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साक्षात्कार | साक्षात्कार की परिभाषा | साक्षात्कार की विशेषताएँ | साक्षात्कार का उद्देश्य | साक्षात्कार का क्या महत्व

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साक्षात्कार

सर्वेक्षण में अनेक प्रकार से तथ्य एकत्रित किये जाते हैं। कभी-कभी केवल प्रेक्षण मात्र से कोई तथ्य स्पष्ट नहीं होता। ऐसी परिस्थिति में साक्षात्कार के द्वारा कोई तथ्य या तो स्पष्ट किया जाता है या किसी व्यक्ति से और अधिक सूचनाएँ प्राप्त की जाती हैं। इस प्रकार सर्वेक्षण में साक्षात्कार एक महत्वपूर्ण प्रविधि (Technique) है। इसमें अनुसन्धानकर्त्ता आमने-समाने (Face to Face) की स्थिति में तथ्यों का संग्रह करता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि साक्षात्कार प्राथमिक आँकड़ों को एकत्रित करने की एक प्रमुख प्रविधि है। इसके द्वारा तथ्यों का प्राथमिक ज्ञान प्राप्त होता है।

साक्षात्कार की परिभाषा

इस के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए हम यहाँ पर इसकी कुछ परिभाषाएँ प्रस्तुत करेंगे। साक्षात्कार की कुछ परिभाषाएँ इस प्रकार हैं-

(1) जान० जी० डालें –“साक्षात्कार एक उद्देश्यपूर्ण वार्तालाप है।”

(2) गुडे एवं हैट- “साक्षात्कार मौलिक रूप से एक सामाजिक अन्तःक्रिया की प्रक्रिया है।”

(3) पी०वी० यंग – “साक्षात्कार एक क्रमबद्ध पद्धति मानी जा सकती है। इस पद्धति के द्वारा एक दूसरे के जीवन में कम काल्पनिकता से प्रवेश करता है जो कि उसके लिए सामान्य तथा तुलनात्मक रूप से अपरिचित हैं।”

(4) हेलर व लिंडमैन-“साक्षात्कार के अन्तर्गत दो व्यक्तियों अथवा अधिक व्यक्तियों के मध्य सम्वाद अथवा मौलिक प्रत्युत्तर होते हैं।”

साक्षात्कार की विशेषताएँ

अभी हमने इस की कुछ परिभाषाएँ प्रस्तुत कीं। इनके आधार पर साक्षात्कार की कुछ विशेषताएँ बताई जा सकती हैं-

  1. इस में व्यक्ति का व्यक्ति से सम्पर्क होता है।
  2. इस में आमने-सामने के प्राथमिक सम्बन्ध स्थापित किये जाते हैं।
  3. इसका एक विशेष उद्देश्य होता है।
  4. इस एक मनोवैज्ञानिक विधि है।
  5. इस के द्वारा सभी प्रकार के व्यक्तियों का अध्ययन किया जा सकता है।
  6. साक्षात्कार भूतकालीन घटनाओं के अध्ययन कराने में सहायक होता है।
  7. इस के द्वारा यथार्थ तथा विश्वसनीय सामग्री संकलित कर ली जाती है।

साक्षात्कार का उद्देश्य

इस तथ्य एकत्रित करने की एक महत्वपूर्ण विधि है। साक्षात्कार के द्वारा प्राथमिक तथ्य एकत्रित किए जाते हैं। साक्षात्कार के उद्देश्य अग्र प्रकार हैं-

(1) सूचनाएं एकत्रित करना – इसमें व्यक्ति से वार्तालाप के आधार पर सूचनाएँ एकत्रित की जाती हैं। हम बता चुके हैं कि इसमें अनुसन्धानकर्ता इस आमने-सामने की स्थिति में तथ्यों को संग्रह करता है। इस प्रकार साक्षात्कार का प्रथम उद्देश्य व्यक्तिगत सम्पर्क स्थापित करना होता है।

(2) वैयक्तिक जीवन से सम्बन्धित सूचनाएँ- इसके द्वारा व्यक्तिगत सम्पर्क स्थापित किया जाता है। सूचनादाता से प्रश्नों की सहायता से उसके वैयक्तिक जीवन को सूचनाएँ प्राप्त की जाती हैं। किसी व्यक्ति को विशेषताएँ गुणात्मक होती हैं। इसके द्वारा ही ये विशेषताएँ प्रकाश में आती हैं। इसमें व्यक्ति की मनोवृत्तियाँ जानने में भी सहायता मिलती है। चूंकि इस प्रविधि में आपस में आदर भाव (Rapport or mutual respect for each other) स्थापित हो जाता है, अत: सूचनादाता से अनेक व्यक्तिगत जानकारियाँ प्राप्त करना आसान हो जाता है।

(3) उपकल्पना का निर्माण- इसके द्वारा ऐसी अनेक अप्रत्याशित सूचनाएँ प्राप्त हो जाती हैं जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। इन जानकारियों के द्वारा ही नई उप- कल्पनाओं का निर्माण किया जा सकता है। इस प्रकार इसके द्वारा पुरानी उप-कल्पनाओं को परीक्षा नवीन उप-कल्पनाओं के सन्दर्भ में की जा सकती है।

इस प्रकार साक्षात्कार का तीसरा उद्देश्य नवीन उप-कल्पनाओं का निर्माण करना है।

(4) निरीक्षण का पर्याप्त अवसर- इस के समय सूचनादाता से केवल वार्तालाप ही नहीं किया जाता वरन् उसके निरीक्षण करने का भी पर्याप्त अवसर मिलता है। सूचनादाता के हाव-भाव, रुचियाँ, स्वभाव आदि का भी ज्ञान किया जा सकता है।

