उद्यमिता और लघु व्यवसाय / Entrepreneurship And Small Business

उद्यमिता विकास कार्यक्रम की प्रासंगिकता | उद्यमिता विकास कार्यक्रम की उपलब्धियाँ | उद्यमिता विकास कार्यक्रमों का आलोचनात्मक मूल्यांकन

उद्यमिता विकास कार्यक्रम की प्रासंगिकता | उद्यमिता विकास कार्यक्रम की उपलब्धियाँ | उद्यमिता विकास कार्यक्रमों का आलोचनात्मक मूल्यांकन | Relevance of Entrepreneurship Development Programs in Hindi | Achievements of Entrepreneurship Development Program in Hindi | Critical Evaluation of Entrepreneurship Development Programs in Hindi

उद्यमिता विकास कार्यक्रम की प्रासंगिकता

(Relevance of Entrepreneurial Development Programme)

उद्यमिता विकास कार्यक्रम औद्योगीकरण का आधारभूत तत्व है तथा बेरोजगारी के निवारण का तन्त्र है। उद्यमिता विकास कार्यक्रम की प्रासंगिकता शिक्षण, प्रशिक्षण तथा व्यवसाय के लिए एक स्वस्थ पर्यावरण तैयार करने पर बल देती है, जिससे उद्यमियों को आगे बढ़ने में सहायता मिल सके। उद्यमिता विकास कार्यक्रम की प्रासंगिकता के प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं-

(1) उद्यमिता विकास कार्यक्रम बिखरी हुई योग्यताओं का विदोहन एवं उन्हें एक सूत्र में पिरोता है।

(2) उद्यमिता विकास कार्यक्रम पिछड़े क्षेत्रों में उद्यमों की स्थापना को प्रोत्साहित करता है।

(3) उद्यमिता विकास कार्यक्रम देश में गरीबी की रोकथाम में सहायता प्रदान करता है।

(4) उद्यमिता विकास कार्यक्रम उद्यमियों की प्रभावशीलता में वृद्धि करता है।

(5) उद्यमिता विकास कार्यक्रम बेरोजगारी को दूर करने के लिये विभिन्न स्वरोजगार कार्यक्रमों का विकास करता है।

(6) उद्यमिता विकास कार्यक्रम उद्यमियों की गतिशीलता में वृद्धि करता है।

(7) उद्यमिता विकास कार्यक्रम उद्यमियों के कौशल में वृद्धि करता है।

(8) उद्यमिता विकास कार्यक्रम किसी देश के चहुमुखी विकास के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

(9) उद्यमिता विकास कार्यक्रम देश-विदेश में नये-नये व्यवसायों की स्थापना पर बल देता है।

(10) उद्यमिता विकास कार्यक्रम देश में औद्योगीकरण के लिये संस्थागत ढाँचा विकसित करने में सहायता करता है।

(11) उद्यमिता विकास कार्यक्रम सम्भाव्य (Potential) उद्यमियों की खोज करता है।

(12) उद्यमिता विकास कार्यक्रम देश में लघुत्तर, लघु एवं सहायक उद्योगों की स्थापना तथा विकास को प्रोत्साहन देता है।

(13) उद्यमिता विकास कार्यक्रम सन्तुलित क्षेत्रीय विकास में सक्रिय सहयोग प्रदान करता है।

(14) उद्यमिता विकास कार्यक्रम नवीन परियोजनाओं के निर्माण में सहायता प्रदान करता है।

(15) उद्यमिता विकास कार्यक्रम उद्यमियों में सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना विकसित करता है।

(16) उद्यमिता विकास कार्यक्रम उद्यमियों के शिक्षण तथा प्रशिक्षण की नियोजित व्यवस्था करता है।

उद्यमिता विकास कार्यक्रम की उपलब्धियाँ

(Achievements of Entrepreneurial Development Programme)

उद्यमिता विकास कार्यक्रम की प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं-कि

