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टेलीकांफ्रेंसिंग का अर्थ | टेलीकांफ्रेंसिंग के प्रकार | The meaning of teleconferencing in Hindi | Types of teleconferencing in Hindi

टेलीकांफ्रेंसिंग का अर्थ | टेलीकांफ्रेंसिंग के प्रकार | The meaning of teleconferencing in Hindi | Types of teleconferencing in Hindi

टेलीकांफ्रेंसिंग का अर्थ

टेलीकांप्रेसिंग शब्द जिसे हिन्दी में दूर सचार प्रणाली का नाम दिया जा सकता है इसमें प्रतिभागी एक दूसरे से काफी दूर होते हुए भी आपसे में अचत सवाद का संभाषण कायम रखने मे सफल रहते हैं। वेसे तो हम यह अच्छी तरह जानत है कि काफ्रीसिंग या पारस्परिक संवाह कायम रखने के लिए प्रतिभागियों का एक- दूसरे के समान बने रहना बहुत उत्तम हैं ताकि पारस्परिक अरंतक्रिया एवं संप्रेषण भलीभाँति हो सके। परन्तु बहुत बार आमन-सामने रहकर संवाद या संभाषण प्रक्रिया स्थापित कर पाना सम्भव नहीं हो पाता । विशेषकर जब प्रतिभागी एक-दूसरे से बहुत अधिक दूर हो, उनका मिलन सम्भव न हो या इस प्रकार के मिलन में बहुत अधिक समय, पैसा तथा शक्ति के अपव्यय की बात आती है। तब उस समय परम्परागत कार्रसिंग या आमने सामने संवाद व्यवस्था कायम करने की बजाय टेलीकार्फ्रेंसिंग (दूर संवाद प्रणाली) का ही सहारा लेना उपयुक् त रहता है। इस दृष्टि से टेलीकांफ्रेंसिंग का दूर संवाद प्रणाली को हम एक ऐसी सवाद प्रणाली के रूप में परिभाषित कर सकते हैं जिसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति किन्हीं दो या दो से अधिक स्थानों पर बैठे हुए किसी इलैट्ट्रोनिक माध्यम की सहायता से उसी प्रकार का सामूहिक सम्प्रेषण , सरवांद संभाषण और अन्तःक्रियाएँ करने में सक्षम होते हैं जैसे कि वह एक दूसरे के आमने-सामने बैठकर परम्परागत संवाद या संभाषण प्रणाली मे करते दिखाई देते हैं।

इस तरह से टेलीकांफ्रेंसिंग के रूप में अति उन्नत इलेक्ट्रोनिक उपकरणों का उपयोग कर आज वह पूरी तरह सम्भव हो गया है कि हजारों लाखों किलोमीटर दूर बैठे हुए व्यक्ति उसी तरह संभाषण, वार्तालाप तथा संवादों में रत रह सकते हैं जैसे कि वे एक छत के नीचे बैठे किसी कॉन्फ्रेंस हॉल में आवश्यक अंत: सम्प्रेषण और अतं: क्रियाएं कर रहे हों। जहाँ तक इस प्रकार की टेलीकाफ्रेंसिंग प्रणाली के ऐतिहासिक उद् गम का प्रश्न है तो इसका चलन अमेरिका में टेलिविजन (दूरभाष) तथा टेलिफोन पिक्चर फोन के जरिए 1960 में प्रारम्भ हुआ। आज हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर तकनीकियों के सहारे संप्रेषण एवं पारस्परिक अंतःक्रिया में जितनी क्रांति आई है। उसके परिणामस्वरूप टेलीकांफ्रेंसिंग का स्वरूप और क्षेत्र भी बहुत अधिक विकसित हो गया है। जिसके प्रमाण हमें अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी में अच्छी तरह देखने को मिल सकते हैं।

टेलीकांफ्रेंसिंग के प्रकार

वर्तमान समय में हमें टेलीकांफ्रेसिंग के निम्न तीन रूप अधिक प्रचलित दिखाई देते हैं।

1. ऑडियो कांफ्रेंसिंग (Audio Conferencing)-

यह टेलीकांफ्रेंसिंग के सबसे सरल और बहु प्रचलित रूप का प्रतिनिधित्व करती है। इस कांफ्रेंस में भागीदार व्यवितयों के बीच संवाद स्थापित करने हेतु टेलीफोनं का उपयोग किया जाता है। यह एक तरह से दो व्यक् तयों के बीच सम्पन् न टेलीफोन सेवा का बढ़ा हुआ रूप है जिसमें आपसी बातचीत व संभाषण का दोबारा दो से बढ़कर कई व्यवितयों तक फैल जाता है।

2. वीडियो कांफ्रेंसिंग (Video Conferencing)-

इसमें ऑडियो कांफ्रेंसिंग से ज्यादा लाभ पहुँचाता है क्योंकि यहाँ दूर बैठे हुए व्यक्ति संवाद स्थापित करते हुए न केवल एक दूसरे को आवाज सुनते है बल्कि एक दूसरे को टेलीविजन के पर्दे पर उसी तरह देख सकते हैं। जैसे कि आमने-सामने बैठे हुए संभाषण कर रहे हों।

