अर्थशास्त्र / Economics

भारत में परिवार नियोजन | परिवार नियोजन कार्यक्रम | परिवार नियोजन का संगठन

भारत में परिवार नियोजन | परिवार नियोजन कार्यक्रम | परिवार नियोजन का संगठन

भारत में परिवार नियोजन-

भारत में परिवार नियोजन कार्यक्रम ने जनसंख्या के समस्यात्मक पहलु के लिए असली रूप 1966 से धारण किया, किन्तु इसके पूर्व भी परिवार नियोजन के सम्बन्ध में विभिन्न राजनताओं के स्वतंत्र विचार थे। कांग्रेस अधिवेशन (1938) में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने कहा था-“परिवार नियोजन भारत के लिए आवश्यक है।” इसी प्रकार रवीन्द्रनाथ टैगोर, पं) जवाहरलाल नहरू भी परिवार नियोजन के पक्षधर थे। टैगोर का कथन है कि “भारत जैसे भूखग्रस्त दश में अधिक बच्चा का जन्म बेकुसूर बच्चों को मृत्यु का निमंत्रण देना जैसा है। इसलिए जैनसंख्या वृद्धि एक अन्याय है।”

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी (Mahatma Gandhi) के अनुसार परिवार नियोजन का सरल मार्ग आत्म-संयम है, क्योंकि कृत्रिम उपायों का प्रयोग हिंसा पर आथारित है। प्रो0) बेरी (Beari) ने परिवार नियोजन के लिए संयम का विरोध करते हुए कहा है कि “संयम का उपदेश, भूख मिटाने के लिए पेट काटने जैसा है।”

परिवार नियोजन कार्यक्रम/जनसंख्या नियन्त्रण के प्रयत्न

भारत में परिवार नियोजन के निम्नलिखित कार्यक्रम प्रमुख हैं-

  1. गर्भपात अधिनियम- भारत में जनसंख्या नियंत्रण के लिए परिवार नियोजन कार्यक्रम 1 अप्रैल, 1972 से ‘Medical Termination of Prcgnancy Act’ घोषित हुआ है। यह अधिनियम सम्पूर्ण भारत (जम्मू व कश्मीर को छोड़कर) में लागू है। गर्भपात को कानूनी वैधता के बाद लगभग 1400 सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएँ एवं 2000 चिकित्सकों को गर्भपात करने का प्रमाण-पत्र (Certificate) दिया गया है। एक अनुमान के अनुसार देश में लगभग 8 लाख से अधिक गर्भपात किये जा चुके हैं।
  2. हानिरहित एवं प्रभावपूर्ण साधन- परिवार नियोजन कार्यक्रम की सफलता के लिए हानिरहित एवं प्रभावी साधनों की खोज हुई है, क्योंकि सन्तति निगृह के लिए दम्पत्ति में यह विश्वास दिलाना आवश्यक है कि परिवार नियोजन सम्बन्धी साधन शारीरिक दृष्टि से हानिकारक नहीं हैं। इनमें लूप, बन्ध्याकरण, गर्भपात, मौखिक गोली, आई0यू0सी0डी0 आदि हैं। देश में वर्तमान समय तक लगभग 7 लाख बन्ध्याकरण व 3 लाख से अधिक स्त्रियों ने आई0यू0सी0डी0 का प्रयोग किया है।
  3. प्रेरणात्मक कार्यक्रम- परिवार नियोजन से दम्पतियों को अवगत कराना अनिवार्य है, क्योंकि देश के ग्रामीण अंचलों में 74.1% लोग निवास करते हैं, उन्हें परिवार नियंत्रित करने के लिए प्रेरणा देनी होगी। इस दृष्टि से 1966 ई0 से रेडियो, टेलीविजन, समाचार-पत्र, परिवार नियोजन फिल्म, प्रसारण, भाषण व नाटक के द्वारा प्रेरणात्मक कार्यक्रम अपनाये गये हैं।
  4. अनुसंधान व मूल्यांकन- परिवार नियोजन कार्यक्रम को प्रभावी करने के लिए ‘अनुसंधान’ की आवश्यकता है। भारत सरकार ने 8 जनांकिकी अनुसंधान केन्द्र स्थापित किये हैं, जो गर्भ-निरोधक उपायों को सरलतम बनाने के प्रयास कर रहे हैं। मुम्बई में जनसंख्या अध्ययन अन्तर्राष्ट्रीय संस्थान (Internation Institute for Population Studics) स्थापित किया है जो भारतीय व विदेशी विद्यार्थियों को जनसंख्या सम्बन्धी प्रशिक्षण देता है।
  5. आर्थिक सहायता- भारतवर्ष में परिवार नियोजन कार्यक्रम के लिए आर्थिक सहायता हेतु तीन कार्यक्रम अपनाये गये हैं-

