संगठनात्मक व्यवहार / Organisational Behaviour

नेतृत्व का अर्थ एवं परिभाषा | नेतृत्व की प्रकृति | Meaning and definition of leadership in Hindi | Nature of leadership in Hindi

नेतृत्व का अर्थ एवं परिभाषा | नेतृत्व की प्रकृति | Meaning and definition of leadership in Hindi | Nature of leadership in Hindi

नेतृत्व का अर्थ एवं परिभाषा

(Meaning and Definition of Leadership)

सामान्य रूप से नेतृत्व से तात्पर्य किसी व्यक्ति विशेष के उस गुण से है जिसके द्वारा वह व्यक्तियों अर्थात् अपने अधीनस्थों का मार्गदर्शन करता है। किसी संगठन में नेतृत्व अन्य व्यक्तियों की क्रियाओं का निर्देशन करने की योग्यता है ताकि निर्धारित लक्ष्यों को सुगमता से प्राप्त किया जा सके। दूसरे शब्दों में, नेतृत्व व अन्तर्वैयक्तिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा प्रबन्धक निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये कार्यरत कर्मचारियों को प्रभावित करते हैं।

नेतृत्व के द्वारा कर्मचारियों में कार्य निष्पादन के लिये स्वैच्छिक अनुगामी व्यवहार उत्पन्न किया जाता है। यह दूसरों ‘ प्रभावित करने’ तथा उन्हें ‘स्वेच्छापूर्वक कार्य करने के लिये तत्पर करने’ का व्यवहार गुण (Behavioural Quality) है। नेतृत्व की कुछ प्रमुख परिभाषायें निम्न प्रकार हैं-

(1) हेमफिल एवं कून्स (Hamphil and Coons) के अनुसार, “नेतृत्व व्यक्ति का वह व्यवहार है जो वह एक समूह की क्रियाओं को किसी सहभागी लक्ष्य की ओर निर्देशित करते समय प्रदर्शित करता है।”

(2) टेनबॉम एवं मेसारिक ( Tannebaum and Massarik) के शब्दों में, “नेतृत्व एक अन्तर्वैयक्तिक प्रभाव है जिसका प्रयोग किसी स्थिति में सम्प्रेषण प्रक्रिया के माध्यम से किसी विशिष्ट लक्ष्य या लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये किया जाता है।”

(3) मैक्फारलैण्ड (McFarland) के अनुसार, “लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये सामान्य स्तर से अधिक कार्य करने के लिये व्यक्तियों को प्रभावित करने की योग्यता ही नेतृत्व है।”

(4) बर्नार्ड (Chester I. Barnard) के अनुसार, “नेतृत्व किन्हीं व्यक्तियों के व्यवहार का वह गुण है जिसके द्वारा वे सामूहिक प्रयास में लगे लोगों या उनकी क्रियाओं का मार्गदर्शन करते हैं।”

(5) लिविंगस्टन (Livingston) के शब्दों में, “नेतृत्व अन्य लोगों में किसी सामान्य उद्देश्य का अनुसरण करने की इच्छा जागृत करने की योग्यता है।”

(6) कुण्ट्ज एवं ओ, डोनेल (Koontz and O’ Donnell ) के अनुसार, “नेतृत्व लक्ष्य प्राप्ति हेतु परस्पर प्रभाव डालने की योग्यता है।”

(7) ऑर्डवे टीड (Ordway Tead ) के शब्दों में, “नेतृत्व गुणों का वह संयोजन है जिनके होने से कोई भी अन्य से कुछ कराने के योग्य होता है क्योंकि मुख्यतः उसके प्रभाव द्वारा वे ऐसा करने को तत्पर हो जाते हैं।”

(8) मूने तथा रेले (Mooney and Reiley ) के शब्दों में, “प्रक्रिया में प्रवेश करते समय अधिकारी वर्ग जो स्वरूप धारण करता है, उसे नेतृत्व कहते हैं।”

(9) अल्फोर्ड बीटी के अनुसार, ” नेतृत्व वह गुण है जिसके द्वारा अनुयायियों के एक समूह से वांछित कार्य स्वेच्छापूर्वक एवं बिना किसी दबाव के कराए जाते हैं।”

उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि नेतृत्व कर्मचारियों को निश्चित लक्ष्यों की प्राप्ति में स्वेच्छापूर्वक एवं उत्साहपूर्वक सहयोग देने हेतु प्रभावित करने की व्यवहारवादी योग्यता है। नेतृत्व तीन घटकों- नेता, कार्य समूह तथा स्थिति (The situation) से मिलकर बनी प्रक्रिया है।

नेतृत्व की प्रकृति (Nature of Leadership)

(1) वैयक्तिक गुण ( Personal Quality ) – नेतृत्व व्यक्ति की निजी एवं आचरणगत योग्यता है जिससे वह दूसरे व्यक्तियों को प्रभावित एवं निर्देशित करता है। बर्नार्ड के शब्दों में, नेतृत्व किसी व्यक्ति के व्यवहार का वह गुण है। जिसके द्वारा वह अन्य लोगों का मार्गदर्शन करता है।”

(2) व्यावहारिक कौशल (Applied Skill) – नेतृत्व विभिन्न प्रकार के कौशल, तकनीकी, मानवीय, सैद्धान्तिक, व्यवहारवादी आदि का एक समूह है। किन्तु नेतृत्व का जन्म इन योग्यताओं को व्यवहार में लाने पर ही होता है। कीथ डेविस के अनुसार, “नेतृत्व क्षमता नहीं, वरन् एक व्यावहारिक कौशल है।” फुलमर ( Fulmer ) के शब्दों में, “नेतृत्व का सम्बन्ध ज्ञान को कार्य व्यवहार में लागू करने से है।”

(3) मार्गदर्शन की कला (Art of Leading )- नेतृत्व अन्य लोगों को प्रभावित करने तथा उनका मार्गदर्शन करने की कला है जिससे अधीनस्थ या अनुयायी स्वेच्छा से नेता की इच्छा के अनुरूप कार्य करने के लिये तत्पर हो जाते हैं।

(4) हितों की एकता (Comminity of Interest)- नेतृत्व का उद्देश्य संगठन, नेता तथा अनुयायियों तीनों के ही हितों को पूरा करना है। टेरी ने ठीक ही लिखा है कि, “नेतृत्व पारस्परिक लक्ष्यों, हितों की पूर्ति हेतु लोगों को स्वैच्छिक प्रयास करने की प्रेरणा देता है।”

(5) अन्तर्वैयक्तिक सम्बन्धों पर आधारित ( Based on Interpersonal Rela- tions )- नेतृत्व, आपसी सम्बन्धों की स्थिति में ही जन्म लेता है। ये आपसी सम्बन्ध अनुयायियों तथा नेता के बीच होने आवश्यक हैं।

(6) औपचारिक एवं अनौपचारिक (Formal and Informal)- नेतृत्व औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों प्रकार का हो सकता है। यह सम्भव है कि किसी संस्था का औपचारिक नेता कोई प्रबन्धक हो, किन्तु वास्तविक नेतृत्व अनौपचारिक रूप से किसी अधीनस्थ कर्मचारी के पास हो।

(7) लक्ष्य प्रधान (Goal Oriented)- नेतृत्व लक्ष्य प्रधान होता है। न्यूनर एवं कीलिंग के अनुसार, “नेतृत्व कर्मचारियों का निर्देशन है ताकि वैयक्तिक लक्ष्यों की प्राप्ति के साथ-साथ कम्पनी नीतियों, योजनाओं एवं कार्यक्रमों के लक्ष्यों को भी क्रियान्वित किया जा सके।

(8) अनुयायी (Followers) – अनुयायियों के अभाव में किसी नेता अथवा उसके नेतृत्व की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। नेतृत्व स्थापना के लिये यह आवश्यक है कि नेता को अपने अनुयायियों से स्वाभाविक आज्ञापालन प्राप्त होना चाहिये। साथ ही अनुयायियों को नेता का नेतृत्व स्वीकार होना चाहिये।

