भारतीय अर्थव्यवस्था में आर्थिक सुधारों से औद्योगिक विकास में वृद्धि

भारतीय अर्थव्यवस्था में आर्थिक सुधारों से औद्योगिक विकास में वृद्धि | Economic growth in Indian economy increases industrial growth in Hindi

भारतीय अर्थव्यवस्था में आर्थिक सुधारों से औद्योगिक विकास में वृद्धि | Economic growth in Indian economy increases industrial growth in Hindi

भारतीय अर्थव्यवस्था में आर्थिक सुधारों से औद्योगिक विकास में वृद्धि – स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात योजना काल (1950-51) से 2002-2007 में देश के विभिन्न उद्योग समूहों ने जो प्रगति की है, उसको निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

(1) आधारभूत उद्योग-

ऐसे उद्योग जो देश के विकास के लिए आवश्यक होते आधारभूत उद्योग कहलाते हैं। इन उद्योगों में लोहा एवं इस्पात उद्योग, खान उद्योग, मेकनिकल इंजीनियरिंग उद्योग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग उद्योग व रसायन उद्योग प्रमुख है। इन उद्योगों का वर्णन नीचे अलग-अलग किया जा रहा हे-

(i) लोहा एवं इस्पात उद्योग- हमारे देश में स्वतन्त्रता के समय लोहा एवं इस्पात के 2 बड़े कारखाने थे, लेकिन आज 8 हैं। इसके अतिरिक्त योजनाकाल में पर्याप्ति संख्या में मिनी स्टेल प्लाण्टो की स्थापना हुई हैं तथा स्पन्ज आयरन एवं विशेष प्रकार के स्टील उत्पादों का उत्पादन प्रारम्भ हुआ है। उदारीकरण से भारतीय लौह एवं इस्पात क्षेत्र में गुणात्मक परिवर्तन हुआ है। इस्पात उद्योग को लाइसेंस से मुक्त करने से उत्पादनकर्त्ता उपभोक्ताओं के प्रति अधिक उत्तरदायी हो गये हैं। 1950-51 में ढलवाँ लोहे का उत्पादन 17लाख टन, इस्पात सिल्लियों का उत्पादन 15 लाख टन व तैयार इस्पात का 10 लाख टन था जो 1999-2000 में बढ़कर क्रमशः 135, 238 व 272 लाख टन हो गया।

कच्चे लोहे के इस्पात में भारत आज विश्व का 8वां संबसे बड़ा देश है। 2004-05 के दौरान देश में कच्चे लोहे का उत्पादन 384.86 लाख टन हुआ जबकि इसकी तुलना में 2002- 03 और 2003-04 के दौरान क्रमशः 343.48 और 304.44 लाख टन उत्पादन हुआ था। 2005-06 के दौरान यह 473.44 लाख टन था। आज भारत दुनिया में स्पज आइरन का सबसे बड़ा उत्पादक है।

(ii) खान उद्योग- स्वतन्त्रता प्राप्त करने के पश्चात इस उद्योग का काफी विकास हुआ है। अब खदानों में आधुनिक मशीनें लगाई गयी हैं और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए व्यापक प्रबन्ध कर लिये गये हैं। इन सभी के कारण उत्पादन काफी बढ़ गया है। कोयले का उत्पादन 1950-51 में 323 लाख टन था जो 1999-2000 में बढ़कर 3,221 लाख टन हो गया। इसी प्रकार कच्चे लोहे का उत्पादन 1960-61 में 109 लाख टन था जो 1999-2000 में बढ़कर 707 लाख टन हो गया

(iii) मैकेनिकल इंजीनियरिंग उद्योग- इस उद्योग का विकास विशेष रूप से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद ही हुआ है। मशीन टूल्स का उत्पादन 1950-51 में केवल 30 लाख रु. का था जो 1999-2000 में बढ़कर 1,394 करोड़ रु. हो गया। चीनी मिल व सीमेण्ट मिल मशीनरी का 1950-51 में हमारे देश में उत्पादन होता ही नहीं था जबकि 1997-98 में इनकाबीउत्पादन क्रमशः 97 करोड़ एवं 376 करोड़ रुपये के मूल्य का हुआ। इसी प्रकार पावर पम्प व डीजल इंजन का 1950-51 में उत्पादन 35 हजार व 6 हजार था जो 1999-2000 में 5.99 लाख व 3,48 लाख हो गया।

(iv) इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग उद्योग- इस उद्योग का भी स्वतन्त्रता के पश्चात् काफी विकास हुआ है। 1950-51 में देश में 2 लाख के.वी.ए. के पावर ट्रांसफार्मर बनाये गये जबकि 1999-2000 में 5.57 लाख के.वी.ए. के 1950-51 में 99 हजार बिजली की मोटरें बनाई गई जिनका उत्पादन 1999-2000 में 58 लाख हो गया था।

