अभिक्रमित अनुदेशन सामग्री | अभिक्रमित अनुदेशन सामग्री की विशेषतायें

अभिक्रमित अनुदेशन सामग्री | अभिक्रमित अनुदेशन सामग्री की विशेषतायें
अभिक्रमित अनुदेशन सामग्री
(Programmed Instruction Materials)-
अभिक्रमित अनुदेशन में पाठ्य-सामग्री को छोटे-छोटे पदों में विभक्त किया जाता है। प्रत्येक पद किसी विशिष्ट उद्देश्य से सम्बन्धित होता है। इस उद्देश्य की प्राप्ति की पुष्टि हेतु जाँच प्रश्न दिये जाते हैं जिन्हें शिक्षार्थी को पद को पढ़ने के पश्चात हल करना होता है। यदि शिक्षार्थी पद को पढ़ने के बाद अच्छी तरह समझ जाता है तथा जाँच प्रश्न का सही उत्तर देता है तब वह अगल पद के अध्ययन की ओर बढ़ता है। किन्तु यदि शिक्षार्थी जाँच प्रश्न का सही उत्तर नहीं दे पाता है तब उसे पुनः उस पद को सावधानीपूर्वक पढ़ने का अनुदेश दिया जाता है अथवा उपचारात्मक अध्ययन के लिए किसी दूसरे पृश्ठ पर दी गई सामग्री को पढ़ने के लिए कहा जाता है। इस प्रकार दोनों स्थितियों में शिक्षार्थी को पृष्ठपोषण मिलता है तथा वह अपनी गति से आगे बढ़ता रहता है। इसलिए अभिक्रमित सामग्री स्वतः अनुदेशनात्मक सामग्री का ही रूप होती है। अभिक्रमित अनुदेशन सामग्री की प्रमुख विशेशताएँ निम्नलिखित हैं-
(i) छोटे-छोटे पद (Small Steps)
(ii) सक्रिय अनुक्रिया (Active Responding)
(iii) तुरंत पुष्टि (immediate Confirmation)
(iv) स्वतः गति से अग्रसरण (Self-Pacing)
(v) परीक्षण (Student Testing) ।
अभिक्रमित अनुदेशन सामग्री का दूरवर्ती शिक्षा के विकास में महत्त्वपूर्ण स्थान है। यद्यपि प्रारम्भ में अभिक्रमित अनुदेशन की अवधारणा कम्प्यूटर प्रणाली से ली गई थी तथा अब कम्प्यूटर के बढ़ते प्रयोग से अभिक्रमित पाठ सामग्री के महत्त्व में कमी आई है। किन्तु अब भी दूरवर्ती शिक्षा के कई पाठ्यक्रम में इसका प्रयोग किया जा रहा है। अभिक्रमित सामग्री के भी कई प्रकार होते हैं; जैसे- शृंखला या रेखीय अभिक्रमित सामग्री, शाखा अभिक्रमित सामग्री, मैथेटिक अभिक्रमित सामग्री किन्तु शृंखला अभिक्रमित सामग्री जिसकी चर्चा ऊपर की गई है, का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है।
मुक्त अधिगम सामग्री (Open Learning Materials)-
मुक्त अधिगम सामग्री वस्तुतः किसी माध्यम विशेष के प्रयोगार्थ पाठ के रूप में नहीं होती है अपितु इसे व्यक्तिगत अधिगम हेतु विभिन्न ढंगों से प्रयुक्त किया जा सकता है। बहु माध्यम से प्रयोग की क्षमता एवं शिक्षार्थी शिक्षण तथा अन्य लोगों के लिए इसकी उपयुक्तता जैसी विशेषताओं के कारण ही यह मुक्त अधिगम सामग्री कहलाती है। इस प्रकार की सामग्री छोटी-छोटी इकाइयों के रूप में क्रमबद्ध ढंग से व्यवस्थित की गई होती है। इस प्रकार की सामग्री के चयन एवं उपयोग में शिक्षार्थी को शिक्षक या पर्यवेक्षक की सहायता की आवश्यकता होती है किंतु बाद में वह स्वतंत्र रूप से इसका एवं प्रयोग कर सकता है।
पत्राचार पाठ (Correspondence Lessons) –
स्वतः अनुदेशनात्मक पाठ्य- सामग्री का सबसे अधिक प्रयुक्त किया जाने वाला एवं महत्त्वपूर्ण रूप पत्राचार इकाइयाँ अथवा पाठ होते हैं। दूरवर्ती शिक्षण का सबसे अधिक उपयुक्त माध्यम पत्राचार पाठों के द्वारा शिक्षण ही है। इन पाठों को अनुभवी शिक्षकों द्वारा इस प्रकार निरूपित किया जाता है जिससे शिक्षार्थी स्वतः अधिगम प्राप्त कर सके। किन्तु फिर भी इन पाठों को अच्छी तरह समझने में शिक्षार्थियों को कभी- कभी कुछ कठिनाइयाँ भी आती हैं जिनके निराकरण के लिए शिक्षक/अनुदेशक की सहायता की आवश्यकता होती है। इन पाठों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित होती है-
(i) स्पष्ट उद्देश्य.
