समाज शास्‍त्र / Sociology

समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम | समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम का उदभव | समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम के उद्देश्य | समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम का क्रियान्वयन | समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम की उपलब्धियाँ | समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम की कमियाँ व प्रभावी कार्यान्वयन हेतु सुझाव | Integrated Rural Development Programme in Hindi | IRDP

समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम | उदभव | उद्देश्य | समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम का क्रियान्वयन | समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम की उपलब्धियाँ | समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम की कमियाँ व प्रभावी कार्यान्वयन हेतु सुझाव

समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम

समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम का उदभव

(Evaluation of Integrated Rural Development Programme)

IRDP एक ऐसा कार्यक्रम है जो भारत के सभी  कार्यक्रमों का सारांश है, क्योंकि योजनाओं को मिलाकर समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ है। सन् 1978-79 में यह कार्यक्रम केवल 2300 विकास खण्डों से प्रारम्भ हुआ, लेकिन सन् 1980 में देश के सभी 5011 विकास खण्डों में एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम विकास लागू है।

समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम के उद्देश्य

(Objects of I.R.D.P.)

IRDP के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है-

(1) ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों को त्राण व अनुदान देकर उन्हें गरीबी रेखा से ऊपर उठाना है। इसे ‘लक्ष्य समूह’ कहते हैं, जिनकी वार्षिक आय 3500 रु. अधिक नहीं है उन्हें यह सहायता दी जाती है।

(2) IRDP कार्यक्रम में गाँव के निर्धन अनुसूचित जाति, जनजाति, खेतिहर मजदूर, लघु व सीमान्त कृषक सम्मिलित होते हैं।

(3) सातवीं पंचवर्षीय योजना में जिनकी वार्षिक आय 6400 रु. तक है उन्हें IRDP के सभी लाभ मिलेगे। इसे ‘लाभार्थी योजना’ कहते है।

(4) सरकार ने प्रशासनिक नियंत्रण हेतु “जिला ग्रामीण विकास अभिकरण” (DRADA) की स्थापना की है। इससे गरीबी रेखा के नीचे घोषित परिवारों का चयन ‘जिला योजना के आधार पर पांच साल के लिए किया जाएगा।

समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम का क्रियान्वयन

(Implementation of I.R.D.P.)

IRDP योजनाओं की स्वीकृति का कार्य राज्य सरकार के अधीन है, जिसमें राज्य स्तरीय समन्वय समिति होती है जो प्रत्येक ब्लाक की विचारधीन आर्थिक योजनाओं पर स्वीकृत देती है। इसमें केन्द्रीय ग्राम विकास मंत्रालय के मनोनीत सदस्य होते है, जो राज्य स्तर पर समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रमों की उचित जानकारी केंद्र सरकार को देते हैं।

IRDP योजना की सफलता के लिए ब्लाक स्तर की समिति के सदस्य ग्राम प्रधान व जिला स्तर पर तीन सदस्य (1) अर्थशास्त्री (2) कुटीर एवं लघु उद्योग अधिकारी (3) साख नियोजन अधिकारी होते हैं, जो प्रत्येक विकास खण्ड के लिए योजनाएं बनाते हैं।

सन् 1982 में IRDP योजना एक तहत ‘ग्रामीण महिला एवं बच्चों के विकास कार्यक्रम घोषित हुआ है जिसमे महिला वर्ग कैसे अपने परिवार की आय ऊँची कर सकती है। भारत के प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 1993 को 1000 करोड़ रु. से ग्रामीण महिलाओं को खाते खोलने पर 300 रु. एवं 75 रुपये का अनुदान देने की घोषणा की है जिससे महिला वर्ग कैसे अपने परिवार की आय ऊंची कर सकती है।

समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम की उपलब्धियाँ

(Achievements of I.R.D.P.)

IRDP के अंतर्गत 1986-87 ई. तक कुल 34.7 लाख लोगों को 977.8 रु.के ऋण प्राप्त हुए है। भारत सरकार ने 1993-94 में समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम (IRDP) के लिए 834 करोड़ रु. परिव्यय का प्रावधान है जिसमें TRYSEM  को 13 करोड़ DPAD 77 करोड़ रु. DDP को 75 करोड़ रुपये व IRDP को 630 करोड़ स्वीकृत है। इसमें IRDP से गरीबी हटाओ कार्यक्रम आर्थिक सहायता एवं ऋण देने की योजना है। (Annual Budget 1993-94 Vol. I, Chaper VII, Page 27-88)

छठी पंचवर्षीय योजना (1980) में समन्वित गामीण सहायता कार्यक्रम (IRDP) के अन्तर्गत प्रत्येक विकास खण्ड में 3000 परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करनी थी, लेकिन 600 परिवार प्रत्येक खण्ड पर लाभान्वित हुए।

सातवीं योजना में 300 रु.की आय सीमा के लाभार्थी भी सम्मिलित किए हुए और आठवीं योजना से 1.49 करोड़ लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान की गई। सरकार ने ग्रामीण विकास हेतु 1995-96 ई. में जहाँ 7700 करोड़ रु. व्यय किए, वहीं व्यय 1999-2000 ई. में बढ़कर 9650 करोड़ रु. तक पहुंच गया है। इसके अंतर्गत 1996-97 ई. में (IRDP) पर 1100 करोड़ रु. जवाहर रोजगार योजना (JRY) पर 1665 करोड़ रु. वेजगार इन्श्योरेन्स स्कीम (EAS) पर 2400 करोड़ रु. प्रधानमंत्री रोजगार योजना (PMRY) पर 173 करोड़ रु. इन्दिरा आवास योजना पर 1710 करोड़ रु. व्यय हुए है।

समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम की कमियाँ व प्रभावी कार्यान्वयन हेतु सुझाव

(Deficiencies of I.R.D.P. and suggestions for effective Implementation)

IRDP में लाभार्थी चयन व नियोजन प्रक्रिया ठीक प्रकार से नहीं अपनाई गई, जिसमें अपात्र लाभार्थियों का चयन हुआ, इसका कुप्रभाव निर्धन परिवारों पर अधिक पड़ा क्योंकि वे ऋण एवं आर्थिक सहायताओं से वंचित रहे। आज यही कारण है कि IRDP जैसी योजना क्रियान्वित होने के बाद भी गरीबी ज्यों की त्यों है, क्योंकि गांवासियों में IRDP कार्यक्रम केवल “खाओ पिओ योजना’ बनकर रह गई, यह सोच भारत के लिए हानिकर है।

IRDP में उचित पात्र का ही चयन हो जिससे लाभार्थी पात्र समय से आय प्राप्त कर सकें।

(1) IRDP में उचित पात्र का ही चयन हो जिससे लाभार्थी पात्र समय से आय प्राप्त कर सकें।

(2) IRDP से ऋण अदायगी की प्रक्रिया में विकास खण्ड अधिकारियों व बैंक अधिकारियों को जागरुक होना चाहिए।

(3) IRDP के अंतगत भारत सरकार ने ऋणों की सीमा 5000 से बढ़ाकर 10,000 रु. तक कर दी है। इसके लिए किसी जमानत की आवश्यकता नहीं होना चाहिए।

(4) IRDP के अन्तर्गत प्रदत्त ऋणों पर ब्याज की दर 10 प्रतिशत है, जो अधिक है, अतः इसे कम करने की आवश्यकता है।

(5) IRDP के ऋण प्राप्तकर्ता को पासबुक (Pass Books) निर्गत होनी चाहिए, जिसमें छूट की धनराशि व बैंक के अदायगी धन का ब्यौरा हो।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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