निगमीय प्रबंधन / Corporate Management

रणनीतिक प्रबन्ध में वैश्विक मुद्दे | उत्तर भारत में कार्यरत बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के नाम

रणनीतिक प्रबन्ध में वैश्विक मुद्दे | उत्तर भारत में कार्यरत बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के नाम | Global Issues in Strategic Management in Hindi | Names of multinational companies operating in North India in Hindi

रणनीतिक प्रबन्ध में वैश्विक मुद्दे-

रणनीतिक प्रबन्ध में निम्नलिखित वैश्विक मुद्दे होते हैं –

  1. वैश्विक रणनीति की स्थापना- वैश्विक व्यूह रचना की स्थापना हेतु व्यूह रचना का परिचय कराया जाता है। इस सम्बन्ध में मुख्य अधिकारी की भूमिका विशेष महत्वपूर्ण होती है।
  2. वैश्विक योजनाएँ तथा कार्यक्रम- वैश्विक व्यूह रचना की जानकारी के बाद सम्बन्धित वैश्विक योजनाएँ एवं कार्यक्रम बनाये जाते हैं। इसमें बड़ी मात्रा में गतिविधियों के समूह शामिल किये जाते हैं।
  3. उद्देश्यों का निर्धारण- वैश्विक व्यूह रचना हेतु उद्देश्यों को निर्धारित करना आवश्यक होता है। ऐसा निर्धारण सार्थक एवं मूर्त्त रूप में किया जाता है।
  4. अन्तर्राष्ट्रीय फर्म एवं संगठनात्मक विश्लेषण- अन्तर्राष्ट्रीय फर्म के संगठनात्मक विश्लेषण हेतु संगठनात्मक संरचना का विश्लेषण, विपणन का विश्लेषण, उत्पादन का विलेषण, वित्तीय घटकों का विश्लेषण तथा मानवीय संसाधनों का विश्लेषण करना आवश्यक होता है।
  5. वैकल्पिक व्यूह रचनाओं का निर्माण- अन्तर्राष्ट्रीय व्यवसाय हेतु कारपोरेट वैकल्पिक रणनीतियों का निर्माण राष्ट्रीय व्यावसायिक संगठन की तुलना में अलग होता है। एक अन्तर्राष्ट्रीय फर्म पहले देश का निर्धारण करती है। तत्पश्चात् रणनीतिज्ञों का निर्माण करती है। इन व्यूह रचनाओं को निम्नलिखित दो वर्गों में विभक्त किया जाता है-(1) निगम स्तरीय व्यूह रचनाएँ तथा (2) व्यवसाय स्तरीय व्यूह रचनाएँ।

उत्तर भारत में कार्यरत बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के नाम निम्नलिखित है—

(1) डॉo रेड्डी (दवा निर्माता कम्पनी),

(2) रनवैक्सी (दवा निर्माता कम्पनी),

(3) पारले प्रोडक्ट्स (बिस्कुट कम्पनी),

(4) कोलगेट पामोलिव लि० (प्रसाधन निर्माता),

(5) हिन्दुस्तान लीवर्स लि० (प्रसाधन निर्माता),

(6) बाटा शूo क० (जूते),

(7) ग्लेक्सो (फार्मास्स्युटिकल),

(8) नेशले (खाद्य पदार्थ),

(9) पार्क डेविस (दवा निर्माता),

(10) नीविया (प्रसाधन),

(11) एलेटीन (प्रसाधन),

(12) फिलिप्स इण्डिया लि० (इलेक्ट्रॉनिक्स),

(13) सैमसंग कम्पनी (इलेक्ट्रॉनिक्स),

(14) एल-जी (इलेक्ट्रॉनिक),

(15) मरफी (रेडियो),

(16) फ्यूजी फिल्मस लिo (कैमरे आदि),

(17) विप्रो ((कम्प्यूटर),

(18) नोकिया,

(19) हच आदि।

वैश्विक ढाँचा-

वैश्विक स्तर तक पहुंचने के लिए एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी लाइसेंस या निर्यात विभाग के माध्यम से विदेशी बाजार में उत्पादों को प्रवाहित करती है। इसके बाद अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनी द्वारा विदेश में अपना स्थानीय कार्यालय खोला जाता है। अपना विकास करते हुए संगठन परिपक्वता की अवस्था में आता है। परिपक्वता की अवस्था में संगठन द्वारा क्षेत्रीय प्रबन्ध संगठनों से प्रचालनों को एकीकृत किया जाता है। संयुक्त उपक्रम, विलीनीकरण आदि पर ध्यान दिया जाता है।

वैश्विक संगठन में कार्यात्मक प्ररचना की भौगोलिक एवं कार्यात्मक संरचना के आधार पर प्ररचना की जाती है। वैश्विक संगठन संरचना पहले भौगोलिक संरचना पर आधारित होने के साथ ही संगठनात्मक संरचना भी होती है। इसमें अन्तर्राष्ट्रीय विनियोग अधिक तथा व्यापक होता है और व्यावसायिक गतिविधियाँ विविकृत होती हैं।

वैश्विक संगठन संरचना के भौगोलिक क्षेत्रों, उत्पाद रेखाओं, कार्यों या कुछ संयोगों के आधार पर बनाया जाता है इसमें विश्वव्यापी संगठन होता है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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