(1) परियोजना निरूपण एवं सन्तुलित क्षेत्रीय विकास

(2) नवीन उपक्रमों की स्थापना एवं विस्तार।

(3) तीव्र औद्योगीकरण।

(4) उद्यमिता विकास संस्थानों की स्थापना।

(5) उद्यमिता शिक्षण एवं प्रशिक्षण

(6) बेरोजगारी समस्या के समाधान में सहायक

(7) संस्थात्मक ढाँचा विकसित होना।

(8) संसाधनों का कुशलतम उपयोग।

(9) सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना का विकास।

(10) राष्ट्रीय आय में वृद्धि।

(11) बाजार का विस्तार।

(12) औद्योगिक संस्कृति विकसित होना।

(13) नये-नये उद्यमिता अवसरों का विकसित होना।

(14) आर्थिक सत्ता का विकेन्द्रीकरण।

(15) उत्पाद एवं उत्पादकता में वृद्धि।

उद्यमिता विकास कार्यक्रमों का आलोचनात्मक मूल्यांकन

(Critical Evaluation of Entrepreneurial Development Programmes)

(1) देश में अखिल भारतीय स्तर, राज्य स्तर तथा निजी स्तर पर अनेक उद्यमिता विकास कार्यक्रम एजेन्सीज कार्यरत हैं, लेकिन उनमें समन्वय का अभाव है।

(2) उद्यमिता विकास कार्यक्रम में सम्मिलित होने मात्र से ही उनको औद्योगिक लाइसेन्स का अनुमोदन, वित्तीय सहायता, कच्चा माल, कोटा व परमिट तथा अन्य सुविधायें, प्रेरणायें एवं अनुदान स्वतः प्राप्त हो जायेंगे। विद्यमान प्रतिकूल परिस्थितियों में उनकी यह धारणायें पूर्णतः मिथ्या सिद्ध हुई हैं।

(3) जो संस्था उद्यमिता विकास कार्यक्रमों का संचालन कर रही है, उसे उद्यमिता विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों तथा लक्ष्यों की व्यापक जानकारी होना आवश्यक है, तभी वह अपना कार्य सुचारू रूप में संचालित कर सकेगी। इस सम्बन्ध में विभिन्न प्रकार के उद्देश्य हो सकते हैं, जैसे- उद्यमिता विकास के क्षेत्र में अनुसंन्धान करना, योग्य तथा सक्षम उद्यमियों को तैयार करना, योग्य तथा सक्षम उद्देश्य हो सकते हैं, जैसे-उद्यमिता विकास के क्षेत्र में अनुसंन्धान करना, योग्य तथा सक्षम उद्यमियों को तैयार करना, रोजगार के संसाधनों में वृद्धि करना, उत्पादन में वृद्धि करना आदि।

(4) उद्यमिता विकास कार्यक्रम के लिये उपयुक्त सम्भाव्य उद्यमियों का चयन होना आवश्यक है। उपयुक्त चयन प्रक्रिया के अभाव में इस पर किया गया धन तथा समय का व्यय दोनों ही राष्ट्रीय बर्बादी होगी। उपयुक्त चयन प्रक्रिया के अभाव में जो चयनित उद्यमी रोजगार की तलाश में बाहर आते हैं, उन्हें असफलताओं का ही सामना करना पड़ता है।

(5) हमारे देश की प्रशासनिक मशीनरी अत्यन्त सुस्त है। सरकारी विभागों व संस्थाओं में अकार्यकुशलता, नौकरशाही, लालफीताशाही, प्रशासनिक भ्रष्टाचार, पक्षपात, विलम्ब, नियमों की जड़ता इत्यादि बुराइयाँ व्याप्त है। फलस्वरूप उद्यमियों को परियोजना प्रतिवेदन के अनुमोदन, ऋण व अन्य सुविधाओं की प्राप्ति आदि कार्यों में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इससे उद्यमियों की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

(6) उद्यमिता विकास कार्यक्रम के संघटनकर्त्ता उद्यमिता के उपयुक्त शिक्षण, प्रशिक्षण तथा गुणवत्ता के स्थान पर उद्यमियों की विभिन्न तरीकों से संख्या बढ़ाने पर अनावश्यक रूप में जोर देते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि घटिया किस्म के उद्यमी तैयार होते हैं, जोकि उद्यमिता के क्षेत्र में प्रवेश पाते ही असफलताओं का सामना करते हैं।

(7) उद्यमिता विकास कार्यक्रम के मूल्यांकन का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र इस कार्य के लिये स्थापित संस्थानों की संगठनात्मक नीतियों तथा संरचनाओं की जाँच करना भी है। एक स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय अथवा अन्तर्राष्ट्रीय संस्थान जो उद्यमिता विकास कार्यक्रम का संचालन करता है, उसकी किसी ख्याति प्राप्त संस्थान से सम्बद्धता से उद्यमिता विकास कार्यक्रम की सफलता संदिग्ध होती है। अतः उद्यमिता विकास कार्यक्रम का मूल्यांकन करते समय हमें उक्त संस्थान का मूल्यांकन करना चाहिये।

