संगठनात्मक व्यवहार / Organisational Behaviour

प्रबन्ध के मानवीय व्यवहार विचारधारा | मानवीय व्यवहार स्कूल की मान्यताएँ एवं विशेषताएँ | मानवीय व्यवहार स्कूल के दोष एवं कमियाँ | प्रबन्ध के सामाजिक विचारधारा | प्रबन्ध के निर्णय सिद्धान्त

प्रबन्ध के मानवीय व्यवहार विचारधारा | मानवीय व्यवहार स्कूल की मान्यताएँ एवं विशेषताएँ | मानवीय व्यवहार स्कूल के दोष एवं कमियाँ | प्रबन्ध के सामाजिक विचारधारा | प्रबन्ध के निर्णय सिद्धान्त | Human Behavioral Ideology of Management in Hindi | Beliefs and characteristics of human behavior school in Hindi | Defects and Shortcomings of Human Behavior School in Hindi | Social Ideology of Management in Hindi | decision theory of management in Hindi

मानवीय व्यवहार स्कूल या विचारधारा (Human Behaviour School Approaches) –

अर्थ (Meaning)- जैसा कि इसके नाम से विदित हैं, प्रबन्ध का प्रस्तुत स्कूल मानवीय व्यवहार पर आश्रित है। चूँकि यह स्कूल मानवीय सम्बन्धों से सम्बन्धित है अतः इसे मानवीय व्यवहार स्कूल कहते हैं। इस स्कूल के प्रतिपादन का श्रेय आस्ट्रेलिया निवासी एल्टन मेयो (Elton Mayo) तथा अमेरिका निवासी रायथलिस वर्जर द्वारा हावथोर्न नामक स्थान पर वेस्टर्न इलैक्ट्रिक कम्पनी के हावथोर्न कारखाने में किये गये प्रयोगों को है। मानवीय व्यवाहर विचारधारा को ‘मानवीय सम्वन्ध’, ‘नेतृत्व’ अथवा ‘व्यावहारिक विज्ञान’ (Behavioural Science) भी कहा जाता है। मानवीय व्यवहार स्कूल के अन्तर्गत प्रबन्ध के क्षेत्र में पहली बार मानव एवं उसके व्यवहार को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। मानवीय व्यवहार स्कूल पर आधारित दृष्टिकोण मनोवैज्ञानिक, सामाजिक तथा समाजशास्त्र की उपलब्धियों को प्रवन्ध के क्षेत्र में लागू करता है। मेयों तथा रायथलिस वर्जर के शब्दों में, भौतिक चरों की अपेक्षा सामाजिक, चर अधिक महत्वपूर्ण होते हैं।” आगे चलकर इसी आधार पर शैल्डन, मेरी पार्कर फोलेट, चैस्टर बर्नार्ड आदि विद्वानों ने भी अपने विचार प्रकट किये। मानवीय व्यवहार विचारकों का कथन है कि यदि श्रमिक कार्य पर सन्तुष्ट है तो उत्पादन स्वत; ही अधिक होने लगेगा। इसी कारण इन विचारकों का ध्यान मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक विश्लेषण की ओर अधिक रहा है और उत्पादकता की ओर कम। मानवीय व्यवहार विचार में यह बात स्पष्ट होती है कि व्यक्तिगत और सामूहिक व्यवहार श्रमिकों की कार्य प्रेरणा, उत्पादकता, संरचना तथा नियन्त्रण को प्रभावित करती है। इस स्कूल के विकास में मैस्लो, क्रिस अगरिस, हर्जबर्ग, मारबिन डेविड, मैकक्लैण्ड आदि ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

मानवीय व्यवहार स्कूल की मान्यताएँ एवं विशेषताएँ (Assumptions and Characteristics)-

मानवीय व्यवहार स्कूल की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं-

  1. यह स्कूल मानवीय पहलू पर आधारित है।
  2. यह विचारधारा प्रबन्ध को एक ऐसी प्रक्रिया मानती है जिसमें कर्मचारी समूहों से एवं उनके माध्यम से कार्य किया एवं करावाया जाता है।
  3. इस स्कूल की यह मान्यता है कि श्रमिक मशीन का पुर्जा नहीं है अपितु वह मानव है, अतः उसके साथ मानवीय व्यवहार किया जाना चाहिए।
  4. इस स्कूल के अनुसार मानव समूह का प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे को अच्छी तरह से समझता है। इस प्रकार यह स्कूल ‘पारस्परिक समझ’ (Mutual Understanding) पर आधारित है।
  5. इस स्कूल के अनसार प्रबन्ध का दूसरा नाम नेतृत्व है अर्थात् सफल नेतृत्व ही सफल प्रबन्ध है।
  6. यह स्कूल मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक उपलब्धियों को प्रबन्ध के क्षेत्र में लागू करने पर बल देता है।
  7. यह स्कूल अन्तर व्यक्तिगत सम्बन्ध पर पर्याप्त बल देता है।
  8. इस स्कूल में नेतृत्व, समूह, गति-विज्ञान, अभिप्ररेण, संचार, कर्मचारी सहभागिता, प्रशिक्षण, मानवता आदि को पर्याप्त महत्व दिया जाता है।