(i) केन्द्र सरकार ने 1961 से केन्द्रीय संस्थापित स्कीम के अन्तर्गत राज्य सरकारों को प्रत्यक्ष सहायता प्रदान की है।

(ii) परिवार नियोजन की सफलता के लिए चिकित्सकों को केवल प्रमाण-पत्र पर्याप्त नहीं, बल्कि वर्ष 1975 में सरकार ने घोषित किया कि 2000 दम्पतियों की नसबन्दी या बन्ध्याकरण करने वाले डॉक्टर को 5,000 रु० नकद धनराशि प्रदान की जायेगी, लेकिन 5 हजार से अधिक का लक्ष्य पूरा करने वाले डॉक्टरों को ‘एक कार’ भेंट की जायेगी।

(iii) परिवार नियोजन को जनप्रिय बनाने के लिए सरकार ने बन्ध्याकरण या नसबन्दी कराने वाले दम्पत्तियों को नकद 150 रु०) अथवा एक कम्बल (ग्रामीण क्षेत्रों) घोषित किया और प्रेरणादाता को 50 रु) प्रति कस दिया जायेगा। इसी प्रकार दो बच्चों के बाद नसबन्दी या बन्ध्याकरण कराने वाले दम्पतियों का नौकरी में एक वेतन वृद्धि (Increment) अतिरिक्त प्रदान की जायेगी।

परिवार नियोजन का संगठन

भारत सरकार ने परिवार नियोजन सम्बन्धी समस्त कार्यक्रमों के संचालन का दायित्व राज्य सरकारों को सौंप दिया है। परिवार नियोजन कार्यक्रम के विकास, व्यापक स्तर पर चलाने, मार्ग दर्शन व समन्वय हेतु केन्द्र सरकार ने ‘स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय’ स्थापित किया है।

केन्द्र सरकार राज्य सरकारों को आवर्तक (Rccurring) व अनावर्त्तक (Nonrecurring) सभी म्दों पर व्यय हेतु 90% आर्थिक सहायता दे रही है।

इस समय देश में 2000 से अधिक शहरी परिवार नियोजन केन्द्र 6000 के लगभग ग्रामीण परिवार नियोजन केन्द्र व 3.50,000 के लगभग उप केन्द्र कार्यशील है।

विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में परिवार नियोजन

भारत में परिवार नियोजन कार्यक्रम को विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में अति प्रमुखता प्राप्त हुई है। लेकिन प्रथम व द्वितीय पंचवर्षीय योजनाओं में आवंटित धनराशि की अपेक्षा कम व्यय से बोध होता है कि परिवार नियोजन को ऊँची प्राथमिकता नहीं मिली।

चौथी योजना में परिवार नियोजन के लक्ष्य में छोटे परिवार की मान्यता, परिवार नियोजन का प्रसार-प्रचार व आवश्यक सुविधाओं पर विशेष बल दिया। हाँ, पांचवीं पंचवर्षीय योजना में यह कार्यक्रम विशिष्टताओं के साथ लागू किया गया, जिसमें 1975 ई0 के दौरान परिवार नियोजन आपातकाल के समय विशेष गतिशील हो गया।