(9) कार्यकारी प्रबन्ध ( Working Relationship )- नेता तथा अनुयायियों में मध्य सदैव क्रियाशील सम्बन्ध होता है। नेता अपने अनुयायियों को सही दिशा प्रदान करता है, अनुसरण के लिये प्रेरित करता है। स्वयं भी अनुयायियों के साथ कार्य करता है तथा उनका सहयोग प्राप्त करता है।

(10) सतत् क्रिया (Continuous Activity )- नेतृत्व प्रत्येक संगठन में सतत् रूप से चलने वाली प्रक्रिया है। संगठन के विद्यमान रहने तक यह भी निरन्तर चलती रहती है।

(11) स्थितिगत कला (Situational Art) – नेतृत्व एक स्थितिगत कौशल एवं कला है जो समय एवं परिस्थितियों के अनुरूप उपयोग में लायी जाती है। नेतृत्व की तकनीकों, विधियों व शैलियों को सभी परिस्थितियों में समान रूप से लागू नहीं दिया जा सकता है। नेतृत्व की शैली परिस्थितिगत होती है। समय के अनुसार ही नेतृत्व प्रणाली का चयन किया जाता है।

(12) अनुकरणीय आचरण ( Exemplary Conduct )- नेतृत्व की प्रभावशीलता नेता के आचरण पर निर्भर करती है। नेता आदर्श आचरण प्रस्तुत करके अपने अनुयायियों को प्रभावित कर सकता है।

(13) नेतृत्व सदैव जन्मजात नहीं होता ( Leadership is not Always In-born )- आधुनिक युग में यह धारणा व्यर्थ हो गयी है कि “नेता पैदा होते हैं, बनाये नहीं जाते।” वास्तव में, नेतृत्व क्षमता का व्यवस्थित विकास किया जाना सम्भव है। प्रो० रोस तथा हैन्ड्री (Ross and Hendry) के अनुसार, “नेतृत्व क्षमता जन्म लेती है, विकसित होती है तथा इसे प्राप्त भी किया जा सकता है।”

(14) प्रबन्ध का भाग ( Part of Management ) – नेतृत्व प्रबन्ध का एक भाग है, सम्पूर्ण प्रबन्ध नहीं। प्रबन्धक को कई कार्य करने होते हैं, जैसे- नियोजन, संगठन, समन्वय, नियन्त्रण, निर्णयन आदि। किन्तु नेता अपने अधीनस्थों को अनुसरण करने के लिये प्रभावित एवं प्रेरित करते हैं। नेतृत्व प्रबन्ध का केवल एक पहलू है।

(15) अन्य लक्षण (Other Specific Traits )- नेतृत्व की प्रकृति के कुछ अन्य पहलू निम्न प्रकार हैं-

(i) नेतृत्व एक बहुआयामी योग्यता एवं कौशल है।

(ii) नेतृत्व एक संस्था निर्माण (Institution building) का दृष्टिकोण भी है। डेविड हैम्पटन के अनुसार, “नेतृत्व संगठन के चरित्र एवं संस्कृति को परिभाषित करने, निर्मित करने तथा बनाये रखने की दृष्टि है।” यह “रूपान्तरणकारी” नेतृत्व है।

(iii) नेतृत्व व्यक्तिगत गुणों, कार्य-समूह के व्यवहार, संगठनात्मक वातावरण तथा बाह्य दशाओं के योग से निर्मित एक जटिल घटना है।

(iv) नेतृत्व सम्भावनाओं को यथार्थ में बदलने की शक्ति है (It transforms potential into reality)

(v) नेतृत्व कोई आक्रामकता (Aggressiveness), समुत्साह (Enthusiasm) या क्षणिक वाकपटुता (Oratory) नहीं है, यद्यपि कभी-कभी ये इसके भाग हो सकते हैं।

(vi) नेतृत्व विभिन्न घटकों- (a) नेता के लक्षण, (b) अनुयायियों की अभिवृत्तियाँ, आवश्यकताओं तथा अन्य वैयक्तिक गुण, (c) संगठन के लक्षण, प्रकृति संरचना, लक्ष्य, तथा (d) वाह्य दशायें आदि एक पारस्परिक सम्बन्ध है।

(vii) नेतृत्व का एक कार्य (Function) के साथ-साथ पद व स्तर की श्रेणी (Status Grouping) भी है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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