उपन्यास और कहानी | उपन्यास और नाटक | हिंदी-साहित्य में रिपोर्ताज’ के स्वरूप एवं विकास उपन्यास और कहानी उपन्यास और कहानी दोनों एक ही कुल की दो संतानें हैं। अधिकांश ...
अश्क जी का कहानी साहित्य में योगदान | निबंधकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल अश्क जी का कहानी साहित्य में योगदान उपेंद्रनाथ अश्क कहानी की मुख्य धारा में न होने पर भी ...
निर्मला उपन्यास का उद्देश्य | निर्मला उपन्यास की भाषा | निर्मला का चरित्र चित्रण निर्मला उपन्यास का उद्देश्य उपन्या सम्राट प्रेमचंद जी ने ‘निर्मला’ उपन्यास की कोई भूमिा नहीं लिखी ...
‘तौलिये’ एकांकी का साराश | उपेन्द्रनाथ अश्क द्वारा रचित एकांकी तौलिये’ की कथावस्तु ‘तौलिये’ एकांकी का साराश कथानक- वसन्त इस समय तो एक फर्म का मैनेजर है तथा ठाट-बाट से ...
उपेन्द्रनाथ अश्क की एकांकी कला की विशेषताएं | उपेन्द्र नाथ अश्क की एकांकी तौलिये | एकांकीकार के रूप में उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ का संक्षिप्त परिचय उपेन्द्रनाथ अश्क की एकांकी कला की ...
एकांकी कला की दृष्टि से ‘उत्सर्ग’ का मूल्यांकन | रामकुमार वर्मा की एकांकी उत्सर्ग | एकांकी कला की दृष्टि से डॉ. रामकुमार वर्मा कृत ‘उत्सर्ग’ एकांकी का मूल्यांकन एकांकी कला ...
व्यक्तिगत एकांकी की व्याख्या | लक्ष्मीनारायण लाल की एकांकी व्यक्तिगत व्यक्तिगत एकांकी की व्याख्या जो चीज मुझे पसन्द है, वह मेरी है। पसंद का संबंध इच्छा से है। इच्छा प्रकृति ...
हिन्दी नाटक का उद्भव और विकास | भारतेन्दु-पूर्व हिन्दी नाटक | हिन्दी नाटक के उद्भव और विकास पर प्रकाश डालिये हिन्दी नाटक का उद्भव और विकास भारतेन्दु-पूर्व हिन्दी नाटक वास्तविक ...
प्रेमचन्द का उपन्यास निर्मला | प्रेमचंद- कृत निर्मला उपन्यास नारी जीवन की करुण त्रासदी है।’’–इस कथन की समीक्षा प्रेमचन्द का उपन्यास निर्मला प्रेमचन्द का उपन्यास ‘निर्मला’ नारी प्रधान रचना है। ...
‘उसने कहा था’ के आधार पर लहनासिंह का चरित्र-चित्रण | पं. चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी ‘उसने कहा था’ के आधार पर लहनासिंह का चरित्र-चित्रण | लहनासिंह का चरित्र-चित्रण ‘उसने ...
गुल्ली-डंडा | प्रेमचन्द – गुल्ली डंडा | कहानी कला की दृष्टि से गुल्ली डंडा का मूल्यांकन गुल्ली-डंडा ‘गुल्ली डंडा’ एक ऐसी कहानी है। इस कहानी में लेखक ने न केवल ...
चीफ की दावत सन्दर्भः– प्रसंग- व्याख्या | भीष्मसाहनी – चीफ की दावत चीफ की दावत आखिर पाँच बजते-बजते तैयारी मुकम्मल होने लगी। कुर्सियाँ, मेज, तिपाइयाँ नैपकिन, फूल बरामदे में पहुँच ...
पुरस्कार सन्दर्भः– प्रसंग- व्याख्या | जयशंकर प्रसाद – पुरस्कार पुरस्कार मधूलिका ने राजा का प्रतिदान, अनुग्रह नहीं लिया। वह दूसरे खेतों में काम करती और चौथे पहर रूखी-सूखी खाकर पड़ी ...
भूख सन्दर्भः– प्रसंग- व्याख्या | चित्रा मद्गल – भूख भूख क्या वह नहीं जानती.……….कौन सी दिक्कत। सन्दर्भ – प्रस्तुत कहानी ‘भूख’ के लेखक प्रख्यात कहानीकार मराठी लेखिका चित्रा मुद्गल हैं। ...
महाराजा का इलाज सन्दर्भः– प्रसंग- व्याख्या | यशपाल – महाराजा का इलाज महाराजा का इलाज (1) महाराजा गर्मियों में प्रतिवर्ष मंसूरी में जाकर रियासत की कोठी में रहते थे। कोठी ...
दोपहर का भोजन सन्दर्भः– प्रसंग- व्याख्या | अमरकान्त – दोपहर का भोजन दोपहर का भोजन सन्दर्भः– प्रसंग- व्याख्या सिद्धेश्वरी लोटा लेकर पानी लेने चली गयी। रामचन्द्र ने कटोरे को अँगुलियों ...
गुल्ली डण्डा कहानी की व्याख्या | प्रेमचंद की कहानी गुल्ली डण्डा गुल्ली डण्डा कहानी की व्याख्या मुझे पदाकर मेरा कचूमर नहीं निकालना चाहता था। ‘ अब अफसर हूँ। यह अफसरी ...
विद्यानिवास मिश्र की निबंध शैली | ललित निबन्ध किसे कहते हैं? विद्यानिवास मिश्र की निबंध शैली ललिता निबन्ध, साहित्य की एक कोटि है। निबन्ध में रचनाकार के व्यक्तित्व का रचना ...