बुद्धि मापन का तात्पर्य | मानसिक आयु और कालिक आयु | बुद्धि-लब्धि
बुद्धि मापन का तात्पर्य | मानसिक आयु और कालिक आयु | बुद्धि-लब्धि | Meaning of intelligence in Hindi | Measurement Mental age and temporal age in Hindi | intelligence in Hindi
बुद्धि मापन का तात्पर्य
बुद्धि या मानसिक योग्यता की मात्रा को मालूम करना बुद्धि मापन है। उदाहरण के लिए एक 10 वर्ष का बालक कक्षा 5 में सब लड़कों से अधिक अंक प्राप्त करता है। सभी विषयों में वह 100 अंक में 60-70 अंक पाता है तो हम उसे प्रतिभाशाली बालक कहते हैं। कोई दूसरा छात्र अध्यापक के प्रश्नों का उत्तर बहुत देर में और अशुद्ध उत्तर देता है। ऐसी हालत में उसके बुद्धि की मात्रा कम पाई जाती है। परीक्षाफल बुद्धि को माप बताते हैं। परीक्षणों के द्वारा हम व्यक्ति को सामान्य और विशेष योग्यता की जानकारी करते हैं तो उसे हम बुद्धिमापन कहते हैं।
बुद्धि मापन एक प्रकार से स्वाभाविक ढंग से भी होने वाली क्रिया है। घर में हम किसी बालक से कुछ चीज ठठाने, उठाकर रखने, खोलने-बाँधने, लाने-देने को कहते हैं। यदि हम उसे ठीक से करता हुआ देखते हैं तो सन्तुष्ट हो जाते हैं और कहते हैं कि उसकी बुद्धि है और ठीक से न करने पर उसे धिक्कारते हैं कि उसमें बुद्धि नहीं है। बुद्धि का मापन व्यक्ति की कार्य कुशलता का बोधक होता है। अतः बुद्धि का मापन कार्य-कुशलता की स्वीकृति भी होती है। इसे जानने के कई साधन हैं जिन्हें मापन के साधन या परीक्षण कहते हैं।
मानसिक आयु और कालिक आयु
मानसिक आयु क्या है और कालिक आयु क्या है? बुद्धि मानसिक योग्यता है अतएव बुद्धि की आयु को मानसिक आयु कहते हैं। आयु वर्ष से ज्ञात होती है अतएव कालिक आयु या शारीरिक आयु या वास्तविक आयु की तरह व्यक्ति की मानसिक योग्यता का भी समय होता है। इसे मानसिक आयु से संकेत करते हैं जो व्यक्ति की मानसिक उपलब्धि के आधार पर निश्चित की जाती है। कालिक आयु जन्म के बाद से वर्तमान समय तक की अवधि को कहते हैं।
प्रो० बिने ने जब बुद्धि परीक्षण बनाया उस समय उन्होंने हरेक उम्र के लिए कुछ निश्चित प्रश्न बनाये, जैसे 3 वर्ष के बालक के लिए 4 प्रश्न बनाये। 