(v) रसायन उद्योग- भारत के आधारभूत उद्योग में रसायन उद्योग का भी महत्वपूर्ण स्थान है। उत्पादन की दृष्टि से भारत के रसायन उद्योग का विश्व में 12वां स्थान है। इस उद्योग में लघु एवं बड़ी दोनों तरह की इकाइयाँ शामिल हैं।

(2) परिवहन उद्योग-

योजना काल में परिवहन उद्योग ने उल्लेखनीय प्रगति की है। जिसे निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

(i) रेल उद्योग की प्रगति- 1950-51 में भारत में 53,600 किलोमीटर रेलमार्ग था जो 1999-2000 में 62,759 किलोमीटर हो गया। 1948 में भारत ने पहला डीजल इंजन अमेरिका से आयात किया था, लेकिन अब चितरंजन लोकोमोटिव वकर्क्स, कोलकाता भारत में ही यह इन्जन बना रहा है जिसकी क्षमता प्रतिवर्ष 100 डीजल के एवं 150 बिजली के इंजन बनाने की है। भारत में अब सवारी डिब्बे इन्टीग्रल कोच फैक्ट्री, पैराम्बुर (चेन्नई) में ही बन रहे हैं। यह कारखाना 1,20(0 डिब्बे बना रहा है। बनारस का रेल इंजन कारखाना प्रति वर्ष 200 इजन बना रहा है। भारतीय रेलवे को 16 जोन्स में पुनर्गठित किया गया है।

(ii) सडक परिवहन उद्योग- स्वतन्त्रता के पश्चात् स्कूटर, मोटर साइकिल, कार, जीप, टेम्पो, मेटाडोर के उत्पादन में क्रान्ति आ गयी है। 1950-51 में 99 हजार साइकिलों का उत्पादन होता था जो वर्ष 1999-2000 में बढ़कर 13,333 हजार हो गया। इस प्रकार इनका उत्पादन 139 गुना बढ़ गया है। पठानकोट से जम्मू के बीच राजमार्ग पर कार्य प्रगति पर है।

(iii) जल परिवहन- पहले हम पानी के जहाज विदेशों से आयात करते थे, लेकिन अब यह जहाज हिन्दुस्तान शिपयार्ड, विशाखापट्टनम में बनाये जा रहे हैं, जिसकी क्षमता दो तीन जहाज प्रतिवर्ष बनाने की है। देश में 11 बड़े बन्दरगाह हैं।

(iv) वायु परिवहन- हवाई जहाज बनाने का प्रथम कारखाना 1940 में बाल चन्द हीराचन्द ने हिन्दुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड के नाम से स्थापित किया था, जिसे बाद में भारत सरकार एवं कर्नाटक सरकार ने ले लिया। इस समय हिन्दुस्तान एरोनोटिक वायुसेना व नागरिक उड्डयन विभाग दोनों के लिए वायुयान बना रहा है।

(3) उपभोक्ता उद्योग-

स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् उपभोक्ता वस्तुएँ बनाने वाले उद्योगों का भी तेजी से विकास हुआ है। घड़ियाँ, प्रेशर कुकर, रेडियो, टेलीविजन, साइकिलें, ब्लेड, बैटरी, बिस्कुट, साबुन, सौंदर्य प्रसाधन, चश्मे के फ्रेम एवं शीशे, फाउण्टेन पेन, सिगरेट, हल्के पेय सभी हमारे देश में बनाये जाते हैं और हम इस सम्बन्ध में काफी सीमा तक आत्मनिर्भर हैं। इसके अतिरिक्त चीनी, वनस्पति एवं सूती वस्त्र उद्योग के उत्पादन में भी वृद्धि हुई है। वर्ष 1950-51 में चीनी का उत्पादन 11.3 लाख टन था जो वर्ष 1999-2000 में बढ़कर 155.2 लाख टन हो गया। इसी अवधि में वनस्पति घी का उत्पादन 1.55 लाख टन से बढ़कर 12.57 लाख टन पर पहुँच गया है। इसी अवधि में सूती वस्त्र का उत्पादन 421.5 करोड़ मीटर से बढ़कर 1,896.9 करोड़ मीटर हो गया है।

(4) सुरक्षा उद्योग-

स्वतन्त्रता के पश्चात् इस उद्योग का तेजी से विकास हआ है, फलस्वरूप इस क्षेत्र में भी हमारी आत्मनिर्भरता बढ़ती जा रही है। इस समय बन्दूक, मशीनगन, तोप, राडार, लड़ाकू हवाई जहाज, पनडुब्बी, सेना के लिए ट्रक, जीप, आदि सभी का निर्माण देश में ही हो रहा है।

अर्थशास्त्र महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- sarkariguider@gmail.com

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *