संगठनात्मक व्यवहार / Organisational Behaviour

नेतृत्व की प्राचीन तथा नवीन अवधारणा | नेतृत्व के लक्षण अथवा विशेषताएँ | नेतृत्व का अर्थ एवं परिभाषाएँ

नेतृत्व की प्राचीन तथा नवीन अवधारणा | नेतृत्व के लक्षण अथवा विशेषताएँ | नेतृत्व का अर्थ एवं परिभाषाएँ | Ancient and new concepts of leadership in Hindi | Characteristics or Characteristics of Leadership in Hindi | Meaning and definitions of leadership in Hindi

नेतृत्व की प्राचीन तथा नवीन अवधारणा

(Old and New Concept of Leadership)

नेतृत्व की प्राचीन अवधारणा उसकी नवीन अवधारणा से बिल्कुल भिन्न है। प्राचीन अवधारणा के अनुसार नेता अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व द्वारा अपने अनुयायियों से अपनी इच्छानुसार कार्य कराने में समर्थ होता था। कार्य कराने के लिए वह दूषित से दूषित हथकण्डे अपनाता था। वह अपने अनुयायियों पर स्वचालित विधि के द्वारा प्रभाव रखता था। अनुयायियों को अपने नेता के विरुद्ध आवाज उठाने का प्रश्न ही नहीं उठता था क्योकि ऐसी आवाज उठने का आभास होते ही उसे दबा दिया जाता था। किन्तु नेतृत्व की नवीन अवधारणा अथवा आधुनिक अवधारणा के अनुसार नेता अपने अनुयायियों को अपने साथ नेतृत्व में भाग लेने का आवश्यक प्रशिक्षण देकर वांछित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कार्य करा सकता है। इसके लिए वह अपने अनुभवों को और समन्वित करता है तथा प्रमुख उद्देश्यों की पूर्ति के लिए जोकि सबको मान्य होते हैं, उनका प्रयोग करके सहयोग की भावना के साथ कार्य कराता है। आधुनिक नेतृत्व अपने अनुयायियों की सुख- सुविधाओं का ध्यान रखता है। कुण्ट्ज एवं ओ’ डोनैल नेतृत्व को एक अतिरिक्त उत्तेजना (Extra Push) के रूप में मानते हैं जो कर्मचारियों की सामान्य काम करने की गति में कुछ अधिक वृद्धि करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उनके अनुसार कर्मचारी सामान्यतः अपनी कुल क्षमता के 60% ही कार्य करते हैं तथा उनकी शेष 40% क्षमता का उपयोग करने के लिए नेतृत्व की आवश्यकता होती है।

नेतृत्व के लक्षण अथवा विशेषताएँ

(Characteristics of Leadership)

नेतृत्व अथवा प्रभावी नेतृत्व के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं-

(1) अनुयायियों का होना (Followers) – अनुयायियों के अभाव में नेतृत्व की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। अतः नेता के साथ-साथ उसके अनुयायियों का भी होना नितान्त आवश्यक होता है। जितने अधिक अनुयायी होंगे, नेता का महत्व उतना ही अधिक होगा।

(2) गतिशील प्रक्रिया (Dynamic Process) – प्रत्येक संगठन में नेतृत्व की प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है। संस्थान की स्थापना से लेकर जब तक संस्थान विद्यमान रहता है, तब तक नेतृत्व की प्रक्रिया चलती रहती है।

(3) आदर्श आचरण (Ideal Conduct) – नेता अपने आचरण द्वारा अपने अनुयायियों के समक्ष एक आदर्श प्रस्तुत करता है। इनके अनुयायी यह चाहते हैं कि उनका नेता केवल नेता ही न रहकर एक आदर्श पुरुष भी हो, ताकि वे उसका अनुसरण कर सकें। एफ. एफ. उर्विक के शब्दों में, अधीनस्थों को अपने नेता का कहना अथवा लिखना प्रभावित नहीं करता है अपितु वह क्या है, कौन से कार्य करता है तथा किस प्रकार के आचरण करता है के द्वारा नेता का निर्धारण होता है।”

(4) क्रियाशील सम्बन्ध (Active Relations) – नेता तथा उसके अनुयायियों का पारस्परिक सम्वन्ध निष्क्रिय न होकर क्रियाशील होता है। किसी कार्य का निष्पादन करने में नेता सबसे आगे खड़ा होकर अपने अनुयायियों का मार्गदर्शन करता है।

