शिक्षाशास्त्र / Education

शिक्षा का अर्थ | शिक्षा की प्रमुख परिभाषाएँ | शिक्षा की विशेषताएँ | Meaning of education in Hindi | Key definitions of education in Hindi | Characteristics of education in Hindi

शिक्षा का अर्थ
शिक्षा का अर्थ

शिक्षा का अर्थ | शिक्षा की प्रमुख परिभाषाएँ | शिक्षा की विशेषताएँ | Meaning of education in Hindi | Key definitions of education in Hindi | Characteristics of education in Hindi

शिक्षा का अर्थ

शिक्षा शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत की “शिक्षु’ धातु से हुई है जिसका अर्थ है सीखना और सिखाना। इस अर्थ में यदि हम देखें तो शिक्षा में वह सब कुछ निहित है जो हम समाज में रहकर सीखते हैं। शिक्षाशास्त्री शिक्षा शब्द का प्रयोग प्रायः तीन रूपों में करते हैं-

(1) ज्ञान।

(2) पाठ्यचर्या का एक विषय ।

(3) व्यवहार में परिवर्तन लाने वाली प्रक्रिया।

वास्तव में यदि देखा जाये तो शिक्षा का तीसरा अर्थ अधिक उचित प्रतीत होता है। समाज में रहकर व्यक्ति जो कुछ सीखता है, उसी के परिणामस्वरूप वह स्वयं को पाशविक प्रवृत्तियों से ऊँचा उठाता है और सभ्य एवं सामाजिक प्राणी बनने की इच्छा रखता है । शिक्षा के द्वारा ही बालक का मार्गदर्शन होता है परन्तु इन सन्दर्भों में शिक्षा को समझने हेतु हमारे लिए यह अनिवार्य है कि हम शिक्षा को विद्यालय की चहारदीवारी के अन्दर चलने वाली प्रक्रिया ही न मानें वरन् इसे समाज में अनवरत चलने वाली प्रक्रिया के रूप में भी स्वीकार करें। निःसन्देह हम यह कह सकते हैं कि मानव जीवन को सजाने व संवारने में शिक्षा की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण रही है। इसके साथ ही शिक्षा के द्वारा ही समाज अपनी संस्कृति व सभ्यता की रक्षा करते हुए उसे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को स्थानान्तरित करता है। इसके साथ ही समाज में रहकर व्यक्ति जो सीखता है, उसी के परिणामस्वरूप वह स्वयं को पाशविक प्रवृत्तियों से ऊँचा उठाता है और एक सभ्य एवं सामाजिक प्राणी बनने की इच्छा रखता है। वास्तव में शिक्षा ही वह प्रक्रिया है जो बालक को उचित प्रशिक्षण देते हुए उसका मार्गदर्शन करती है।

शिक्षा शब्द का प्रयोग विभिन्न अर्थो में किया जाता है। प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री अरस्तू ने कहा, शिक्षा मनुष्य को पाशविक प्रवृत्तियों से ऊँचा उठाने का कार्य करती है। शिक्षा में सलग्न प्रत्येक व्यक्ति शिक्षा के सन्दर्भ में अपनी निजी धारणा रखता है और इसी कारण इसके वास्तविक अर्थ में मतैक्य नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक व धार्मिक धारणाओं क अनुसार शिक्षा शब्द की व्याख्या करने की कोशिश करत। है।

शिक्षा मानव जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक है। शिक्षा द्वारा ही मनुष्य सभ्य और सुसंस्कृत बन जाता है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में शिक्षा ही मनुष्य की सबसे बड़ी सहयोगी के रूप में सामने आती है।

