महिला कल्याण कार्य | सरकार द्वारा किये गये महिला कल्याण-कार्य

महिला कल्याण कार्य | सरकार द्वारा किये गये महिला कल्याण-कार्य

महिला कल्याण कार्य

सरकार द्वारा किये गये महिला कल्याण कार्य

सन् 1991 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या 84.63 करोड़ थी जिसमें 40.47 करोड़ महिलाएँ थीं।

महिलाओं की स्थिति का अध्ययन करने तथा उसमें सुधार करने के लिए सन् 1971 में एक कमेटी बनाई गई जिसने सन् 1975 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में दिये हुए सुझावों को ध्यान में रखते हुए महिला कल्याण के लिए अनेक कार्य किये गये। महिला कल्याण से सम्बन्धित कुछ प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं –

(1) सन् 1671 में 18 से 50 वर्ष तक की अभावग्रस्त महिलाओं के लिए विभिन्न व्यवसायों में प्रशिक्षित करने के लिए प्रशिक्षण केन्द्र खोले गये हैं।

(2) सन् 1675 में सम्पूर्ण विश्व में ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला वर्ष’ (International Women Year) मनाया गया। भारत में इस वर्ष महिलाओं के लिए अनेक सामाजिक-आर्थिक कल्याण के कार्य किये गये।

(3) 8 मार्च, 1662 में ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ (International Women Day) मनाया गया। इस दिवस पर भारत में महिलाओं के कल्याण हेतु अनेक कार्यो का संकल्प लिया गया।

(4) सन् 1658 से ही ‘केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड (Central Social Welfare Board) द्वारा प्रौढ़ महिलाओं की शिक्षा एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत वर्ष 1662-63 में 3,642 महिलाओं को लाभ पहुंचाया गया।

(5) नगरों में कार्यरत महिलाओं के निवास हेतु ‘महिला हॉस्टल्स (Women Hostels) खोले गये। वर्तमान समय में देश में इस प्रकार के 640 हॉस्टल हैं, जिनमें 35,785 कार्यशील महिलाएं रहती थी।

(6) भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों; जैसे – जम्मू व कश्मीर, हिमाचल, लेह, लहौर एवं किन्नौर, अरुणाचल, उत्तर प्रदेश चमोली, राजस्थान के जैसलमेर एवं श्री करणपुर तथा गुजरात के बनासकाठा में मातृस्व सेवाएँ, शिशु देख-रेख, सामाजिक शिक्षा तथा दस्तकारी प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए ‘सीमावर्ती क्षेत्र कल्याण केन्द्र स्थापित किये गये हैं। इसी प्रकार ग्रामीण महिलाओं के कल्याण हेतु ग्रामों में ‘महिला मण्डल’ स्थापित किये गये हैं।

(7) महिलाओं को उत्तम रोजगार सेवाएँ उपलब्ध कराने हेतु सन् 1686-87 में ‘महिला विकास निगम’ (Women Development Corporation) स्थापित किये।

(8) विभिन्न प्रकार के विज्ञापनों में महिलाओं के भद्दे एवं भोड़े प्रदर्शनों पर प्रतिबन्ध लगाने हेतु 1686 में ‘महिलाओं का अश्लील चित्रण (निवारण) अधिनियम’ (Indecent Representation of Women (Prohibition) Act. 1986 पारित किया जिसमें दोषी व्यक्तियों को 2000 रुपये तथा 2 वर्ष तक का कारावास के दण्ड की व्यवस्था की गई।

(9) निर्धन एवं अभावग्रस्त महिलाओं तक ऋण की सुविधा पहुंचाने हेतु ‘महिलाओं के लिए राष्ट्रीय ऋण कोष’ की स्थापना की गई।

(10) सन् 1662 में ‘राष्ट्रीय महिला आयोग‘ (National Women Commission) गठित किया गया ताकि महिलाओं पर ही रहे अन्यायों एवं अत्याचारों से लड़ा जा सके।

(11) 15 अगस्त, 1665 को ‘राष्ट्रीय मातृत्व लाभ योजना’ प्रारम्भ की गई जिसका उद्देश्य निर्धन परिवारों को मातृत्व लाभ प्रदान करना है। इस योजना के अन्तर्गत ‘गरीबी रेखा’ (Poverty Line) के नीचे के परिवारों से सम्बन्धित महिलाओं को प्रथम दो जीवित बच्चों तक 300 रुपये प्रति गर्भाधारण की नगद सहायता प्रदान की जा रही है। 31 सितम्बर, 1660 में एक विधेयक संसद में पेश किया गया जिसके पास होने पर लोकसभा एवं विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त हो गया था।

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