उत्तर प्रदेश की कृषि | उत्तर प्रदेश तथा भारत में कृषि विकास दर | उत्तर प्रदेश में कृषि एवं सम्बन्धित क्षेत्र का वार्षिक वृद्धि दर | कृषि विकास के लिए ग्यारवहीं पंचवर्षीय योजना की प्रमुख रणनीतियाँ
उत्तर प्रदेश की कृषि | उत्तर प्रदेश तथा भारत में कृषि विकास दर | उत्तर प्रदेश में कृषि एवं सम्बन्धित क्षेत्र का वार्षिक वृद्धि दर | कृषि विकास के लिए ग्यारवहीं पंचवर्षीय योजना की प्रमुख रणनीतियाँ | Agriculture of Uttar Pradesh in Hindi | Agricultural Growth Rate in Uttar Pradesh and India in Hindi | Annual growth rate of agriculture and allied sector in Uttar Pradesh in Hindi | Major Strategies of Eleventh Five Year Plan for Agricultural Development in Hindi
उत्तर प्रदेश की कृषि
भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का स्थान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। विकास की प्रारम्भिक अवस्था में कृषि ही सबसे बड़ी आर्थिक गतिविधि होती हैं। जिस पर देश की सर्वाधिक जनसंख्या निर्भर करती है। यह बात उत्तर प्रदेश में और भी अधिक लागू होती है। जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था का विकास होता है तो आशा की जाती है कि कृषि क्षेत्र का विकास होगा। किन्तु आर्थिक विकास की प्रक्रिया के दौरान उद्योग तथा सेवा क्षेत्र जैसे आधुनिक क्षेत्रों का विकास कृषि क्षेत्र की तुलना में काफी अधिक होता है। साथ-साथ राष्ट्रीय आय में इन आधुनिक क्षेत्रों का योगदान अपेक्षाकृत तीव्रता से बढ़ने लगता है किन्तु इसका यह तात्पर्य नहीं है कि कृषि क्षेत्र महत्वहीन होता चला जाता है। वास्तविकता यह है कि विकास की प्रारम्भिक अवस्था में कृषि क्षेत्र के महत्व की उपेक्षा नहीं की जा सकती । कृषि क्षेत्र देश को खाद्य पदार्थ एवं कच्चा माल तो उपलब्ध कराता ही है साथ-साथ यह रोजगार प्रदान करता है, गैर कृषि क्षेत्रों के बाजार की उपलब्धता प्रदान करता है, उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण कच्चा माल प्रदान करता है, आदि।
उत्तर प्रदेश तथा भारत में कृषि विकास दर
उत्तर प्रदेश में आर्थिक विकास की दर राष्ट्रीय स्तर के आर्थिक विकास दर की तुलना में काफी कम रही है। उत्तर प्रदेश की राज्य आय में कृषि एवं सम्बन्धित क्षेत्र का भाग 2006-7 में 31 प्रतिशत से ज्यादा था जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 20 प्रतिशत से भी कम रह गई। इसका तात्पर्य है कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का महत्व काफी अधिक है। तालिका-1 में उत्तर प्रदेश तथा भारत के कृषि क्षेत्र की विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान वृद्धि दर को दर्शाया गया है। वैसे तो उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था माना जाता है। क्योंकि यहां पर गैर-कृषि क्षेत्रों का विकास समुचित रूप से नहीं हो पाया है।
तालिका -1: उत्तर प्रदेश में कृषि एवं सम्बन्धित क्षेत्र का वार्षिक वृद्धि दर
पंचवर्षीय योजना |
कृषि एवं संबंधित क्षेत्र (प्रतिशत) उत्तर प्रदेश |
भारत |
प्रथम योजना (1951-56) |
1.7 |
2.7 |
द्वितीय योजना (1956-61) |
1.4 |
3.2 |
तृतीय योजना (1961-66) |
0.5 |
0.7 |
तीन वार्षिक योजना(1966-69) |
0.6 |
4.2 |
चौथी योजना(1969-74) |
0.8 |
2.6 |
पांचवीं योजना(1974-79) |
5.7 |
6.3 |
छठीं योजना(1980-85) |
9.7 |
2.5 |
सातवीं योजना(1985-90) |
2.7 |
3.5 |
दो वार्षिक योजनाएं(1990-92) |
5.4 |
4.0 |
आठवीं योजना(1992-97) |
2.7 |
3.5 |
नवीं योजना (1997-02) |
0.8 |
1.9 |
दसवीं योजना (2002-07) |
2.1 |
1.1 |
ग्यारहवीं योजना(लक्ष्य) (2010-12) |
5.7 |
4.1 |
बारहवीं योजना (लक्ष्य) (2012-14) |
– |
– |
तालिका से यह बात स्पष्ट होती है कि उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र भी राष्ट्रीय स्व की अर्थव्यवस्था की तुलना में व्यापक पिछड़ा हुआ है। अधिकतर पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान उत्तर प्रदेश में कृषि विकास राष्ट्रीय औसत की तुलना में निम्न दर से बढ़ा है। केवल छठवीं पंचवर्षीय योना (1980-85), दो वार्षिक योजनाओं (1990-92) तथा दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-07) के दौरान उत्तर प्रदेश में कृषि एवं सम्बन्धित क्षेत्रों की वृद्धि दर राष्ट्रीय स्तर की तुलना में अधिक रही है।