(8) भारत में अधिकांश युवक जो उद्यमिता विकास कार्यक्रमों की ओर आकर्षित होते हैं, उनमें उपयुक्त व्यावसायिक रुचि, तकनीकी योग्यता, जोखिम उठाने की क्षमता, उद्योग भावना, रचनात्मक प्रवृत्ति आदि का अभाव होता है, जिसके कारण उद्यमियों का समुचित रूप में विकास नहीं हो पाता है।

भारत में उद्यमिता विकास कार्यक्रमों को सुधारने एवं अधिक प्रभावी बनाने के सुझाव

(Suggestions for Improving and Making More Effective Entrepreneurial Development Programmes in India)

उद्यमिता विकास कार्यक्रम को अधिक प्रभावी बनाने के लिये प्रमुख सुझाव निम्नलिखित हैं-

(1) सरकारी तन्त्र को लालफीताशाही से मुक्त करना चाहिये।

(2) दीर्घकालीन वित्तीय नीति की घोषणा करनी चाहिये। अलग-अलग प्रकार के उद्यमों के लिये राष्ट्रीय आवश्यकता को ध्यान में रखकर अलग-अलग वित्तीय नीतियों की घोषणा की जानी चाहिये।

(3) आर्थिक नीतियों में समय-समय पर सुधार होना चाहिये।

(4) उद्यमियों को मात्र उद्यमिता विकास कार्यक्रम शिक्षण प्रशिक्षण देना ही पर्याप्त नहीं है, अपितु यह भी देखना चाहिये कि उद्यमी अपने उद्यमों को वैज्ञानिक प्रबन्धकीय चातुर्य के आधार पर संचालित करते हैं।

(5) नवयुवकों में घर-स्कूल के वातावरण से ही उद्यमी प्रवृत्तियाँ विकसित की जानी चाहिये। इसके लिये समाजीकरण प्रक्रिया को प्रभावी बनाया जाना चाहिये।

(6) देश में पूंजी निवेश का वातावरण तैयार करने के लिये औद्योगिक नीति में आवश्यक सुधार किये जाने चाहिये।

(7) पिछड़े हुये क्षेत्रों में औद्योगिक बस्तियों का निर्माण करके आधारभूत सुविधाओं का विकास किया जाना चाहिये।

(8) उद्यमिता के विकास के लिये केन्द्रीय समन्वय संस्था की कार्य प्रणाली को प्रभावी बनाना चाहिये।

(9) उद्यमियों के लिये परामर्श सेवाओं का विस्तार करना चाहिये।

(10) स्व-रोजगार की विभिन्न योजनाओं का व्यापक प्रसार किया जाना चाहिये।

(11) उद्यमियों तथा कामगारों के लिये प्रशिक्षण व अभिप्रेरण की उचित व्यवस्था की जानी चाहिये।

(12) पिछड़े हुये क्षेत्रों में उद्यमियों की पहचान पद्धति का विकास किया जाना चाहिये।

(13) उद्यमिता विकास कार्यक्रमों का शिक्षण-प्रशिक्षण प्रदान करने वाली संस्थाओं की समय-समय पर व्यापक रूप में जाँच-पड़ताल होनी चाहिये।

(14) भारत में स्थित उद्यमिता विकास कार्यक्रमों की गुणवत्ता में प्रभावी ढंग से सुधार किया जाना चाहिये।

(15) वास्तविक उद्यमियों को यथा समय, कम ब्याज पर पर्याप्त मात्रा में ऋण उपलब्ध कराना चाहिये।

(16) आर्थिक प्रशासन में आवश्यक सुधार होना चाहिये।

(17) बिखरी हुई योजनाओं को एक सूत्र में पिरोना चाहिये।

(18) औद्योगिक संस्कृति विकसित की जानी चाहिये।

(19) उद्यमिता विकास कार्यक्रम संचालित करने वाली संस्थाओं को नाममात्र की ब्याज पर पर्याप्त मात्रा में धन उपलब्ध कराना चाहिये।

(20) ग्रामीण व लघु उद्यमियों के विकास के लिये विशिष्ट संवर्द्धन योजनाओं का संचालन किया जाना चाहिये।

(21) कर ढाँचे को उद्यमियों के अनुकूल बनाया जाना चाहिये।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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