मूल्यांकन के उद्देश्य | मूल्यांकन के कार्य | Purposes of evaluation in Hindi | Assessment tasks in Hindi
मूल्यांकन के उद्देश्य | मूल्यांकन के कार्य | Purposes of evaluation in Hindi | Assessment tasks in Hindi
मूल्यांकन के उद्देश्य एवं कार्य (Purposes and Functions of Evaluation in Education)-
शैक्षिक कार्यक्रम में मूल्यांकन की महत्त्वपूर्ण भूमिका से ही इसके व्यापक उद्देश्यों एवं कार्यों का आभास होता है। इससे पूर्व भी हम मूल्यांकन के तीन प्रमुख कार्यों का उल्लेख कर चुके हैं जो इस प्रकार है-
- अधिगम प्रणाली का मूल्यांकन करना,
- अधिगम का मापन करना, तथा
- अधिगम उद्देश्यों के द्वारा व्यवस्था करना।
राबट मेगर के अनुसार, “अधिगम प्रणाली या शैक्षिक कार्यक्रम के मूल्यांकन के अन्तर्गत शिक्षक को नियोजन, शिक्षण विधियों, प्रविधियों अनुदेशन तथा अन्य शिक्षण सामग्री की उपयोगिता का मूल्यांकन करना होता है, जिससे उनमें सुधार तथा विकास के लिए शिक्षक को प्रोत्साहन मिलता है। इसके आधार पर शिक्षक प्रभावशाली अधिगम के लिए उत्तम साधनों एवं स्रोतों का प्रयोग करता है जिससे उसके शिक्षण कोशल का विकास होता है। इसके लिए शिक्षक का मानदण्ड परीक्षण (criterion test) की रचना करनी होती है।
शिक्षा के क्षेत्र में अधिगम प्रणाली के मूल्यांकन की अपेक्षा अधिगम (छात्र निष्पत्ति) के मापने पर अधिक बल दिया जाता है। वास्तव में किसी वस्तु या व्यक्ति विशेष का मापन नहीं होता है बल्कि उसके गुणों का होता है। मापन के द्वारा चरों (variables) को परिमाण (Variate) में बदल दिया जाता है। अतः मापन मूल्यांकन की अपेक्षा अधिक शुद्ध एवं वस्तुनिष्ठ होता है। प्रणाली के मूल्यांकन की उपादेयता शिक्षण के सुधार एवं विकास के लिए अधिक होता है जबकि अधिगम-मापन प्रशासनिक दृष्टि से अधिक उपयोगी होता है। यह निदान, चयन तथा श्रेणीकर आदि में अधिक उपयुक्त होता है।
पीटर डिरोकर ने ‘उद्देश्यों द्वारा व्यवस्था’ (Management by objectives- MBO) का एक नया सम्प्रत्यय प्रस्तुत किया है। ‘उद्देश्यों द्वारा व्यवस्था’ एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा प्रबन्धक अपनी विभिन्न क्रियाओं का मूल्यांकन उद्देश्यों के संदर्भ में करता है जिससे उसे नवीन व्यवस्था हेतु आवश्यक दिश-निर्देश प्राप्त होते हैं। इस प्रकार सम्पूर्ण व्यवस्था का नियंत्रण उद्देश्यों के आधार पर किया जाता है। ‘उद्देश्यों द्वारा व्यवस्था’ का मूल्यांकन मानदण्ड परीक्षा द्वारा किया जाता है। इस परीक्षा का प्रत्येक प्रश्न अधिगम के उद्देश्य का मापन करने हेतु परिस्थिति उत्पन्न करने वाला होता है। अतः इस प्रकार के उद्देश्य केन्द्रित परीक्षणों के निर्माण में शिक्षक को निपुण होना चाहिए।
इस प्रकार यदि हम उपर्युक्त बिन्दुओं की प्रायोगिक परिस्थितियों पर ध्यान दें तो हमें मूल्यांकन के अनेक उद्देश्यों एवं उनसे सम्बन्धित कार्यों की पहचान सरलता से हो सकती है। यहाँ पर हम इसके कुछ प्रमुख उद्देश्यां एवं कार्या का उल्लेख कर रहे हैं, जो इस प्रकार है-
(i) निदान (Diagnosis) –
मूल्यांकन का एक प्रमुख उद्देश्य शिक्षार्थी के अधिगम की कमजोरियों तथा उसके कारणों का पता लगाना होता है। इस प्रक्रिया को निदान कहा जाता है। इससे शिक्षक को कमजोर विद्यार्थियों हेतु उपयुक्त उपचारात्मक पाठ्यक्रम एवं पाठ्य-वस्तु के निर्माण में सहायता मिलती है। इसके लिए प्रारम्भ में ही परीक्षण प्रदान किये जाते हैं।
(ii) भविष्यवाणी (Prediction) –
मूल्यांकन का एक उद्देश्य छात्रों की उन क्षमताओं एवं अभियोग्यताओं का पता लगाना भी है जा आगे चलकर कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में उन्हें विशेष योग्यता प्राप्त करने में सहायक हो सकता है। इसके आधार पर उनके भावी जीवन के बारे में भविष्यवाणी की जा सकती है। उदाहरणार्थ- राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा का उद्देश्य कुछ विशिष्ट क्षेत्रों (विशेषकर विज्ञान एवं तकनीकी) में विकास कार्य हेतु उपयुक्त प्रतिभा सम्पन्न व्यक्तियों की पहचान करना है।
(iii) चयन (Selection)-
किया पाठ्यक्रम विशेष अथवा कैरीयर हेतु उपयुक्त व्यक्तियों का चयन भी मूल्यांकन का एक उद्देश्य एवं कार्य होता है। विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु प्रवेश परीक्षाओं का विकास इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु किया जाता है।
(iv) श्रेणी या ग्रेड प्रदान करना (Grading)-
समूह के शिक्षार्थियों का क़म निश्चित अथवा उन्हें श्रेणी प्रदान करने में मूल्याकन सहायता प्रदान करता है। यह उद्देश्य अन्तिम परीक्षाओं के द्वारा पूर्ण किया जाता है।
(v) निर्देशन (Guidance) –
किसी कोर्स, विषय अथवा व्यवसाय के चुनाव करने में शिक्षक को प्रायः छात्रा को निर्देशन प्रदान करना होता है। किन्तु उपयुक्त निर्देशन तभी प्रदान किया जा सकता है जब छात्र की योग्यता, क्षमता, अभियोग्यता, अभिरुचि तथा सीखने की गति आदि की जानकारी शिक्षक को होती है। इस कार्य में मूल्यांकन शिक्षक को सहायता प्रदान करता है। दूरवर्ती शिक्षा में स्वतः मूल्यांकन हतु अभ्यास प्रश्न भी इसी उदेश्य की पूर्ति करते हैं।
(vi) कार्यक्रम मूल्यांकन (Programme Evaluation)-
मूल्यांकन का एक महत्त्वपूर्ण कार्य सम्पूर्ण कार्यक्रम का मूल्यांकन करना होता है।
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