में कम्प्यूटरीकृत प्रबन्ध सूचना प्रणाली, परम्परागत कार्य जैसें पेरोल एवं कम्प्यूटरीकृत लेखाकन

6. सामान्य प्रबन्ध

उच्च गुणवत्ता एवं उच्चतम अनुभवी प्रबन्ध, सकारात्मक निर्णयन

नोट:- Up से तात्पर्य शक्तियों से है, Down↓ से तात्पर्य कमजोरियों से है जबकि Horizontal → से तात्पर्य सामान्य स्थिति से है।

तालिका से स्पष्ट है कि कम्पनी की शक्तियां क्रियाओं, तथा सामान्य प्रबन्ध में है। वित्त क्षेत्र में कम्पनी को सुधार लाना होगा, यदि कम्पनी को विकास करना एवं प्रतियोगी कम्पनियों के बीच बने रहना है। विपणन में सुरक्षात्मक स्थिति है लेकिन भविष्य में भी ऐसी स्थिति रहेगी, नहीं कहा जा सकता है। प्रोफाइल के अध्ययन एवं विश्लेषण से स्पष्ट है कि सहारा प्रकाशन को रिक्त क्षेत्रों में पर्यावरणीय अवसरों एवं चुनौतियों का सामना करने के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग करना चाहिए।

व्यूह रचनात्क लाभ परिदृश्य विश्लेषण

यह विश्लेषण की एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यूह रचनाकर्त्ता एक फर्म के संसाधनो तथा क्षमताओं का आधारभूत कार्यात्मक क्षेत्रों में परीक्षण के द्वारा यह सुनिश्चित करते हैं कि कहाँ पर फर्म की विशिष्ट कमजोरियाँ या शक्तियाँ निहित हैं। इस प्राकर के परीक्षणों से वातावरणीय अवसरों का ज्ञान होता है और फर्म को इनका लाभ मिल सकता है। इस परिदृश्य का मुख्य उद्देश्य उचित कार्यवाही करने, फर्म की विशिष्ट क्षमताओं का लाभ उठाना तथा व्यूह रचना को प्रभावी बनाना है। इस विश्लेषण द्वारा संस्था को प्रतिस्पद्धियों की अपेक्षा लाभ प्राप्त होता है। संगठन को चाहिये कि वह वातावरणीय चुनैतियों और अवसरों का विशेष ध्यान रखे तथा इनके ही आधार पर अपनी शक्तियों एवं कमजोरियां का विश्लेषण करे। इस विश्लेषण के आधार पर उचित कार्यवाही कर कोई भी संस्था लाभ प्राप्त कर सकती है।

व्यूह रचनात्मक लाभ परिदृश्य तैयार करते समय निम्नलिखित तत्वों पर विशेष ध्यान देना चाहिये-

  1. विपणन- विपणन कार्य किसी भी व्यवसाय का मुख्य कार्य होता है। विपणन जितना प्रभावशाली होगा, फर्म को उतना ही अधिक लाभ होगा। व्यूह रचनात्मक लाभ परिदृश्य का यह एक अति महत्वपूर्ण तत्व है। विपणन में निम्न तत्वों का समावेश होता है-

(अ) समग्र बाजार में फर्म ने किस सीमा तक सुदृढ बाजार पर नियंत्रण्ध कर लिया है

(ब) कुशल एवं प्रभावी विपणन शोध की व्यवस्था,

(स) उत्पादन तथा सेवाओं की किस्म,

(द) उत्पादन एवं सेवाओं का मूल्य,

(य) वितरण का प्रभावी माध्यम,

(र) प्रभावी विज्ञापन,

(ल) उपभोक्ताओं के सम्बन्ध,

(व) प्रभावी विपणन संवर्द्धन एवं पैकेजिंग,

(स) क्रय के बाद प्रभावी सेवा,

(ष) विपणन नीतियों का मूल्यांकन।

  1. परिचालन व्यूह रचनात्मक लाभ परिदृश्य के संदर्भ में परिचालन एवं उत्पादन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उत्पादन एवं परिचालन प्रबन्ध पूँजी के प्रभावी उपयोग तथा प्रभावी मानवीय संसाधनों के द्वारा एक फर्म की लाभदायकता में महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करता है।

परिचालनों के लम्बवत् एकीकरण की मात्रा, सुविधाओं तथा कार्यकाल की व्यूह रचनात्मक स्थिति, निम्न परिचालन लागत, कुशल उत्पादन उपकरण, प्रभावी शोध एवं विकास यूनिट, पेटेण्ट एवं अन्य संरक्षण सुविधाएं प्रभावी सूचना पद्धति, कच्चे माल की लागत तथा उपलब्धता, कुशल प्रभावी सुविधाएँ आदि इसके प्रमुख घटक हैं।

  1. वित्त एवं लेखांकन- वित्त सभी व्यवसायों एवं उद्योगों का आधार होता है। विना वित्त के किसी भी व्यवसाय या उद्योग को कामना नहीं की जा सकती है। प्रभावी वित्तीय एवं लेखांकन सूचनाएँ उच्च प्रबन्ध को निर्णयन एवं नियंत्रण में सहयोग प्रदान करती हैं। किसी भी उद्योग के लिये व्यूह रचना करने में वित्तीय संसाधनों का महत्व सर्वोपरि होता है। अंकेक्षण प्रक्रिया, लेखांकन की उचित व्यवस्था, बजट, लाभ नियोजन, प्रभावी पूँजी संरचना की मात्रा, लाभदायक कर दशाओं, स्वामियों, अंशधारियों के सम्बन्ध, प्रभावी वित्तीय नियोजन इसके प्रमुख तत्व हैं।
  2. सेविवर्ग एवं प्रबन्ध- किसी भी संगठन की सफलता एवं असफलता में सेविवर्ग एवं प्रबन्ध की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सेविवर्ग एवं प्रबन्ध जितना प्रभावी होगा, व्यवसाय की सफलता भी अधिक प्रभावी होगी। इसके शिथिल होने पर संगठन की सफलता पर स्वतः प्रश्न चिन्ह लग जाते हैं। व्यूह रचनात्मक लाभ परिदृश्य की दृष्टि से निम्न बिन्दु अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं- प्रभावी संगठन संरचना तथा वातावरण, व्यूह रचनात्मक नियोजन प्रक्रियो, राजनीतिक एवं अन्य संस्थाओं के साथ सम्बन्ध, श्रम की तुलनात्मक लागत, उच्च किस्म के प्रबन्ध एवं कर्मचारी, श्रम संघों के साथ प्रभावी सम्बन्ध, प्रभावी प्रबन्ध नीतियाँ आदि।

व्यूह रचनात्मक लाभ परिदृश्य के विभिन्न घटकों का एक विवरण पत्र तैयार करके यह जानकारी प्राप्त की जा सकती है कि संस्था किस घटक का उचित प्रयोग कर रही है और किस का उचित प्रयोग नहीं किया गया है। इस विवरण से उन कारकों का पता लगाया जा सकता है जिसके कारण फर्म के लाभ की मात्रा कम प्राप्त हो रही है। इसी विश्लेषण के द्वारा यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि किस तत्व को प्रभावी कर फर्म की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है।

व्यूहरचनात्मक प्रबंधन – महत्वपूर्ण लिंक

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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