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बुद्धि परीक्षण | बुद्धि परीक्षाओं के प्रकार | बुद्धि परीक्षण की उपयोगिता

बुद्धि परीक्षण | बुद्धि परीक्षाओं के प्रकार | बुद्धि परीक्षण की उपयोगिता | IQ Test in Hindi | Types of Intelligence Tests in Hindi | usefulness of intelligence test in Hindi

बुद्धि परीक्षण

बुद्धि मापन के साधन को बुद्धि परीक्षण की संज्ञा दी जाती है। इस युक्ति से यह जानने की कोशिश करते हैं कि किसी व्यक्ति को मानसिक योग्यता की कितनी मात्रा है। हमें इसी के द्वारा किस प्रकार का वह व्यक्ति है- साधारण, साधारण से नीचे या साधारण से ऊपर उसकी वास्तविकता का बोध होता है। मानसिक योग्यता का सही जाँच करने वाला साधन बुद्धि परीक्षण कहा जाता है।

बुद्धि परीक्षाओं के प्रकार (Kinds of Intelligence Test)

बुद्धि परीक्षाओं के मुख्यत: तीन प्रकार प्रचलित हैं-

  1. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षायें (Individual Intelligence Tests),
  2. सामूहिक बुद्धि परीक्षायें (Group Intelligence Tests),
  3. क्रियात्मक बुद्धि परीक्षायें (Performance Intelligence Tests)।

व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षायें (Individual Intelligence Tests )—

व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षाओं से तात्पर्य उन परीक्षाओं से है जिनका प्रयोग एक समय में केवल एक ही व्यक्ति के लिए किया जा सकता है और इनसे उस व्यक्ति की बुद्धि परीक्षा की जा सकती है। इसमें बिने-साइमन की परीक्षा प्रणाली और टरमैन द्वारा इसकी संशोधित प्रणाली उल्लेखनीय है।

बिने-साइमन प्रणाली तथा मानसिक आयु- बुद्धि को मापने में सबसे अधिक सफलता बिने और साइमन को मिली। इन्होंने मानसिक आयु के आधार पर बुद्धि के परीक्षण का तरीका निकाला। इसके लिए इन्होंने कुछ प्रश्नावलियों का निर्माण किया। इन्होंने समान आयु के 100 बालकों को कुछ प्रश्न हल करने को दिये। जिन प्रश्नों के 60% बालकों ने सही-सही उत्तर दिये उन प्रश्नों को उन्होंने मानकीकृत (Standardized) कर दिया। इस प्रकार से उन्होंने तीन वर्ष से लेकर 15 वर्ष तक बालकों के लिए अलग-अलग प्रश्नावलियों का निर्माण किया। इस प्रकार से जो बालक जिस आयु वर्ग के प्रश्नों का उत्तर सही-सही दे देता था जिसकी मानसिक आयु 10 वर्ष की है और 12 वर्ष होगी। यदि बालक आठ वर्ष के बालक का ही उत्तर दे पाता है तो उसकी मानसिक आयु 8 वर्ष होगी यदि नालक 12 वर्ष के बालक का उत्तर दे देता है तो वह मन्द बुद्धि का कहलायेगा।

स्टैनफोर्ड बिने परीक्षण (Stanford Binet Tests) – सन् 1961 में स्टैनफोर्ड विद्यालय के टरमैन महोदय ने बिने बुद्धि परीक्षण में संशोधन किया और उसी के आधार पर एक नवीन बुद्धि परीक्षण का निर्माण हुआ जिसे स्टैनफोर्ड रिवीजन आफ दि बिने साइमन टेस्ट (Stanford Revision of the Binet-Simon Intelligence Tests) कहा गया। टरमैन ने बिने के बुद्धि के पाँच-पाँच प्रश्नों के स्थान पर छ:- छ: प्रश्न कर दिये। टरमैन की प्रश्नावली में कुल 99 प्रश्न हैं जिनमें से 19 प्रश्न बिने की प्रश्नावली में भी सम्मिलित हैं। टरमैन की प्रश्नावली के कुछ प्रश्न दिये जा रहे हैं।

तीन वर्ष की आयु के लिए-

  1. कुछ वस्तुओं को पहचानो (घड़ी, कमल, पेन्सिल, चाकू) उनके नाम बताओ।
  2. तुम्हारी नाक कहाँ है? तुम्हारा कान कहाँ हैं।
  3. तुम चित्र में क्या देख रहे हो?
  4. तुम लड़की हो या लड़का।

छ: वर्ष की आयु के लिए-

  1. अपना बायाँ हाथ दिखाओ। अपनी दाहिनी आँख दिखाओ।
  2. इस चित्र को देखो, इसमें क्या अधूरा है।
  3. 13 सिक्कों को मेज पर रखकर बालक को जोर-जोर से गिनने को कहो।
  4. चार-पाँच प्रकार के सिक्कों को रखकर पूछो-यह क्या है?