छठी पंचवर्षीय योजना में कई गुना अधिक 1,078 करोड़ रु) का व्यय प्रावधान रखा गया परन्तु इस योजना पर 1,448 करोड़ रु0 व्यय हुए जिससे परिवार नियोजन कार्यक्रम को विशेष प्रोत्साहन मिला जिससे 1988-99 ई0 में जन्म-दर घटकर 26.4 प्रति हजार हो गई है।

सातवीं पंचवर्षीय योजना में परिवार नियोजन का नाम बदलकर परिवार कल्याण किया गया एवं योजना में परिवार कल्याण का अनुमानित व्यय 3,256 करोड़ रु० निर्धारित हुआ। सातवीं योजना की व्यय राशि छठी योजना की तुलना में तीन गुनी अधिक थी। आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-97) दो वर्ष विलम्ब से प्रारम्भ हो सकी, इसमें परिवार कल्याण पर 8,510 करोड़ रु) व्यय का प्रावधान है। सरकार जनसंख्या नियंत्रण के अभीष्ट लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। नवीं पंचवर्षीय योजना में परिवार कल्याण पर सर्वाधिक व्यय प्रावधान 13,947.9 करोड़ रु) पाँच वर्षो में किया गया, जबकि दसवीं योजना में दो वित्तीय वर्ष में 7,965 करोड़ रुपये व्यय का प्रावधान है, ग्यारहवीं योजना का प्रारूप तय हो चुका है। भारत वर्ष में आज तक स्वास्थ्य क्षेत्र में 7.36 लाख आशा बहुएं, 8,872 एम0 बी0) बी0) एस0 डॉक्टर, 7,399 आयुर्वेदिक डाक्टर, 26,253 नसें ग्रामीण क्षेत्र के परिवार कल्याण कार्य में संलग्न हैं, जिससे परिवार कल्याण हेतु नेसबन्दी, गर्भपात, जनसंख्या नियन्त्रण हेतु छोटा परिवार का कार्य आशा बहुएँ देख रही हैं । परिवार कल्याण सुविधाओं के साथ-साथ पोलियो मुक्त बच्चों का संसार बना रहे हैं।

परिवार नियोजन कार्यक्रम की प्रगति का मूल्यांकन

निःसन्देह सत्य है कि भारत में जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम आंशिक रूप से ही सफल रहा है, क्योंकि विभिन्न घटक नैतिक रूप से जिम्मेदार हैं, जिसमें अशिक्षा के कारण अफवाहें फैलना, धार्मिक प्रधानता के कारण परिवार नियोजन की उपेक्षा, अप्रशिक्षित स्टाफ, सेवाओं व सुविधाओं का अल्प प्रयोग आदि प्रमुख हैं।

आज भारतीय परिवेश में परिवार नियोजन कार्यक्रम को ऐच्छिक रूप दिया गया है, केवल आपातकाल में परिवार नियोजन कार्यक्रम को कठोरता से लागू किया गया किन्तु जन- आक्रोश का शिकार हुई तत्कालीन सरकार के हश्र को देखकर राजनीतिज्ञ इस कार्यक्रम पर अडिग नहीं रह सके हैं? जबकि इस बात की प्रमुख आवश्यकता है कि यदि परिवार नियोजन कार्यक्रम को सख्ती से लागू नहीं किया गया, तो भारतवर्ष ‘जनसंख्या विस्फोट’ का शिकार हो जायेगा।

परिवार नियोजन कार्यक्रम को लोकप्रिय बनाने की दृष्टि से निम्नलिखित सुझाव दिये जा सकते हैं-

(1) ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाओं के लिए उत्सुक चिकित्सकों को विशेष सुविधाएँ मिलनी चाहिए।

(2) परिवार नियोजन केन्द्रों पर जिन दम्पतियों के बच्चे नहीं हैं, उन्हें चिकित्सकीय सहायता निःशुल्क दी जाये।

(3) परिवार नियोजन कार्यक्रम के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम व अनुसंधान पर ध्यान दिया जाये।

(4) परिवार नियोजन कार्यक्रम ऐच्छिक रूप से लोग अपनायें, अतः कार्यक्रम में शक्ति का प्रयोग शून्य होना चाहिए।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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