समाजीकरण हेतु विद्यालय के कार्य | School work for socialization in Hindi
समाजीकरण हेतु विद्यालय के कार्य | School work for socialization in Hindi
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समाजीकरण की प्रक्रिया में विद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि विद्यालय ही वह स्थान है जहां परिवार के बाद छात्र अधिक समय बिताता है। यहीं पर वह अपने अन्य सहपाठियों के सम्पर्क में आकर बहुत सी नयी-नयी बातें सीखता है। यहीं पर उसका परिचय अपने शिक्षकों से होता है और शिक्षकों के द्वारा ही वह समाजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है। अतः विद्यालयों का समाजीकरण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व है। संक्षेप में समाजीकरण को ध्यान में रखते हुए विद्यालयों को निम्न कार्य करने चाहिए-
- विद्यालय को चाहिए कि वह समय-समय पर बालको के शोभनीय व्यवहार के लिए उन्हें पुरस्कृत करने और अशोभनीय व्यवहार के लिए दण्डित करने की व्यवस्था करे।
- बालकों का सही दिशा में समाजीकरण के लिए विद्यालयों को नाटक, वाद-विवाद जैसे कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
- विद्यालयों को समाज का एक लघु रूप स्वीकार किया जाता है। अतः विद्यालयों को चाहिए कि वह अपने यहां ऐसा सामाजिक वातावरण तैयार करें जो समाज की परिस्थितियों के अनुकूल हो और उसमें रहते हुए बालकों का समाजीकरण समाज की आवश्यकताओं के अनुकूल ही सम्भव हो सके।
- विद्यालयों को चाहिए कि वह ऐसे वातावरण का निर्माण करें जिससे बालकों में समानता, सहयोग, स्वतन्त्रता, न्याय और बन्धुत्व के गुणों का विकास सम्भव हो सके।
- विद्यालयों में ऐसे समाज सेवा संकार्यों की स्थापना की जानी चाहिए जो देश पर विपत्ति के समय में समाज सेवा में आगे आयें। इससे बालकों के सही दिशा में समाजीकरण में सहायता मिलेगी।
- विद्यालयों को अपने छात्रों को समाज की भलाई के लिए उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। इसका एक अच्छा उदाहरण श्रमदान हो सकता है। विद्यालयों को चाहिए कि वह समय-समय पर श्रमदान के माध्यम से बच्चों में श्रम के प्रति प्रेम की भावना को जागृत करने का प्रयास करें।
- विद्यालयों को चाहिए कि वह अपने यहां ऐसे कार्यक्रमों को भी लागू करें जिनसे बालकों में सामाजिक व व्यवसायिक कुशलता बढ़ सके और उनका सही दिशा में समाजीकरण सम्भव हो सके।
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