बुद्धि-लब्धि (Quotient Intelligence)

व्यक्ति को प्रतिभा प्राप्त होती है, उसकी मात्रा को बताने वाली बुद्धि लब्धि निकालने के लिए मानसिक आयु को शारीरिक आयु से भाग दिया जाता है। प्राप्त फल में दशमलव को दूर करने के लिए 100 से गुणा कर देते हैं। बुद्धि लब्धि निकालने के लिए निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है:

बुद्धि-लब्धि = मानसिक आयु/शारीरिक आयु x 100

Intelligence Quotient = Mental age/ Chronological Age

स्टैनफोर्ड बिने परीक्षण की बुद्धि लब्धि की सीमा के आधार पर बुद्धि वर्गीकरण की तालिका

प्रस्तुत हैं-

बुद्धि लब्ध

or I. Q. =  M.A. /C.A. × 100

स्टैनफोर्ड बिने परीक्षण की बुद्धि लव्धि की सीमा के आधार पर बुद्धि वर्गीकरण की तालिका प्रस्तुत हैं-

बुद्धि लब्ध (I.Q.)

 

 

 

बुद्धि स्तर (Level of Intelligence)

140

से

ऊपर

 

अत्युकृष्ट

120

से

140

तक

उत्कृष्ट

110

से

120

तक

सामान्य से ऊपर

90

से

110

तक

सामान्य

80

से

90

तक

मंद बुद्धि

70

से

80

तक

निर्बल बुद्धि को सीमा रेखा

50

से

70

तक

मूर्ख

25

से

50

तक

मूढ़

0

से

25

तक

जड़

सामूहिक बुद्धि परीक्षाएँ (Group Intelligence Tests)

सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का निर्माण इस दृष्टि से हुआ कि जिससे अधिक से अधिक व्यक्तियों का परीक्षण कम समय में किया जा सके। प्रथम विश्व युद्ध में अमेरिका की सरकार में फौजी सैनिकों एवं अफसरों की भर्ती उसको मानसिक योग्यता के आधार पर करनी थी तभी से सामूहिक बुद्धि परीक्षा की उपयोगिता समझो जाने लगी क्योंकि कम से कम समय में अधिक से अधिक व्यक्तियों का परीक्षण सम्भव हो सका। इस प्रकार से तब दो प्रकार के सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का निर्माण सम्भव हो सका। आर्मी अल्फा परीक्षण और आर्मी बीटा परीक्षण।

(अ) आर्मी अल्फा परीक्षण (Army Alpha Test)— यह परीक्षण अंग्रेजी पढ़ सकने वालों के लिए था। यह शब्दिक परीक्षण था।

(ब) आर्मी बीटा परीक्षण (Army Beta Test) – यह अशाब्दिक बुद्धि परोक्षण था तथा बगैर पढ़े लिखे लोगों के लिए था।

व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण और सामूहिक बुद्धि परीक्षण में अन्तर

  1. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण परीक्षाओं में समय बहुत खर्च होता है जबकि सामूहिक बुद्धि परीक्षण में समय की बचत होती है।
  2. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षायें छोटे बालकों के लिए उपयुक्त हैं जबकि सामूहिक बुद्धि परीक्षण बड़े बालकों के लिए उपयुक्त है।
  3. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षाओं के प्रश्नों से सामूहिक बुद्धि परीक्षाओं के प्रश्न अधिक सरल होते हैं।
  4. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षाओं में विशेष व्यक्ति की आवश्यकता पड़ती है जबकि सामूहिक बुद्धि परीक्षण एक साधारण व्यक्ति ही ले सकता है।
  5. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण अधिक खर्चीले होते हैं जबकि सामूहिक बुद्धि परीक्षण ऐसे नहीं होते।
  6. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षाओं में व्यक्ति घबड़ा जाता है जबकि सामूहिक बुद्धि परीक्षाओं में ऐसा नहीं होता है।
  7. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण के द्वारा व्यक्ति की सामूहिक बुद्धि का पता नहीं लग पाता।
  8. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण सामूहिक बुद्धि परीक्षण को अपेक्षा अधिक विश्वसनीय एवं प्रामाणिक होते हैं।”

