अर्थशास्त्र / Economics

भारतीय अर्थव्यवस्था एक मिश्रित अर्थव्यवस्था है ? | भारतीय मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएं

भारतीय अर्थव्यवस्था एक मिश्रित अर्थव्यवस्था है ? | भारतीय मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएं

भारतीय अर्थव्यवस्था एक मिश्रित अर्थव्यवस्था है ? – मिश्रित शब्द से ही बोध होता है कि मिश्रित अर्थव्यवस्था का निर्माण अन्य अर्थव्यवस्थाओं के सम्मिश्रण से होता है। मिश्रित अर्थव्यवस्था पूँजीवाद एवं समाजवाद का एक समन्वित संयोग है।

भारतीय अर्थव्यवस्था मिश्रित अर्थव्यवस्था है जिसमें सार्वजनिक व निजी दोनों ही प्रकार की संस्थाओं का आर्थिक नियन्त्रण रहता है। यद्यपि भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था का प्रादुर्भाव ब्रिटिशकाल में ही हो चुका था, परन्तु विकास तथा कल्याण की दृष्टि से सही अर्थो में मिश्रित अर्थव्यवस्था का प्रादुर्भाव भारत, में स्वतन्त्रता के पश्चात हुआ जबकि औद्योगिक नीति प्रस्ताव, 1948 को अमल मे लाया गया। 1950 में देश के आर्थिक विकास को सही दिशा प्रदान करने के लिए योजना आयोग की स्थापना की गई।

भारतीय मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताओं का विवरण निम्न प्रकार है-

(1) निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र का सहअस्तित्व-

सार्वजनिक क्षेत्र में उद्योगों का संचालन व प्रबन्ध का उत्तरदायित्व सरकार पर होता है जबकि निजी क्षेत्र में उद्योगों का स्वामित्व व प्रबन्ध निजी उद्यमियों के हाथों में होता है परन्तु उन्हें सरकार द्वारा बनायी गयी नीतियों का पालन करना होता है। सामान्यत: आधारभूत उद्योगों व लोक उपयोगी सेवाओं को सार्वजनिक क्षेत्र में तथा उपभोग वस्तुओं के उद्योगों को निजी क्षेत्र में रखा जाता हैं एक ही प्रकार का उद्योग निजी क्षेत्र व सार्वजनिक क्षेत्र दोनों में ही हो सकता है। उदाहरणार्थ- भारत में टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी (जल) निजी क्षेत्र में है जबकि भिलाई स्टील संयन्त्र, बोकारो स्टली संयन्त्र, दुर्गापुर इस्पात संयन्त्र आदि सार्वजनिक क्षेत्र में है।

(2) आर्थिक स्वतन्त्रता-

निजी उत्पादक अपने साधनों का प्रयोग स्वतन्त्र रूप से कर सकते हैं परन्तु राज्य की राजकोषीय नीति, मौद्रिक या अन्य आर्थिक नीतियों द्वारा इस स्वतन्त्रता का नियमन होता है।

(3) आय व सम्पत्ति का अधिक समान वितरण-

मिश्रित अर्थव्यवस्था में पूँजीवादी प्रणाली के समान आय व सम्पत्ति में विषमता पायी जाती है। सरकार आर्थिक व राजकोषीय नीति द्वारा इस विषमता को कम करने का प्रयास करती है। अमीर लोगों पर प्रगतिशील दरों से जहाँ कर ल गाये जाते हैं, वहाँ गरीबों व कम आय के वर्गं को इससे मुक्त रखा जाता है।

(4) आर्थिक नियोजन-

1950-51 से नियोजित आर्थिक विकास का शुभारम्भ क्रिया गया था। अब तक 10 पंचवर्षीय योजनाओं व 6 वार्षिक योजनाओं का कार्यकाल पूरा हो चुका है। भारत में पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से सार्वजनिक उपक्रमों, लघु एवं मध्यम उद्योगों की स्थापना को बल मिला है तथा कृषि क्षेत्र में क्रान्ति आयी है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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