विशेष बात यह है कि चाहे भारतीय अर्थव्यवस्था हो या चाहे उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था, दोनों ही अर्थव्यवस्थाओं में कृषि की वृद्धि दर में अत्यधिक उतार चढ़ाव देखने को मिलते हैं। लगभग छः दशकों की विकास प्रक्रिया के बावजूद दोनों ही अर्थव्यवस्थाओं में आत्म विश्वास से कृषि में विकास की प्रक्रिया धीमी हो गयी है जोकि चिन्ता का कारण है।
उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है किन्तु यहां कृषि का समुचित विकास नहीं हो पा रहा है ऐसे कई अवरोधक तत्व हैं जोकि प्रदेश में कृषि के विकास में बाधक बने हुये हैं प्रदेश में कृषि की निम्न वृद्धि दर के कारण भी कहा जा सकता है। जिनमें कुछ महत्वपूर्ण कारण या तत्व, निम्नलिखित हैं-
- भूमि विस्तार की निम्न सम्भावना- प्रदेश में कृषि के विकास के अवरोधक तत्वों में एक महत्वपूर्ण तत्व है-भूमि विस्तार की निम्न सम्भावना। वास्तव में कृषि वृद्धि एवं विकास के लिए भूमि का विस्तार किया जाना आवश्यक है तभी कृषि उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है।
- जनसंख्या का अधिक दबाव- उत्तर प्रदेश में कृषि विकास की धीमी गति के कारणों में एक कारण भूमि पर जनसंख्या का अत्यधिक दबाव का होना है जिससे कृषि जोतों का उप-विभाजन एवं अपखण्डन होता है और जोतों का आकार छोटा होता है और जोते अनार्थिक होती जाती हैं। देश की कुल कृषि योग्य भूमि का लगभग 20 प्रतिशत भाग उत्तर प्रदेश में पड़ता है, जिसपर राज्य के 78 प्रतिशत व्यक्ति जीविकोपार्जन करते हैं।
- कृषि क्षेत्र में निवेश का निम्न स्तर- कृषि वृद्धि की निम्न दर का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि प्रदेश में कृषि क्षेत्र में निवेश का स्तर कम है।
- कृषि विविधिकरण की धीमी गति- उत्तर प्रदेश कृषि के अन्तर्गत विविधिकरण की प्रक्रिया धीमी है। प्रदेश में आम एवं आलू प्रमुख फसलें हैं। देश का 40 से 45 प्रतिशत आलू उत्तर प्रदेश में उत्पादित होता है। उत्तर प्रदेश प्रमुख रूप से खाद्यान फसलों का ही उत्पादन करता है। जबकि अन्य फसलों जैसे-नकदी फसलों की तरफ ध्यान कम दिया जाता है।
- फसल सघनता का पर्याप्त रूप से न बढ़ पाना- फसल संघनता को बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि उपलब्ध भूमि का वर्ष में एक बार से अधिक प्रयोग किया जाय। उत्तर प्रदेश में कृषि के लिए भूमि की उपलब्धता कम होती जा रही है। इसके लिए कई कारण हैं- जनसंख्या में वृद्धि तथा गैर-कृषि कार्यों के लिए भूमि की बढ़ती मांग। ऐसे में फसल सघनता के द्वारा भूमि का अधिक उपयोग कर कृषि में वृद्धि की जा सकती है।
- आधुनिक तकनीकी का अभाव- उत्तर प्रदेश में कृषि के विकास में एक अवरोधक तत्व है-कृषि तकनीकी का आधुनिकीकरण पर्याप्त रूप से न हो पाता। वास्तव में हमप्रदेश में आज भी कृषण परम्परागत विधियों का प्रयोग कर कृषि में करता है जिससे कृषि उत्पादन में अधिक वृद्धि नहीं हो पाती है उन्नत एवं आधुनिक तकनीकों के प्रयोग के द्वारा ही कृषि के विकास को बढ़ाया जा सकता है।
- सरकारी सहयोग की अपर्याप्तता- कृषि में निम्न वृद्धि दर का एक अन्य महत्वपूर्ण कारण है-सरकारी प्रयासों एवं सहयोग की अपर्याप्ता। वास्तव में यदि सरकार किसानों की समस्याओं की ओर ध्यान दे उन्हें उचित सुविधाएं प्रदान करे उनकी समस्याओं का समाधान करें तो कृषि के विकास में कहीं अधिक वृद्धि की जा सकती है।
कृषि विकास के लिए ग्यारवहीं पंचवर्षीय योजना की प्रमुख रणनीतियाँ
उत्तर प्रदेश में कृषि पर दो तिहाई से अधिक जनसंख्या निर्भर करती है। इस तरह कृषि उत्तर प्रदेश में एक महत्वपूर्ण आर्थिक क्रिया है। अतः ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) ने उत्तर प्रदेश में कृषि विकास निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यापक रणनीति की आवश्यकता होगी। अतः ग्यारहवीं योजना की कुछ प्रमुख रणनीतियाँ निम्नवत् हैं-
- कृषि उत्पाद को गति प्रदान करने के लिए प्रमाणित बीजों को प्रचुर मात्रा में उपलब्ध कराने की रणनीति बनाई गयी है।
- कृषि में तीव्र विकास के लिए संस्थागत ऋण को कम ब्याज दर पर उपलब्ध कराने की रणनीति बनाई गई है। जिसका लाभ सीमान्त तथा लघु कृषक भी उठा सके।
- कृषि यन्त्रीकरण की धीमी गति को तेज करने की बात कही गई है।
- उत्तर प्रदेश में किसान क्रेडिट कार्ड योजना का वितरण दिसम्बर, 1999 से प्रारम्भ किया गया है। इस योजना के लिए भी विशेष ध्यान दिया गया है।
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