ग्रिफिथ टेलर

ग्रिफिथ टेलर -अमेरिकी भूगोलवेत्ता (Griffith Taylor -American geographer)

ग्रिफिथ टेलर अमेरिकी भूगोलवेत्ता (Griffith Taylor -American geographer)

महान अमेरिकी भूगोलवेत्ता ग्रिफिथ टेलर (1880-1963) का जन्म 1880 में लन्दन में हुआ था। टेलर के पिता एक खनन इंजीनियर थे और इनके माता-पिता 1892 में आस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स में जाकर बस गये थे। उस समय टेलर की आयु मात्र 12 वर्ष की थी। टेलर की प्रारंभिक शिक्षा ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया में हुई थी। उन्होंने 1904 में सिडनी विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। 1907 में ग्रिफिथ टेलर की प्रथम नियुक्ति सिडनी विश्वविद्यालय के खनन विभाग में भूआकृति विज्ञानी के पद पर हुई थी। उन्होंने 1916 में ‘अंटार्कीटिका की भूवैज्ञानिक संरचना’ विषय पर शोध प्रबंध प्रस्तुत करके डाक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त की। 1918 से 1920 तक टेलर ने मेलबोर्न विश्वविद्यालय में भौतिक भूगोल के प्राध्यापक के रूप में कार्य किया।

1920 में जब सिडनी विश्वविद्यालय में भूगोल का स्नातकोत्तर विभाग खोला गया, ग्रिफिथ टेलर को उसका प्रथम प्रोफेसर नियुक्त किया गया टेलर कई वर्षो तक आस्ट्रेलियाई मौसम सेवा’ (Australian Weather Service) का सक्रिय सदस्य भी रहे थे टेलर 1928 में सिडनी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पद से त्यागपत्र देकर संयुक्त राज्य अमेरिका चले गये और वहाँ शिकागो विश्वविद्यालय में भूगोल के प्रोफेसर के रिक्त पद पर नियुक्त कर लिए गये जहाँ वे 1935 तक कार्य करते रहे । 1935 में टेलर शिकागो से टोरण्टो विश्वविद्यालय (कनाडा) चले गये और वहाँ ।1951 (सेवानिवृत्ति) तक भूगोल के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष पद पर कार्य किया।

टोरण्टो विश्वविद्यालय से अवकाश ग्रहण करने के पश्चात् सत्तर वर्ष की आयु (1951) में टेलर पुनः आस्ट्रेलिया (सिडनी) लौट गये जहाँ उन्हें सम्मान सहित राष्ट्रीय प्रोफेसर (National Professor ) बना लिया गया। वे 1958 में ‘आस्ट्रेलियाई भूगोलवेत्ता संस्थान’ के संस्थापक अध्यक्ष के लिए चुने गये। ग्रिफिथ टेलर का आस्ट्रेलिया के प्रति सदैव लगाव बना रहा और इसीलिए उन्होंने आस्ट्रेलिया का भूगोल भी लिखा था।

टेलर की रचनाएं

अन्तर्राष्ट्रीय भूगोलवेत्ता के रूप में प्रसिद्ध ग्रिफिथ टेलर ने 40 से अधिक पुस्तकें और अनेक शोध प्रबंध एवं लेख प्रकाशित किये थे जिनमें अधिक प्रमुख पुस्तकें निम्नांकित हैं-

  1. Australia : Physiographic and Economic (आस्ट्रेलिया भौतिक और आर्थिक),
  2. Australian Environment and Its Influence on British Settelment (ऑस्ट्रेलियाई पर्यावरण और इसका ब्रिटिश अधिवास पर प्रभाव),
  3. Racial Gcography (प्रजातीय भूगोल),
  4. Urban Geography (नगरीय भूगोल),
  5. Essays on Population Geography (जनसंख्या भूगोल पर निबंध)
  6. Environment, Race and Migration (पर्यावरण, प्रजाति, और प्रवास),
  7. Canadian Environment and Its Influence on British and French Settlement (कनाडा का पर्यायरण और इसका ब्रिटिश और फ्रांसीसी अधिवास पर प्रभाव),
  8. Culural Geography (सांस्कृतिक भूगोल),
  9. Geography in Twenticth Century (बीसवीं शताब्दी में भूगोल),
  10. Geological Structure of Antarctica ( अंटार्कटिका की भौमिकीय सैंरचना),
  11. Our Evolving Civilization : An Introduction to Geopacifics, Geographical Aspects of the Path towards World Peace (हमारी विकासशील सभ्यता- भूशांति एवं विश्वशांति के पथ के भौगोलिक पक्षों का परिचय),
  12. Journyman Taylor (यात्री टेलर)।