(5) हितों की एकता (Unity of Interest) – नेता तथा उसके अनुयायियों के हितों की एकता होती है। नेतृत्व उस समय प्रभावहीन हो जाता है, जबकि नेता तथा उसके अनुयायी पृथक- पृथक उद्देश्यों के लिए कार्य करते हैं। जॉर्ज आर. टैरी के शब्दों में, “नेतृत्व पारस्परिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए लोगों को स्वेच्छा से प्रयत्न करने के लिए प्रभावित करने की क्रिया है।”

(6) परिस्थितियों का ध्यान (Consideration of Circumstances) – नेतृत्व बहुत कुछ परिस्थितियों एवं वातावरण पर निर्भर है। हो सकता है कि एक व्यक्ति अमुक परिस्थिति में तो सफलता प्राप्त करे और अमुक में नहीं।

(7) आत्मबोध (Self Realisation) – नेतृत्व के इस लक्षण के अनुसार नेता को स्वयं के विषय में भ्रान्त नहीं होनी चाहिए। उसे अपनी शक्तियों एवं दुर्बलताओं का सही-सही ज्ञान होना चाहिए।

(8) यथार्थवादी दृष्टिकोण (Practical Approach) – नेतृत्व में इस अन्तिम लक्षण के अनुसार उसका मानव आचरण के प्रति यथार्थवादी दृष्टिकोण होना चाहिए।

नेतृत्व का अर्थ एवं परिभाषाएँ

(Meaning and Definitions of Leadership)

नेतृत्व का अर्थ (Meaning of Leadership)

नेतृत्व से आशय किसी व्यक्ति विशेष के उस गुण से है जिसके द्वारा वह अन्य व्यक्तियों का मार्ग-प्रदर्शन करता है तथा नेता के रूप में उनकी क्रियाओं का संचालन करता है। एक नेता के पीछे उसके अनुयायियों का एक समूह होता है जो उसके निर्देशन के अनुरूप कार्य करता है। वास्तव में, नेतृत्व में वह क्षमता है जिसके द्वारा उसके अनुयायियों के एक समूह से चालित कार्य स्वेच्छापूर्वक कराए जाते हैं। एक शक्तिशाली नेतृत्व अपने अनुयायियों को कार्य-निष्पादन में आवश्यक प्रोत्साहन देता है, न कि हाँकता है। अच्छा नेतृत्व अपने अनुयायियों को कार्य निष्पादन में कुशलता एवं सुरक्षा प्रदान करता है।

कुछ विद्वानों का यह विचार है कि किसी व्यक्ति में नेतृत्व सम्बन्धी गुण जन्मजात होते हैं, प्राप्त नहीं किए जा सकते। दूसरे शब्दों में, “नेता जन्म लेते हैं, बनाए नहीं जा सकते।” इसके विपरीत, कुछ विद्वानों का यह भी कहना है कि नेतृत्व प्राप्त किया जा सकता है। अर्थात् नेता बनाए जा सकते हैं। इस वाद-विवाद के सम्बन्ध में आंर्डवे टीड ने अपने विचार निम्न प्रकार से प्रकट किए हैं- ” नेता जन्मते भी हैं और बनाए भी जाते हैं। जिन व्यक्तियों में नेतृत्व के गुण होते हैं, वे अवसर पाते ही इसका लाभ उठाते हैं और स्वतः ही प्रकाश में आते हैं…।

नेतृत्व की परिभाषाएँ (Definitions of Leadership)

विभिन्न विद्वानों ने नेतृत्व की विभिन्न परिभाषाएँ दी हैं जिनमें से कुछ प्रमुख विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-

(1) सामाजिक विज्ञान के शब्दकोष (Encyclopedia’s of Social Science) के अनुसार, ” नेतृत्व से आशम किसी व्यक्ति एवं वर्ग के मध्य ऐसे सम्बन्ध से है जिससे सामान्य हित के लिए दोनों परस्पर मिल जाते हैं तथा अनुयायियों (Followers) का समूह उस एक व्यक्ति के निर्देशानुसार ही कार्य करता है।”

उपर्युक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने के पश्चात् नेतृत्व की उपयुक्त परिभाषा निम्न शब्दों में दी जा सकती है- “नेतृत्व विद्यमान परिस्थितियों में निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु एक व्यक्ति द्वारा अन्य व्यक्तियों अथवा उसके समूह की क्रियाओं को प्रभावित करने एवं उनका मार्गदर्शन करने की प्रक्रिया है।”

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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