(ii) इकाई की परिचयात्मक भूमिका,
(iii) आकर्षक शीर्षक एवं उपशीर्षकों का छोटे-छोटे पदों के रूप में संगठन,
(iv) सरल एवं स्पष्ट भाषा तथा वार्तालाप शैली में प्रस्तुतीकरण,
(v) स्वयं जाँच प्रश्नों का प्रावधान,
(vi) अध्ययन हेतु आवश्यक निर्देश तथा
(Vii) गृहकार्य का प्रावधान एवं उसे पूर्ण करने की अनिवार्यता।
अध्ययन संदर्शिकाएँ (Study Guides) –
अध्ययन संदर्शिकाएँ पाठ्य-पुस्तकों के अध्ययन हेतु मार्गदर्शन का कार्य करती है। यह भी एक प्रकार की पत्राचार इकाई ही होती है जो विस्तृत पाठ के अध्ययन के सम्बन्ध में आवश्यक निर्देश प्रदान करती है। ये संदर्शिकाएँ कुछ थोड़े पृष्ठों की ही होते हैं। अतः पहले से उपयुक्त पाठ्य-पुस्तकों के उपलब्ध होने पर वे दूरवर्ती पाठ्यक्रम को कम खर्चीला बनाने में भी सहायक होती है। ये संदर्शिकाएँ प्रायः उन उच्चस्तरीय पाठ्यक्रमों/प्रशिक्षणों के लिए तैयार की जाती है जहाँ पर पूर्णकालीन पाठ्यक्रम का विकास कर पाना बहुत खर्चीला होता है क्योंकि इनमें शिक्षार्थियों की संख्या अपेक्षाकृत बहुत कम होती है तथा वे इनके निर्देशों के आधार पर सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तकों/पाठ्य-सामग्री को अच्छी तरह समझने की क्षमता रखते हैं।
दूरवर्ती शिक्षा इकाइयाँ (Distance Education Units)-
पत्राचार पाठ एवं अध्ययन संदर्शिका दूरवर्ती शिक्षा इकाई के ही रूप है। दूरवर्ती शिक्षा की महत्त्वपूर्ण विशेषता उसकी पृष्ठपोषण प्रणाली होती है। यह पूष्ठपोषण विभिन्न माध्यमों जैसे स्वतः मूल्यांकन, आमने- सामने के सम्पर्क कार्यक्रम तथा गृहकार्यों पर शिक्षक टिप्पणी आदि के द्वारा प्रदान किया जाता है। अतः दूरवर्ती शिक्षा इकाई की संज्ञा उस पाठ्य-सामग्री को दी जाती है जो दूरवर्ती शिक्षा प्रणाली के सभी सम्भावित माध्यमों के लिए उपयुक्त होती है। इसलिए ये इकाइयाँ पत्राचार पाठ एवं अध्ययन संदर्शिका की सभी विशेषताओं से युक्त होती हैं तथा श्रव्य-दृश्य एवं अन्य रूपों (मुद्रित) में निर्मित की जाती है।
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