योगदान के प्रमुख भौगोलिक पक्ष

टेलर बहु-आयामी भूगोलवेत्ता थे। उन्होंने भौतिक भूगोल, प्रजातीय भूगोल, सांस्कृतिक भूगोल, नगरीय भूगोल, जनसंख्या भूगोल, राजनीतिक भूगोल आदि भूगोल की विभिन्न शाखाओं से सम्बंधित विषयों का अध्ययन और लेखन किया। उनके प्रमुख योगदानों का संक्षिप्त विवरण निम्नांकित है-

(1) प्रवास कटिबंध सिद्धान्त (Migration Zone Theory)

ग्रिफिथ टेलर ने 1919 में मानव प्रजातियों के उद्भव और विकास से सम्बंधित एक सिद्धान्त  प्रस्तुत किया जिसे प्रवास कटिबंध सिद्धान्त (Migration zone Theory) या कटिबंध एवं स्तर सिद्धान्त (Zone and Strata Theory) की संज्ञा प्रदान की। इस सिद्धान्त के माध्यम से उन्होंने मानव प्रजातियों की उत्पत्ति और विकास की व्याख्या काल और क्षेत्र (Time and Space) के संदर्भ में किया। उन्होंने बताया कि सभी मानव प्रजातियों की उत्पत्ति महाहिमयुग (फ्लीस्टोसीन युग) से पहले हो चुकी थी। उन्होंने मध्य एशिया को समस्त प्रजातियों का उद्भव स्थल माना है जहाँ से फैलकर वे विभिन्न महाद्वीपों तक पहुंच गयी है।

टेलर के अनुसार आदिकाल में जब मध्य एशिया की जलवायु गर्म और मानव निवास के योग्य थी, वहाँ सर्वप्रथम नीग्रिटो (Negrito) प्रजाति का उद्भव हुआ। बाद में जलवायु परिवर्तन के कारण वहाँ की जलवायु अतिशीतल हो जाने पर वहाँ से मानव प्रवास बाहर की ओर हुए। पुनः अंतर्हिमयुग में जलवायु गर्म और निवास योग्य होने पर वहाँ दूसरी प्रजाति (नीग्रो) विकसित हुई जो पहले से अपेक्षाकृत् उन्नत थी। अगला हिमयुग आने पर नीग्रो प्रजाति भी बाहर की ओर स्थानांतरित हुई। इस प्रकार मध्य एशिया में हिमयुग और अंतर्हिमयुग के क्रमिक आगमन से मध्य एशिया में सात प्रमुख प्रजातियों का विकास हुआ जो हिमयुगों में बाहर की ओर हटती गयीं। बाद में विकसित प्रजातियां पूर्ववर्ती प्रजातियों की तुलना में अधिक उन्नत और सबल होती थीं। इस प्रकार मध्य एशिया से क्रमशः नीग्रिटो, नीग्रो, आस्ट्रेलियाई, भूमध्य सागरीय, नार्डिक, अल्पाइन और मंगोलाइड प्रजातियों का विकास हुआ। क्रमशः बाद में विकसित होने वाली प्रजातियाँ स्थानांतरण द्वारा अपने पूर्ववर्ती प्रजातियों को बाहर की ओर ढेलती गयीं। इस प्रकार जिन प्रजातियों का विकास सबसे पहले हुआ था वे वर्तमान समय में महाद्वीपों के बाह्य कटिबंधों (सीमांत क्षेत्रों) में पायी जाती हैं और बाद में विकसित होने वाली प्रजातियाँ क्रमशः महाद्वीपों के भीतरी कटिबंधों में पायी जाती हैं। इस प्रकार सबसे बाद में विकसित मंगोलाइड प्रजाति मध्य एशिया में निवास करती है। टेलर के अनुसार यदि मध्य एशिया अथवा अन्य भागों में खुदाई की जाय तो सबसे नीचे प्राचीनतम प्रजाति के अवशेष मिलेंगे और उसके ऊपर क्रमशः परवर्ती प्रजातियों के अवशेष मिलेंगे और सबसे ऊपर नवीनतम प्रजाति के अवशेष विद्यमान होंगे।

(2) नव नियतिवाद (Neo-determinism)