इस प्रकार साक्षात्कार का चौथा उद्देश्य सूचनादाता का निरीक्षण करके अन्य जानकारी प्राप्त करना भी है।

(5) अन्य प्रासंगिक सूचनाएं- किसी समस्या के विषय में अनेक प्रकार का जानकारी  करनी होती है। प्रायः ऐसा होता है कि किसी समस्या के प्रति व्यक्तियों के विभिन्न मत होते हैं। इसके द्वारा ही उन विभिन्न मतों का पता लगाया जा सकता है। कुछ ऐसी सामाजिक समस्याएँ (कुरीतियाँ), जैसे- बाल विवाह, दहेज प्रथा तथा अन्तर्जातीय विवाह के अध्ययन में इस विशेष उपयोगी होता है।

अतः इसका अन्तिम उद्देश्य समस्या से सम्बन्धित अन्य प्रासंगिक सचनाएँ एकत्रित करना होता है। वास्तव में, साक्षात्कार अन्य प्रविधियों का परक होता है। इससे सूचनाएँ एकत्रित करना आसान होता है तथा सूचनाएँ विश्वमा भी होती है। सूचनादाता से आमने-सामने का सम्पर्क स्थापित होने के कारण अनेक अज्ञात तथ्यों की खोज हो जाती है।

साक्षात्कार का क्या महत्व

किसी भी अनुसन्धान में साक्षात्कार एक महत्त्वपूर्ण विधि है। कुछ मनोवैज्ञानिकों का विचार है कि कुछ तथ्यों को सांख्यिकीय विवेचना नहीं की जा सकती। इस के द्वारा प्राप्त तथ्यों को सांख्यकोय विवेचना नहीं की जा सकती है। इस के द्वारा सूचनाएँ एकत्रित करना आसान होता है। ये सूचनाएँ विश्वसनीय भी होती हैं। इस प्रकार साक्षात्कार अनुसन्धान की एक वैज्ञानिक प्रविधि है।

साक्षात्कार का महत्त्व

व्यक्ति का अध्ययन करने के लिए इस विधि अत्यधिक महत्त्वपूर्ण होती है। इसका महत्त्व निम्नलिखित प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है-

(1) भूतकालीन घटनाओं का अध्ययन- साक्षात्कार भूतकालीन घटनाओं का अध्ययन कराने में सहायक होता है। समाज में अनेक घटनाएँ घटित होती रहती हैं। इस प्रकार कुछ घटनाएँ प्राचीन होती जाती हैं और ये भूतकाल का विषय बन जाती हैं। इस के द्वारा इन भूतकालीन घटनाओं की जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं। वास्तव में, ऐतिहासिक घटनाओं की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने की यह सर्वोत्तम विधि होती है।

(2) अमूर्त घटनाओं का अध्ययन- समाज, सामाजिक सम्बन्धों का जाल है। सामाजिक सम्बन्ध अमूर्त धारणा है। मनुष्य के विचार, मनोवृत्तियों तथा दृष्टिकोण को देखा नहीं जा सकता है। इन छिपे हुए तथ्यों को इस के द्वारा जाना जा सकता है। साक्षात्कारकर्ता घटना से प्रभावित सूचनादाता से वार्तालाप करता है। इस प्रकार वह वार्तालाप करके अमूर्त सामाजिक घटनाओं की जानकारी प्राप्त कर लेता है।

(3) संवेगात्मक तथा ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में घटनाओं का ज्ञान- किसी घटना की संवेगात्मक तथा ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को इस के द्वारा समझा जा सकता है। मानवीय क्रियाएँ संवेगों तथा भावनाओं से प्रेरित होती हैं। इन संवेगों तथा भावनाओं की जानकारी करना कठिन कार्य होता है। साक्षात्कार के द्वारा इन्हें ज्ञात कर लिया जाता है।

(4) सभी स्तर के व्यक्तियों के अध्ययन के लिए उपयोगी- इस के द्वारा सभी स्तर के व्यक्तियों का अध्ययन किया जा सकता है। शिक्षित और अशिक्षित-दोनों ही प्रकार के व्यक्तियों का साक्षात्कार किया जा सकता है। चूँकि साक्षात्कार वार्तालाप पर ही आधारित होता है, अतः अशिक्षित व्यक्ति से भी प्रश्न पूछकर जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं। यदि अशिक्षित व्यक्ति प्रश्न समझने में असमर्थ होता है तो साक्षात्कारकर्त्ता प्रश्न को भली प्रकार से उसे समझा देता है। इस प्रकार वह अभीष्ट सूचनाएँ एकत्रित कर लेता है।

(5) यथार्थ तथा विश्वसनीय सामग्री – इस द्वारा यथार्थ तथा विश्वसनीय सामग्री एकत्रित कर ली जाती है। साक्षात्कार में आमने-सामने के प्रत्यक्ष सम्बन्ध रहते हैं। अतः साक्षात्कारकर्त्ता सूचनादाता के विचारों को स्पष्ट रूप से जान लेता है। प्रत्यक्ष सम्पर्क के आधार पर संकलित की गयी सामग्री यथार्थ तथा विश्वसनीय होती है।

(6) मनोवैज्ञानिक विधि- साक्षात्कार एक मनोवैज्ञानिक विधि है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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