4 वर्ष के बालक के लिए 4 प्रश्न बनाये और इसी प्रकार अन्य आयु वालों के लिए भी प्रश्न तैयार किये। इस आधार पर यदि तीन वर्ष का बालक 4 प्रश्न का सही उत्तर दे देता है तो उसको मानसिक आयु 3 वर्ष की होती है। और यदि 4 वर्ष के बालक के लिए दिये गये प्रश्नों में से 2 प्रश्नों का सही उत्तर दे दे तो उसकी मानसिक आयु 3+1/2-3-1/2 वर्ष की होती है। इस ढंग से तीन वर्ष के बाद बालक की इस दशा में आयु 3-1/2 वर्ष की हो गई जबकि उसको कालिक आयु 3 वर्ष की हो रही। कालिक आयु से मानसिक आयु कम भी होती है। यदि यही बालक 3 वर्ष की आयु वाले केवल 3 प्रश्नों का ही उत्तर दें और 4 वर्ष वालों के लिए बने प्रश्नों में से कुछ भी न कर सके तो इसकी उम्र मानसिक आयु 3-1/4-2-3/4 वर्ष हुई। अतः अब ज्ञात हो गया कि व्यक्ति की मानसिक आयु उसकी कालिक आयु से बढ़ती घटती रहती है या समान भी रहती है। मानसिक आयु तथा कालिक आयु में मुख्य अन्तर आधार का है। मानसिक आयु व्यक्ति के निष्पादन, ज्ञान, योग्यता या कुशलता के आधार पर निश्चित की जाती है, जबकि कालिक आयु जन्म से जीवित रहने की तिथि तक की अवधि पर।
बुद्धि-लब्धि
प्रो० एम० एल० टरमन ने सबसे पहले प्रो० बिने के बुद्धि परीक्षण का संशोधन अमेरिका में किया और बुद्धि-लब्धि का उपयोग किया। प्रो० टरमन और मेरिल ने मिलकर एक स्केल या मापनी 1937 में निकाली। प्रो० सोरेन्शन का कथन है कि मानसिक आयु मानसिक परीक्षण से निर्धारित होती है। किसी भी कालिक आयु वाले बालक के लिए निर्धारित औसत प्राप्तांक मानसिक स्तर या मानसिक विकास का स्तर संकेत करता है। अतएव मनोविज्ञानी टरमन ने मानसिक आयु और कालिक आयु का एक अनुपात मालूम किया और उसे उसने बुद्धि-लब्धि कहा। इस आधार पर बुद्धि-लब्धि किसी भी व्यक्ति की मानसिक आयु तथा कालिक आयु की अनुपात होती है। प्रो० ड्रेवर ने लिखा है कि “बुद्धि-लब्धि मानसिक आयु की कालिक आयु के साथ अनुपात एक प्रतिशत के रूप में अभिव्यक्त।”
बुद्धि-लब्धि जानने का निम्न सूत्र प्रो० टरमन ने बताया है-
बुद्धि-लब्धि (I.Q.) = (मानसिक आयु (Mental Age)/कालिक आयु (Chronological Age)) × 100
इस सूत्र से हम प्राप्तांकों की सहायता से मानसिक आयु मालूम कर लेते हैं। कालिक या वास्तविक आयु ज्ञात रहती ही है और पुनः बुद्धि-लब्धि मालूम करते हैं। 100 से गुणा क्यों करते हैं? जिससे कि संख्या प्रतिशत में आये और छोटी भिन्न पूर्णांक के रूप में प्रकट की जा सके।
मान लीजिए एक बालक की कालिक आयु 16 वर्ष है। उसको परीक्षण देने पर जो प्राप्तांक मिले उससे उसकी मानसिक आयु 15 वर्ष की हुई तो उसकी बुद्धि-लब्धि क्या होगी?
बुद्धि-लब्धि = 15/16 x 100 = 94 (के करीब)
इसी प्रकार से यदि किसी बालक की मानसिक आयु 20 वर्ष है और कालिक आयु 16 वर्ष है तो उसकी बुद्धि-लब्धि क्या होगी?
