शिक्षाशास्त्र / Education

पाठ लेखन | एकल लेखन । टीम लेखन | टीम लेखन के लाभ | टीम लेखन के दोष

पाठ लेखन | एकल लेखन । टीम लेखन | टीम लेखन के लाभ | टीम लेखन के दोष

पाठ लेखन (Writing The Lesson or Text)-

पाठ लेखन का कार्य पाठ लेखक का होता है। यह कार्य दो प्रकार से किया जा सकता है-

(i) एक ही लेखक द्वारा अथवा

(ii) लेखकों की एक टीम द्वारा।

एक ही लेखक द्वारा लेखन अथवा एकल लेखन

(Writing at Individual Level)-

एकल लेखन भी दो प्रकार के लेखकों द्वारा किया जा सकता है- पहला- पूर्णकालिक लेखकों द्वारा तथा दूसरा- अल्पकालिक लेखकों द्वारा। पूर्णकालिक लेखक लेखन कार्य हेतु ही स्थायी रूप से नियुक्त किये जाते हैं तथा पूरी तह से पाठ लेखन के लिए ही समर्पित समझे जाते हैं। इस प्रकार के लेखकों को नियुक्त करने से लेखन कार्य अबाध गति एवं संस्थान की आवश्यकतानुसार चलता रहता है। किन्तु इस प्रकार के लेखकों की सबसे बड़ी कमी यह होती है कि इनसे अपने विषय के अतिरिक्त कोई अन्य लेखन कार्य नहीं कराया जा सकता है। अतः विषय सम्बन्धी लेखन (विशेष रूप से पाठ लेखन) के बाद इन्हें खाली बैठना होता है।

अतः इनके स्थान पर अल्पकालिक लेखको की नियुक्ति का प्रचलन अधिक उपयोगी माना जाता अल्पकालिक लेखक प्रायः कॉलेजों/विश्वविद्यालयों के पूर्णकालिक शिक्षक होते हैं। वे अपने विषयों से सीधे जुड़े होते हैं तथा विषय-सामग्री पर उनका स्वामित्व होता है। अतः सामान्य प्रशिक्षण अथवा समुचित निर्देशन के उपरान्त वे दूरवर्ती शिक्षा हेतु पाठों को लिख पूर्णतया सक्षम होते हैं। किन्तु अच्छे शिक्षक प्रायः पाठ लेखन कार्य को स्वीकार करने की इच्छा नहीं रखते हैं। इसका कारण इस कार्य हेतु बहुत कम पारिश्रमिक दर होती है। अतः अच्छे एवं प्रतिभाशाली शिक्षकों को पाठ लेखन हेतु आकर्षित करने के लिए इसकी पारिश्रमिक दरों में पर्याप्त वृद्धि की जानी चाहिए।

टीम द्वारा लेखन

(Writing with a Team of Writers) –

दूरवर्ती शिक्षा की पाठ इकाई यद्यपि एक ही विषय से सम्बन्धत होती है किन्तु एक ही लेखक के स्थान पर यदि उसे उसी विषय के विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा एक साथ मिलकर तैयार किया जाता है तब वह अधिक प्रभावी हो सकती है। इसी दृष्टि से मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा प्रायः पाठ लेखन हेतु एक लेखक मण्डल की नियुक्ति की जाती है जिसमें विषय विशेषज्ञों के अतिरिक्त मुद्रण एवं सम्पादन से सम्बन्धित विशेषज्ञ भी सम्मिलित किये जाते हैं। इस टीम में निम्नलिखित व्यक्तियों को सम्मिलित किया जा सकता है-

(i) संयोजक या अध्यक्ष (Convener or Chairman)- संयोजक सामग्री निर्माण के सभी पक्षों के लिए उत्तरदायी होता है।

(ii) पाठ लेखक (Course Writers) – वे विषय विशेषज्ञ होते हैं तथा पाठ सामग्री नियोजन, चयन, लेखन, व्यावहारिक विधियों के प्रावधान, मूल्यांकन सामग्री निर्माण पाठ आदि के लिए उत्तरदायी होते हैं।

(iii) सम्प्रेषण माध्यम निर्माता (Media Producers)- श्रव्य दृश्य सामग्री के निर्माण हेतु उत्तरायी होते हैं।

(iv) शैक्षिक तकनीकी विशेषज्ञ (Educational Technologists)- स्वतः अनुदेशनात्मक सामग्री को प्रभावी बनाने (जैसे-उद्देश्यों को परिभाषित करने, उपयुक्त शिक्षण अधिगम विधियों को चुनने तथा उन्हें सही ढंग से प्रयुक्त करने आदि) के लिए उत्तरदायी होते हैं।

(v) सम्पादक (Bditor) – लेखकों को अन्तर्वस्तु को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने, उसमें निखार लाने तथा उसकी निरन्तरता एवं तारतम्यता को सुनिश्चित करने में सहायता प्रदान करता है। वह सम्पूर्ण सामग्री पर नियन्त्रण भी रखता है।

(vi) ग्राफिक प्रारूप निर्माता (Graphic Designer)- पाठ सामग्री को कलात्मक ढंग से प्रस्तुत करने, चित्रों, ग्राफों, आँकड़ों को व्यवस्थित एवं सुरुचिपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करने में लेखकों की सहायता करता है। मुद्रण की टाइप शैली को सुनिश्चित करने में भी प्रमुख भूमिका निभाता है।

टीम लेखन के लाभ

(Advantages of Team Writing)-

टीम लेखन के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं-

(i) टीम के प्रत्येक सदस्य की अपने-अपने कार्य के प्रति जिम्मेदारी होने से कार्य निश्चित समय से पूरा किया जा सकता है।

(ii) विभिन्न समस्याओं पर आपसी विचार-विमर्श किया जा सकता है।

(ii) विभिन्न विषय विशेषज्ञों के अनुभवों का लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

(iv) ऊर्जावान एवं उत्साही सहयोगी, टीम के दूसरे साथियों में भी कार्य के प्रति रुचि एवं उत्साह का संचार कर सकते हैं।

(v) टीम में लेखन, शिक्षण एवं मुद्रण से सम्बन्धित विशेषज्ञों के एक साथ होने से विषय सामग्री को प्रभावी बनाने में सुविधा होती है।

(vi) यह पाठ/इकाई लेखन का लोकतांत्रिक ढंग है।

टीम लेखन के दोष

(Disadvantages of Team Writing) –

टीम लेखन के अनेक लाभ होते हुए इसके अनेक दोष भी है जिनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं-

(i) सभी प्रकार के विशेषज्ञों का एक साथ उपलब्ध करा सकना कठिन एवं अधिक खर्चीला होता है।

(ii) इसमें व्यक्तिगत अथवा वैचारिक मतभेदों की सम्भावना अधिक रहती है।

(iii) कोई एक या अधिक सदस्य बहुमत से पारित निर्णय को मानने से मना भी कर सकते है अथवा कार्य के प्रति ऋणात्मक रुख अपना सकते है।

(iv) टीम के सदस्य दूसरे समुदायों के सुझावों एवं आलोचनाओं को नापसन्द कर सकते हैं।

(v) टीम के सदस्य हल्के कार्यों को करने को अधिक उद्यत हो सकते हैं तथा जटिल कार्यों को दूसरों पर थोपने का प्रयास कर सकते हैं।

(vi) कभी-कभी कुछ सदस्य जान-बूझकर कार्य को पूरा करने में अधिक समय लगा सकते हैं।

उपर्युक्त कमियों के बाद भी टीम लेखन की गुणवत्ता एकल लेखन से अधिक अच्छीमानी जाती है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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