3. कम्प्यूटर कांफ्रेंसिंग (Computer Conferencing)-

यह टेलीका फ्रेंसिंग के पूर्व वर्णित दोनों रूपों ऑडियो एवं वीडियो कांफ्रेंसिंग से बहुत अधिक उन्नत एवं प्रभावशाली प्रकार का प्रतिनिधित्व करती है। इस कांफ्रेंसिंग हेतु कम्प्यूटर द्वारा प्रदत्त बहु-माध्यमों सेवाओं का उपयोग किया जाता है। यहाँ हम इंटरनेट सेवाओं द्वारा लिखित सामग्री रेखाचित्रों (Graphics) आदि की कांफ्रेंसिंग में भाग लेने वाले व्यक्तियों को प्रेषित कर सकते हैं जिन्हें वे अपने कम्प्यूटरों पर बैठे-बैठे ग्रहण कर सकते हैं। इसके बाद वे अपनी क्रियाओं एवं प्रतिक्रियाओं को जहाँ से संप्रेषण सामग्री प्राप्त हुई थी उन्हें अपने मनचाहे व्यक्तियों को इंटरनेट सेवाओं द्वारा प्रेषित कर कांफ्रेस या संवाद प्रणाली में भाग लेने के इच्छुक सभी व्यक्तियों से पारस्परिक संवाद या संभाषण प्रक्रिया को चालू रखने में निरंतर सहयोग कर सकते हैं। इस प्रकार की भाषा या ग्राफिकजन्य सामश्री का आदान-प्रदान करने के अतिरिक्त वे श्रव्य एवं वृश्य प्रारूप का प्रयोग भी आपसी स्वाद तथा सभाषण हेतु कम्प्यूटर की मल्टीमीडिया सेवाओं द्वारा कर सकते हैं। फलस्वरूप कांफ्रेसिंग में भाग लेने के इच्छुक सभी प्रतिभागी अब एक दूसरे की आवाज भी कम्प्यूटर के साउण्ड कार्ड स्पीकर तथा ईयर फोन की सहायता से सुन सकते हैं या वेब कैमरे की सहायता से एक-दूसरे की संभाषण करते हुए देख भी सकता है। ऑन लाइन सेवाओं के द्वारा इस तहर कांफ्रेंस में भाग ले रहे सभी प्रतिभागी एक-दूसरे की लिखित मुद्रित तथा चित्रित संदेश ई-मेल एउवं वार्तालाप (Chatting) सेवाओं द्वारा भेज सकते हैं, वार्तालाप करने वालों की मौखिक बातें आपस में सुन सकते हैं तथा उनकी क्रियाओं एवं प्रतिक्रियाओं को भी प्रत्यक्ष रूप से उसी तरह कम्प्यूटर मॉनीटर पर देख सकते हैं जैसे कि वे प्रत्यक्ष रूप से सवांद या संभाषण हेतु आमने-सामने बैठे हों। इसके अतिरिक्त कम्प्यूटर कांफ्रेसिंग का एक बड़ा लाभ यह है कि इससे कॉरफ्रेंस में भाग लेने वाले व्यक्तियों को ऑनलाइन उपस्थिति भी अनिवार्य नहीं होती। माना जब कांफ्रेंस की कोई बात इंटरनेट सेवाओं द्वारा प्रसारित की जाए उस समय आप अपने कम्प्यूटर पर नहीं बैठे हों, कहीं बाहर गये हुये हों तो भी आपके संदेश/संवाद आपके ई-मेल बॉक्स में सुरक्षित रहेगा अथवा वेब पेज के रूप में कॉफ्रेस का वेबसाइट पर उपलब्ध रहेगा। जब इस सामग्री को अपनी सुविधानुसार कभी भी अपने कम्प्यूटर की सहायता से ग्रहण कर सकते हैं तथा अपनी किसी कम्प्यूटर फाइल में कापी कर उस पर अपन विशेष अध्ययन कर सकते हैं तथा फिर अपने उत्तर टीकाटिप्पणी एवं प्रतिक्रियाओं को ई-मेल या अपने स्वयं को वेबसाइट के जरिए लाखों मील दूर बैठे हुए कांफ्रेंस प्रतिभागियो तथा अन्य इच्छुक व्यक्तियों को भेज सकते हैं।

इन तीनों प्रकार की ऑडियो, वीडियो तथा कम्प्यूटर कांफ्रेंस का प्रयोग आवश्यकतानुसार इस तरह किया जाता है परिस्थिति विशेष में उपलब्ध सामग्री तथा कांफ्रेंसिंग उद्देश्यों का ध्यान में रखते हुए अच्छे से अच्छे परिणामों की प्राप्ति संभव हो सके। चूंकि टेलीकांफ्रेंसिंग को उसी अवस्था में काम में लाया जाता है जबकि आमने-सामने बैठकर परम्परागत कांफ्रेंसिंग या तो सम्भव न हो या हम समय शक्ति और धन की बचत के लिए इसे प्राथमिकता देने को सोचे । परन्तु टेलीकांफ्रेंसिंग का चाहे कोई भी प्रकार हम अपनाएँ यह जरूरी हे कि इस कांफ्रेंसिंग के उसी तरह दो लाभ उठाया जा सके जो प्रत्यक्ष रूप में आमने सामने या संभाषण कायम करके प्राप्त किया जाता है।

इस दृष्टि से सोचा जाए तो ऑडियो, वीडियो एवं कम्प्यूटर कांफ्रेंसिंग के किसी ऐसे मिल-जुले रूप का ही टेलीकांफ्रेंसिंग हेतु प्रयोग अच्छा रहता है जिससे परिस्थिति विशेष में प्रत्यक्ष विशेष में प्रत्यक्ष या सामने वाली संवाद/संभाषण प्रणाली के सभी लाभ अच्छी तरह उठाये जा सकें। इसके लिए हम उपरोक्त वर्णित पहले दोनों टेलीकांफ्रेंसिंग प्रकारों को उनके विभिन्न संयोगों के रूप में (जैसे- विशुद्ध श्रव्य (Only Video) दृश्य (Video) तथा दृश्य-श्रव्य (Audio-Video) आदि) कम्प्यूटर के साथ अथवा उसमें अलग अपने-अपने ढंग से प्रयुक्त कर सकते हैं।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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