क्रियात्मक बुद्धि परीक्षण (Performance Intelligence Test)

यह बुद्धि परीक्षायें अशिक्षित, गूँगे-बहरे तथा अन्धों के लिए अधिक उपयोगी हैं। इन बुद्धि परीक्षणों में शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाता है जबकि अमूर्त वस्तुओं, चित्रों, आकृतियों आदि का प्रयोग होता है। नीचे कुछ क्रियात्मक बुद्धि परीक्षणों को दिया जा रहा है।

  1. चित्रांकन परीक्षा (Picture Drawing Test) – यह 4 वर्ष लेकर 10 वर्ष तक के बालकों के लिए उपयोगी है। बालक को पेन्सिल और कागज देकर कहा जाता है कि मनुष्य की आकृति खींचों। परीक्षा में उसी विद्यार्थी को पूर्ण अंक मिलते हैं जिसका चित्र पूर्ण और संगत होता है। इनमें चित्र की सफाई पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
  2. चित्रपूर्ति परीक्षा (Picture Completion Test)— इसमें बालक के सामने अधूरे चित्र प्रस्तुत किये जाते हैं। बालक को उस चित्र को पूरा करना होता है। जैसे बालक के सामने एक चित्र प्रस्तुत किया गया जिसमें कई टुकड़े कटे हैं तथा चित्र को पूरा करने के लिए कई टुकड़े प्रदान किये जायेंगे। इसमें समय एवं सफलता के सुधार पर अंक प्रदान किये जायेंगे।
  3. ‘भूल भुलैया परीक्षण (Maze Test)- इस परीक्षण में बालक को एक निर्मित चित्र प्रदान किया जाता है। यह चित्र बहुत से रास्तों से भरा होता है तथा एक रास्ता ऐसा होता है जिसके द्वारा सबसे कम दूरी तय करके बाहर आया जा सकता है। जो बालक पेन्सिल से छोटे-मोटे रास्तों में लाइन बनाता हुआ सबसे शीघ्र बाहर निकल आता है उसी बालक को बुद्धिमान माना जाता है।
  4. आकृतिफलक परीक्षा (Form Board Test) – आकृतिफलक परीक्षा का निर्माण गुइन महोदय ने किया था। एक लकड़ी के तख्ते में त्रिकोण, अर्ध गोलाकार चतुर्भुज आदि शक्लों में होते हैं। साथ ही सब छेदों की सजावट के टुकड़े भी होते हैं। परीक्षार्थी को उन टुकड़ों को बने छेदों में फिट करने को कहा जाता है। जो बालक सही और ठीक से टुकड़े फिट कर लेता है उसे योग्य कहा जाता है।
  5. चित्र संयोजक परीक्षा (Picture Arrangement Test) — इस परीक्षण में कुछ व्यावहारिक चित्र तितर-बितर क्रम में होते हैं। बालक इन चित्रों को एक में रखता है।

बुद्धि परीक्षण की उपयोगिता (Utility of Intelligence Test)

आज के युग में बुद्धि परीक्षाओं का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है :

  1. बुद्धि परीक्षाओं की सहायता से मानसिक रोगों के उपचार में काफी सहायता मिलती है।
  2. बुद्धि परीक्षाओं के द्वारा बालकों के अपराधी होने का कारण हम पता लगाते हैं तथा उसके साथ उचित व्यवहार करने का मार्ग ढूँढ निकालते हैं।
  3. बुद्धि परीक्षाओं के द्वारा उद्योगों में कर्मचारियों के चयन, अधिकारियों और विशेषज्ञों के चुनाव में सहायता मिलती है।
  4. बुद्धि परीक्षाओं के द्वारा विद्यार्थी के स्तर का पता लगता है कि वह मन्द बुद्धि का बालक है, सामान्य अथवा तीव्र बुद्धि का है।
  5. विद्यार्थियों के प्रवेश के समय इन परीक्षाओं का प्रयोग होता है।
  6. कक्षाओं का वर्गीकरण करने में सहायता मिलती है।
  7. बालकों के स्तर के अनुसार उसका पाठ्यक्रम निर्धारित करने में सहायता मिलती है।
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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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