भारतेन्दु युगीन आलोचकों का योगदान

भारतेन्दु युगीन आलोचकों का योगदान | हिन्दी आलोचना के विकास में भारतेन्दु युगीन आलोचकों के योगदान

भारतेन्दु युगीन आलोचकों का योगदान | हिन्दी आलोचना के विकास में भारतेन्दु युगीन आलोचकों के योगदान भारतेन्दु युगीन आलोचकों का योगदान भारतेन्दु हरिश्चन्द्र आधुनिक हिन्दी साहित्य के उदगम केन्द्र, उत्प्रेरक शक्ति, पोषक महान बहुमुखी प्रतिभा के साहित्यकार थे। इनकी साहित्यकार मण्डली ने साहित्य की विभिन्न विधानों एवं धाराओं में सफल एवं उत्साहवर्द्धक प्रयास करके अनेक…

क्रोचे के अभिव्यंजनावाद

क्रोचे के अभिव्यंजनावाद | क्रोंचे के अभिव्यंजनावाद पर समीक्षात्मक निबन्ध | अभिव्यंजनावाद के सम्बन्ध में क्रोंचे की मान्यता

क्रोचे के अभिव्यंजनावाद | क्रोंचे के अभिव्यंजनावाद पर समीक्षात्मक निबन्ध | अभिव्यंजनावाद के सम्बन्ध में क्रोंचे की मान्यता क्रोचे के अभिव्यंजनावाद क्रोंचे ने अपने ग्रंथ ‘एस्थेटिक’ नामक ग्रंथ में दार्शनिक हेगल से प्रभावित होकर अभिव्यंजनावाद सिद्धान्त का प्रतिपादन किया है। वे काव्य में अभिव्यंजना को ही सर्वस्व स्वीकार  करते हैं। उनकी दृष्टि से अभिव्यंजना सौंदर्य…

काव्य की परिभाषा | काव्य के भेद | काव्य भाषा की परिकल्पना तथा स्वरूप | काव्य के मूलभूत लक्षण

काव्य की परिभाषा | काव्य के भेद | काव्य भाषा की परिकल्पना तथा स्वरूप | काव्य के मूलभूत लक्षण

काव्य की परिभाषा | काव्य के भेद | काव्य भाषा की परिकल्पना तथा स्वरूप | काव्य के मूलभूत लक्षण काव्य की परिभाषा संस्कृत और हिन्दी दोनों भाषाओं के आचार्यों तथा समालोचकों ने काव्य की अनेक परिभाषाएँ प्रस्तुत की हैं। उनमें आचार्य विश्वनाथ की परिभाषा सर्वश्रेष्ठ और मान्य है। वह परिभाषा इस प्रकार है- ‘वाक्यं रसात्मकं…

काव्य गुण

काव्य गुण | माधुर्य गुण | ओज गुण | प्रसाद गुण | काव्य गुणों के प्रकार

काव्य गुण | माधुर्य गुण | ओज गुण | प्रसाद गुण | काव्य गुणों के प्रकार काव्य गुण काव्यशास्त्र में सभी आचार्यों ने गुणों का विवेचन किया है। महर्षि वेदव्यास ने अपने अग्निपुराण’ में गुण की स्पष्ट व्याख्या प्रस्तुत की है। अग्निपुराणकार का कथन है- ‘यः काव्ये महतीं छायामनुगृह्याभात्यसौ गुणः।’ (जो काव्य में महती शोभा…

रीति सम्प्रदाय

रीति सम्प्रदाय | रीति शब्द का अर्थ एंव परिभाषा | रीति का विकास | रीति का अर्थ स्पष्ट करते हुए रीति सम्प्रदाय का परिचय

रीति सम्प्रदाय | रीति शब्द का अर्थ एंव परिभाषा | रीति का विकास | रीति का अर्थ स्पष्ट करते हुए रीति सम्प्रदाय का परिचय रीति सम्प्रदाय आजकल हिन्दी में अवधारणा शब्द अंग्रेजी के कन्सेप्शन (Conception) शब्द के पर्याय के रूप में प्रयोग किया जाता है। अंग्रेजी के कन्सेप्शन (Conception) शब्द का अर्थ दिमाग में आना,…

अनुकरण सिद्धान्त

अनुकरण सिद्धान्त | अरस्तु के काव्य और कला-सम्बन्धी विचार | अरस्तू का अनुकरण सिद्धान्त | कलाओं में अनुकरण का महत्त्व | अनुकरण सिद्धान्त की समीक्षा

अनुकरण सिद्धान्त | अरस्तु के काव्य और कला-सम्बन्धी विचार | अरस्तू का अनुकरण सिद्धान्त | कलाओं में अनुकरण का महत्त्व | अनुकरण सिद्धान्त की समीक्षा अनुकरण सिद्धान्त पाश्चात्य ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में यूनानी दार्शनिक अरस्तू का स्थान बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। इसका कार्यकाल 374 ई0 पू0 से 322 ई० पू० माना जाता है। अरस्तू प्रसिद्ध…

लोंजाइनस का उदात्त सिद्धान्त

लोंजाइनस का उदात्त सिद्धान्त | उदात्त का स्वरूप | उदात्त के तत्त्व | काव्य में उदात्त-तत्त्व

लोंजाइनस का उदात्त सिद्धान्त | उदात्त का स्वरूप | उदात्त के तत्त्व | काव्य में उदात्त-तत्त्व लोंजाइनस का उदात्त सिद्धान्त काव्य में उदात्त-तत्त्व पर पाश्चात्य विचारकों ने विस्तार से विचार किया है। उदात्तता पर मुख्य रूप से विचार लोजाइनस ने किया है, पर कैकिलिडस तथा ब्रेडले आदि ने भी इस पर विचार किया है। यद्यपि…

ध्वनि-काव्य के प्रमुख भेद

ध्वनि-काव्य के प्रमुख भेद/प्रकार | आचार्य मम्मट के आधार पर ध्वनि- काव्य के भेद

ध्वनि-काव्य के प्रमुख भेद/प्रकार | आचार्य मम्मट के आधार पर ध्वनि- काव्य के भेद ध्वनि-काव्य के प्रमुख भेद/प्रकार ‘ध्वन्यालोक’ की रचना आचार्य आनन्दवर्धन ने की है। इस पर अनेक टीकाओं की रचना हुई है, परन्तु सबसे प्रथम एवं सर्वोत्तम टीका आचार्य अभिनवगुप्त की’ ‘लोचन’ है। आचार्य आनन्दवर्धन ने ‘ध्वन्यालोक’ के प्रथम प्रयोग में ध्वनि की…

ध्वनि सिद्धान्त

ध्वनि सिद्धान्त | ध्वनि सम्प्रदाय का संक्षिप्त परिचय | ध्वनि का अर्थ एवं स्वरूप | ध्वनि सिद्धान्त की प्रमुख स्थापनाएं

ध्वनि सिद्धान्त | ध्वनि सम्प्रदाय का संक्षिप्त परिचय | ध्वनि का अर्थ एवं स्वरूप | ध्वनि सिद्धान्त की प्रमुख स्थापनाएं ध्वनि सिद्धान्त (सम्प्रदाय) ध्वनि सिद्धान्त भारतीय काव्यशास्त्र का एक सम्प्रदाय है। भारतीय काव्यशास्त्र के विभिन्न सिद्धान्तों में सबसे प्रबल एवं महत्वपूर्ण ध्वनि सिद्धान्त है। ध्वनि सिद्धान्त का आधार अर्थ ध्वनि- को माना गया है तथा…