दूरस्थ शिक्षा का दर्शन

दूरस्थ शिक्षा का दर्शन । मुक्त व दूरस्थ शिक्षा में दी गई रियायतों की सूची

दूरस्थ शिक्षा का दर्शन । मुक्त व दूरस्थ शिक्षा में दी गई रियायतों की सूची

दूरस्थ शिक्षा का दर्शन

दूरस्थ शिक्षा का दर्शन- दूरस्थ शिक्षा का आधारभूत दर्शन एवं विचारधारा बहुत साधारण है। यह है-

  1. शिक्षा एक जीवनपर्यन्त प्रक्रिया है जो बालक के जन्म से लेकर मृत्यु तक चलती है।
  2. किसी भी अवस्था में कुछ सीखने के लिए कोई अधिक आयु वाला बहुत बड़ा या बहुत छोटा नहीं है।
  3. यदि कोई बालक विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय या नियमित विद्यार्थी नहीं बन सकता तब भी उसके सीखने में कोई अवरोध नहीं उत्पन्न हो सकता।
  4. कोई भी व्यक्ति इतना ज्ञानवान नहीं है जो प्रत्येक नये विचारों, नये तरीकों, कौशलों और योग्यताओं को जानता हो।
  5. एक प्रौढ़ अपने बीते हुए समय के दौरान निरक्षर के होने की कमी के प्रति सचेत होता है।

संक्षिप्त रूप में शिक्षा का दर्शन व्यक्ति की प्रतिष्ठा के आधारभूत विश्वास को उत्पन्न करता है और बिना आयु, लिंग, आर्थिक स्थिति, सामाजिक स्तर और भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए अपने आपको सुधारने के लिए अवसर देता है।

मुक्त व दूरस्थ शिक्षा में दी गई रियायतों के विभिन्न वर्गों की सूची

मुक्त व दूरस्थ शिक्षा में दी गई रियायतों, के विभिन्न वर्गों की सची-

  1. जो लोग स्कूल की शिक्षा पूरी करने के उपरात उच्च शिक्षा के लिए नहीं जा पाये परन्तु वह बाद में उच्च शिक्षा पाने के इच्छुक थे।
  2. वो लोग जिन्होंने उच्च शिक्षा तो प्राप्त की परन्तु वह अपने ज्ञान की बढ़ात्तरी व अपने जीविका में सुधार के लिए अपनी शिक्षा निरंतर करना चाहते हैं।
  3. वो लाग जिन्हें अपनी पढ़ाई किसी कारणवश छोड़नी पड़ी और वो इसे पूरा करने के लिए दुबारा कोशिश करना चाहते हैं।
  4. वो लोग जो अपनी शिक्षा को जीवन पर्यन्त बनाना चाहते है।
  5. वो लोग जो दुर्गम परिस्थितियों (भौगोलिक सामाजिक, आर्थिक इत्यादि) में रहते हों व औपचारिक स्कूलों/महाविद्यालयों/विश्वविद्यालयों में नहीं जा सकते हैं।
  6. वो लोग जो अपनी पढाई अपनी दिनचर्या में बिना विघ्न डाले करना चाहते हैं। उदाहरण-गृहणियां।
  7. वावो लोग जो शारीरिक अपंगता के कारण स्कूल/महाविद्यालय /विश्वविद्यालय नहीं जा सकते हैं।
शिक्षाशस्त्र – महत्वपूर्ण लिंक

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