शिक्षा का शाब्दिक अर्थ- “शिक्षा” शब्द के लिए अंग्रेजी में Education (एजुकेशन) का प्रयोग किया जाता है। Education लैटिन भाषा के तीन शब्दो Educatum (एडूकेटम), Educere (एडूसीयर) और Educare (एडूकेयर) से बना है जिसका क्रमशः अर्थ है-शिक्षित करना, आगे बढ़ना और बाहर निकालना। इस प्रकार शिक्षा का शाब्दिक अर्थ हुआ-बालक में उपस्थित आन्तरिक गुणों तथा शक्तियों को बाहर निकालना और उनका विकास करना।

शिक्षा का संकुचित अर्थ- संकुचित अर्थ में शिक्षा का तात्पर्य उस शिक्षा से हैं, जो बालक को विद्यालय में प्रदान की जाती है। दूसरे शब्दों में जब बालक को पूर्व- निश्चत योजना द्वारा वयस्क वर्ग में निश्चित काल तथा निश्चित पद्धतियों द्वारा निश्चित प्रकार का ज्ञान प्रदान किया जाता है, तो उसे संकुचित शिक्षा कहते हैं । जे०एस० मैकेन्जी अनुसार “संकुचित अर्थ में शिक्षा का अर्थ हमारी शक्तियों के विकास और सुधार के लिए चेतनापूर्वक किये गये प्रयासों से लिया जाता है।”

शिक्षा का व्यापक अर्थ- व्यापक अर्थ में शिक्षा जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है जिसमें मनुष्य जीवन भर शिक्षा ग्रहण करता रहता है।

टी० रेमन्ट के अनुसार “शिक्षा विकास का वह क्रम है, जिससे मनुष्य अपने आपको आवश्यकतानुसार भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक वातावरण के अनुकूल बना लेता है।

जे०एस० मैकेन्जी ने कहा है कि- “व्यापक अर्थ में शिक्षा एक सही प्रक्रिया है, जो आजीवन चलती रहती है और जीवन के प्राय: प्रत्येक अनुभव से उसके भण्डार में वृद्धि होती है। शिक्षा को जीवन का मुख्य साध्य भी कहा जाता है।”

शिक्षा का विश्लेषणात्मक अर्थ- शिक्षा के इस अर्थ के अन्तर्गत शिक्षा का अर्थ विद्यालय में दी जाने वाली शिक्षा तक ही सीमित नहीं है। शिक्षा का कार्यक्रम जन्म से लेकर मृत्यु तक चलता है। मानव प्रत्येक अनुभव से कुछ न कुछ सीखता ही है । उसके लिए प्रत्येक प्राणी किसी-न-किसी रूप में शिक्षक का कार्य करता है।

एडीसन के अनुसार “शिक्षा वह क्रिया है, जिसके द्वारा मनुष्य में निहित शक्तियों का दिग्दर्शन होता है, जिसका ऐसा होना शिक्षा के बिना असम्भव है।”

जान डीवी ने शिक्षा के विश्लेषणात्मक अर्थ के अन्तर्गत उसे त्रिमुखी प्रक्रिया माना है। उनके अनुसार शिक्षक और शिष्य के अतिरिक्त एक तीसरा तत्व भी है जिसे पाठ्यक्रम कहा जाता है।

शिक्षा की प्रमुख परिभाषाएँ

विद्वानों द्वारा दी गयी शिक्षा की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित है-