बुद्धि-लब्धि = 20/16 x 100 = 125
बुद्धि-लब्धि की उपयोगिता-
बुद्धि लब्धि से एक तो बालक की मानसिक स्थिति मालूम होती है, दूसरे उसके मानसिक विकास में सहायता मिलती है, तीसरे उसे आगे बढ़ने के लिए, तदोचित निर्देशन दिया जा सकता है, जिससे उसे अधिक से अधिक सफलता मिल सके। अतएव स्पष्ट है कि बुद्धि-लब्धि की एक बड़ी शैक्षिक एवं व्यावहारिक उपयोगिता पाई जाती है।
बुद्धि-लब्धि के प्रसार
अमेरिका में प्रो० टरमन तथा प्रो० मेरिल ने लगभग 3000 छात्रों की बुद्धि-लब्धि ज्ञात की और भारत में प्रो० कामथ ने भी अधिक बड़ी संख्या में बुद्धि-लब्धि प्राप्त की जिनके आधार पर इनकी तुलनात्मक ढंग से अध्ययन करके हर बुद्धि-लब्धि का प्रसार मालूम कर सकते हैं-
बुद्धि-लब्धि |
वर्ग |
प्रो० टरमन-मेरिल |
प्रो कामथ |
1. 140 से ऊपर |
प्रतिभाशाली |
0.5% |
0.5% |
2. 130 से 140 |
अति उत्कृष्ट |
0.3% |
3.5% |
3. 120 से 130 |
उत्कृष्ट |
7.0% |
9.0% |
4. 110 से 120 |
प्रखर |
14.0% |
14.0% |
5. 100 से 110 |
उच्च सामान्य |
25.0% |
– |
6. 90 से 100 |
निम्न सामान्य |
25.0% |
42.0% |
90 से 110 |
सामान्य |
– |
– |
7. 80 से 90 |
मन्द बुद्धि |
14.5% |
– |
80 से 100 |
पिछड़े हुए |
– |
15.0% |
8. 70 से 80 |
हीन बुद्धि |
7.0% |
9.0% (बहुत पिछड़े हुए) |
9. 60 से 70 |
निर्बल बुद्धि |
0.5% |
(i) 3.5% (सीमा पर) |
(ii) नीचे से 60 |
– |
– |
– |
10. 50 से 60 |
मूर्ख |
– |
1.5% |
11. 40 से 50 |
मूढ़ |
– |
0.5% |
नीचे से 40 |
जड़ |
– |
0.5% |
ऊपर की सांदणी से ज्ञात होता है कि दोनों देशों में सामान्य से ऊपर एवं नीचे के वर्गों में बुद्धि-लब्धि का वितरण समान है, दोनों देशों में बुद्धि-लब्धि का प्रसार भी शून्य से 140 या इससे ऊपर तक एक ही है। प्रतिशत के विचार में थोड़ा अन्तर दिखाई देता है। सामान्य से दोनों अपने देश में अधिक दिखाई देते हैं यद्यपि प्रतिशत बहुत कम ही है। इससे एक तथ्य यह ज्ञात होता है कि बुद्धि-लब्धि में स्थिरता होती है। व्यक्तिगत रूप से जो अध्ययन किए गए हैं उनमें भी यही निष्कर्ष निकलता है कि जन्म से लेकर अन्त तक बुद्धि-लब्धि एक समान होती है। यह अवश्य है कि व्यक्ति अपनी बुद्धि के प्रयोग के अनुभव के आधार पर शीघ्र काम करने वाला बन जाता है परन्तु उसकी मानसिक आयु एवं कालिक आयु का अनुपात स्थिर पाया जाता है।
शिक्षाशास्त्र – महत्वपूर्ण लिंक
- प्रतिमान सन्दर्भित परीक्षण से तात्पर्य | निकष सन्दर्भित तथा प्रतिमान सन्दर्भित परीक्षण में विभेद
- परीक्षा का अर्थ | परीक्षाओं की उपयोगिता या महत्त्व | परीक्षा के उद्देश्य | परीक्षा के कार्य | परीक्षा के प्रकार
- साक्षात्कार | साक्षात्कार की परिभाषा | साक्षात्कार की विशेषताएँ | साक्षात्कार का उद्देश्य | साक्षात्कार का क्या महत्व
- प्रश्नावली | प्रश्नावली की परिभाषा | प्रश्नावली की विशेषताएँ | प्रश्नावली का वर्गीकरण
- श्रेणी मापनी विधि | दर मापक का नमूना | श्रेणी मापनी विधि को नमूना बनाकर स्पष्ट कीजिए
- व्यक्तित्व क्या है | व्यक्तित्व का अर्थ | व्यक्तित्व की परिभाषा | व्यक्तित्व के प्रकार
- बुद्धि और अनुवांशिकता | बुद्धि और वातावरण | बुद्धि, अनुवांशिकता एवं वातावरण
- बुद्धि | बुद्धि का अर्थ | बुद्धि की परिभाषा | बुद्धि का स्वरूप | बुद्धि के प्रकार | बुद्धि के सिद्धान्त | बुद्धि की संरचना | बुद्धि और ज्ञान में अन्तर
Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- sarkariguider@gmail.com