ग्रिफिय टेलर को नवनियतिवाद या नवनिश्चयवाद का प्रवर्तक माना जाता है। उन्होंने नियतिवाद को नवीन स्वरूप प्रदान किया और मानव पर प्रकृति के नियंत्रण की नहीं बल्कि उसके प्रभाव की व्याख्या की। टेलर ने इस बात पर बल दिया कि मानव जीवन पर प्रकृति के नियंत्रण की पूर्ण उपेक्षा नहीं की जा सकती भले ही उसमें संशोधन किया जा सकता है। टेलर ने अपने इस संशोधित नियतिवाद को ‘वैज्ञानिक नियतिवाद’ (Scientific determinism) तथा ‘ठहरो और जाओ नियतिवाद’ (Stopand Godeteminism) कहा है। उनके अनुसार प्रकृति चौराहे पर खड़ी ट्रैफिक पुलिस के समान है जो यात्रियों को चौराहे पर नियंत्रित करती है किन्तु उनके गन्तव्य को नहीं बदलती है। जिस प्रकार यात्री को अपनी भलाई के लिए यातायात नियमों का पालन करना श्रेयकर है उसी प्रकार मनुष्य को भी प्राकृतिक नियमों को ध्यान में रखकर कार्य करना ही हितकारी है अन्यथा उसे अज्ञात कठिनाई या दुर्घटना का शिकार होना पड़ सकता है। इस प्रकार टेलर का नवनियतिवाद यह प्रतिपादित करता है कि मनुष्य पर प्रकृति का पूर्ण नियंत्रण नहीं है किन्तु उसके प्रभाव को अस्वीकार नहीं किया जा सकता।

(3) नगरीय विकास की अवस्थाएं (Stages of Urban Growth)

ग्रिफिथ टेलर (1953) ने नगरों के विकास की सात क्रमिक अवस्थाओं का वर्णन किया है जो इस प्रकार हैं–

(i) पूर्व शैशवावस्था (Sub-Infantile Stapge) – यह नगरीय विकास की पहली अवस्था है जिसमें सड़क के किनारे कुछ मकान और दुकानें पायी जाती हैं।

(ii) शैशवावस्था (Infantile Stage) – इसमें सड़कों का जाल बनने लगता है और गृहों की संख्या बढ़ जाती है।

(ii) बाल्यावस्था (Juvenile Stage) – इस अवस्था में विभिन्न कार्यात्मक क्षेत्र स्पष्ट होने लगते हैं।

(iv) किशोरावस्था (Adolescent Stage) – इसमें नगर का बाह्य विस्तार होता है और आवासीय भवनों में विविधता आने लगती है।

(v) प्रौढ़ावस्था (Mature Stage) – यह नगर की पूर्ण विकसित अवस्था है जिसमें विभिन्न कार्यात्मक क्षेत्र स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ते हैं।

(vi) उत्तर प्रौढ़ावस्था (Late Mature Stage) – यह नगरीय विकास की चरम अवस्था है जिसमें नगर का ऊर्ध्ववर्ती विकास अधिक होता है।

(vii) वृद्धावस्था (Senile Stage) – यह नगरीय विकास की अंतिम और पतन की अवस्था है जिसमें नगर के अनेक भाग परित्यक्त और उजाड़ होने लगते हैं और नगर का विकास अवरुद्ध हो जाता है।

(4) मानव प्रजातियों का वर्गीकरण (Classification of Human Races)

ग्रिफिथ टेलर (1921) ने कपाल सूचकांक (Cephalic Index) और बालों की बनावट (Hair texture) को प्रमुख आधार मानते हुए मानव प्रजातियों को निम्नांकित सात श्रेणियों में विभक्त किया है-

(i) नीग्रिटो (Negrito) – पतला सिर और अत्यधिक छल्लेदार बाल,

(ii) नीग्रो (Negro) – बहुत लम्बा सिर और छल्लेदार बाल,

(iii) आस्ट्रेलाइड (Australoid) – लम्बा सिर और मध्यम घुघराले बाल,

(iv) भूमध्य सागरीय (Mediterranean)मध्यम लम्बा सिर और लहरदार बाल,

(v) नार्डिक (Nordic) – मध्यम सिर और लहरदार बाल,

(vi) अल्पाइन (Alpine) – चौड़ा सिर और सीधे बाल,

(vii) मंगोलिक (Mongolic) – अधिक चौड़ा सिर और सीधे बाल।

(5) जलवायु आरेख (Climatic Graphs)

टेलर ने आस्ट्रेलिया की मौसमी दशाओं को प्रदर्शित करने के लिए दो नवीन रेखाचित्रों (ग्राफों) का निर्माण किया था जिन्हें क्लाइमोग्राफ और हिदरग्राफ के नाम से जाना जाता है। इन ग्राफों के प्रथम निर्माता टेलर ही थे। उन्होंने क्लाइमोग्राफ (Climograph) द्वारा किसी स्थान के 12 महीने के आर्द्रबल्ब तापक्रम और सापेक्ष आर्द्रता को और हीदरग्राफ (Hythergraph) द्वारा 12 महीने के औसत तापक्रम और वर्षा की मात्रा को बहुभुज के रूप में प्रद्शित किया था। बाद में ये दोनों ग्राफ अधिक लोकप्रिय बन गये।

 

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