  1. सुकरात ने लिखा है कि “शिक्षा का अर्थ संसार के उन सर्वमान्य विचारों को प्रकाश में लाना है, जो प्रत्येक मनुष्य के मन में विद्यमान होते हैं।”
  2. प्लेटो का कहना है कि “शिक्षा से मेरा अभिप्राय उस प्रशिक्षण से हैं, जो अच्छी आदतों द्वारा बच्चों में सद्गुणों का विकास करती है।”
  3. अरस्तू के अनुसार – “शिक्षा का अर्थ है, स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का निर्माण करना।”
  4. रूसो का कथन है कि – “वास्तविक शिक्षा वह है, जो व्यक्ति के अन्दर से प्रस्फुटित होती है, यह व्यक्ति की अन्तनिर्हित शक्तियों की अभिव्यक्ति है।”
  5. काण्ट के अनुसार- “शिक्षा व्यक्ति की उस पूर्णता का विकास है, जिस पर वह पहुँ सकता है।”
  6. पेस्टालॉजी ने लिखा है – “शिक्षा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का स्वाभाविक समन्वित तथा प्रगतिशील विकास है।”
  7. फ्रॉबेल की परिभाषा है- “शिक्षा वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा बालक अपने जन्मजात या आन्तरिक शक्तियों को प्रकट या अभिव्यक्त करता है।”
  8. हरबर्ट स्पेन्सर ने शिक्षा को इस प्रकार परिभाषित किया है- “शिक्षा का अर्थ अन्त:शक्तियों का बाह्य जीवन से समन्वय स्थापित करना है।”
  9. स्वामी विवेकानन्द के अनुसार- “मनुष्य की अन्तनिर्हित पूर्णता को अभिव्यक्त करना ही शिक्षा है।”
  10. महात्मा गांधी के अनुसार- “शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक तथा मनुष्य के शरीर, मन एवं आत्मा के सर्वोत्तम गुणों के सर्वांगीण विकास से हैं।”
  11. गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने लिखा है- “सर्वोत्तम शिक्षा वह है, जो हमें केवल सूचना ही नहीं देती, वरन् सम्पूर्ण सृष्टि से हमारे जीवन का सामंजस्य स्थापित करती है।”
  12. श्री अरविन्द- “शिक्षा मानव मन एवं आत्मा की शक्तियों का निर्माण करती है। यह ज्ञानं, चरित्र तथा संस्कृति का उत्कर्ष करती है।”

उपरोक्त परिभाषाओं में पेस्टालॉजी की दी गयी परिभाषा सर्वाधिक उपयुक्त और स्वीकार्य प्रतीत होती है क्योंकि शिक्षा का वास्तविक कार्य मनुष्य की जन्मजात शक्तयों की अभिव्यक्ति और उनका विकास करना ही है और शिक्षा ही के द्वारा यह पता चलता है कि मनुष्य का वास्तविक विचार और क्षमता क्या है।

शिक्षा की विशेषताएँ

शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है-

  1. शिक्षा की प्रमुख विशेषता है कि यह एक सतत् चलने वाली प्रक्रिया है, जो जन्म से आरम्भ होकर मृत्यु तक चलती रहती है।
  2. शिक्षा केवल शिक्षण- संस्थाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों से सम्बद्ध प्रक्रिया है और यह किसी भी स्थान पर प्राप्त की जा सकती है।
  3. शिक्षा चेतन रूप से चलने वाली प्रक्रिया है। इसे चलाने के लिए प्रयास करने पड़ते हैं।
  4. शिक्षा विकास की एक प्रक्रिया है, जिससे व्यक्ति के विभिन्न पक्ष विकसित होते हैं। शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति के आन्तरिक गुणों और उसकी अन्तनिर्हित क्षमताओं का प्रकटीकरण और प्रस्फुटन होता है।
  5. शिक्षा एक गत्यात्मक प्रक्रिया है। यह निरन्तर प्रगति की ओर आगे बढ़ती रहती है।
  6. शिक्षा एक परिवर्तनकारी प्रक्रिया है। इसके माध्यम से व्यक्ति में बहुमुखी बदलाव आते हैं।
  7. शिक्षा को सामान्यत: द्विमुखी प्रक्रिया माना जाता है, जिसके दो पक्ष-शिक्षक और शिक्षार्थी होते हैं। यल्कि जान डीवी के अनुसार शिक्षा द्विमुखी नहीं, वरन् त्रिमुखी प्रक्रिया है, जिसके तीन अंग शिक्षक, शिक्षार्थी के अतिरिक्त पाठयक्रम भी होता है।
महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimersarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- sarkariguider@gmail.com

About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

1 Comment

Leave a Comment

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
close button
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
error: Content is protected !!