मानवीय व्यवहार स्कूल के दोष एवं कमियाँ (Demerits)-

मानवीय व्यवहार स्कूल के दोष एवं कमियाँ निम्न हैं-

(1) पीटर एफ. ड्रकर के अनुसार, “यद्यपि मानवीय व्यवहार स्कूल ने प्रबन्ध को गलत विचारों के प्रभुत्व से मुक्त किया है किन्तु इसने पुरानी विचारधाराओं के स्थान पर किसी नवीन विचारधारा के प्रतिपादन में सफलता प्राप्त नहीं की है। मानवीय सम्बन्धों का यह स्कूल व्यक्तिगत सम्बन्धों और अनौपचारिक समूहों पर विशेष बल देता है। इस स्कूल का प्रारम्भिक बिन्दु कर्मचारी एवं कार्य के विश्लेषण के स्थान पर व्यक्तिगत मनोविज्ञान है। परिणामस्वरूप मानवीय संगठन के लिए स्पष्ट प्रबन्ध नीति का अभाव रहता है।”

(2) इस स्कूल में कार्य के निष्पादन की तुलना में कर्मचारी की प्रसन्नता पर अधिक बल दिया जाता है जो कि पूर्णतः सही नहीं है।

(3) यह स्कूल प्रबन्ध के कला पक्ष की ओर अधिक ध्यान देता है तथा विज्ञान पक्ष के प्रति उदासीन है जो कि आधुनिक वैज्ञानिक युग में उपयुक्त नहीं है।

(4) यह स्कूल प्रबन्ध के कार्यों की उपेक्षा करता है।

(5) यह स्कूल प्रबन्ध के सिद्धान्तों तथा उसकी तकनीकों की ओर भी ध्यान नहीं देता है।

निष्कर्ष (Conclusion)- उपरोक्त विवेचन के आधार पर निष्कर्ष रूप कहा जा सकता है कि मानवीय व्यवहार स्कूल वास्तव में एक उपयोगी स्कूल है एवं आधुनिक प्रबन्ध एक आधारभूत स्तम्भ है।

प्रबन्ध के सामाजिक विचारधारा

सामाजिक विचारधारण सामाजिक प्रणाली स्कूल (The Social System School)

अर्थ (Meaning)- प्रबन्ध का सामाजिक प्रणाली स्कूल मानवीय सकूल से काफी मिलता-जुलता ही है। कई बार इसे पृथक् समझने में भ्रम होने लगता है। यह स्कूल प्रबन्ध को एक सामाजिक प्रणाली के रूप में स्वीकार करता है। सामाजिक प्रणाली का आशय सांस्कृतिक अन्तर्सम्वन्धों की व्यवस्था से लिया जाता है प्रस्तुत स्कूल के प्रतिपादक चेस्टर आई. वर्नार्ड हैं।- सामाजिक प्रणाली स्कूल का विस्तार एवं विश्लेषण करने के लिए बर्नार्ड ने सहकारिता के सिद्धान्त का विकास किया जिससे व्यक्गित विकास में बाधक दैनिक, भौतिक तथा सामाजिक सीमाओं को तथा उसे प्रभावित करने वाले वातावरण को समाप्त किया जा सके। औपचारिक संगठन के सम्बन्ध में बर्नार्ड का विचार सहकारिता पर आधारित है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति सामूहिक हित के लिए अपना योगदान देना चाहता है। इस स्कूल के विकास में मैस्लो, क्रिस अर्गरिस, हरबर्ट साइमन, रेनसिस लिकर्ट आदि विद्वानों ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

मान्यताएँ एवं विशेताएँ (Assumptions and Characteristics)-

प्रबन्ध की सामाजिक व्यवस्था स्कूल की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं-

  1. प्रबन्ध एक सामाजिक व्यवस्था है।
  2. प्रबन्ध सहकारी पद्धति को क्रियान्वित करता है।
  3. यह स्कूल विवेकपूर्ण एवं प्रयोगों पर आधारित स्कूल का प्रयोग करता है।
  4. इस स्कूल के अनुसार संगठन का कार्य संस्था के उद्देश्यों को निर्धारित करना एवं उनकी व्याख्या करना है।
  5. यह, स्कूल व्यक्तियों के सांस्कृतिक अन्तर्सम्बन्धों को समझने में सहयोग करता है।
  6. इस स्कूल के अनुसार कुशल संचार व्यवस्था से प्रबन्ध अधिक सफल हो सकता है।
  7. मानवीय अभिप्रेरण, नेतृत्व, सन्देशवाहन, प्रबन्ध में भागिता तथा समूह रचना आदि इस विचारधारा की आधारशिला है।
  8. इस स्कूल का क्षेत्र अपेक्षाकृत काफी व्यापक है।
  9. यह स्कूल प्रणाली दृष्टिकोण पर आधारित है।
  10. इस स्कूल की यह मान्यता है कि सामाजिक प्रणाली में व्यक्तिगत हितों तथा सामूहिक हितों के मध्य समन्वय स्थापित किया जाता है।

निष्कर्ष- निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि सामाजिक प्रणाली ने आधुनिक प्रबन्ध विज्ञान के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह स्कूल विभिन्न सामाजिक समूहों के सांस्कृतिक सम्बन्धों की प्रकृति को स्पष्ट करता है।

प्रबन्ध के निर्णय सिद्धान्त

निर्णय सिद्धान्त स्कूल (The Decision Theory School) –

अर्थ (Meaning)- निर्णय सिद्धान्त स्कूल के अनुसार निर्णयन प्रबन्ध का मुख्य कार्य है। अतः यह स्कूल प्रबन्ध के क्षेत्र में विवेकपूर्ण निर्णय लेने पर बल देता है। निर्णयन करने से आशय विभिन्न उपलब्ध विकल्पों में से किसी एक सर्वोत्तम विकल्प का चयन करने से लगाया जाता है। निर्णय सिद्धान्त स्कूल का जन्म उपभोक्ता की रुचि से हुआ है। उपयोगिता को अधिकतम करना तथा तटस्था वक्र का अध्ययन करना आदि आर्थिक विचार ही निर्णय के लिए आधार माने जाते हैं। इस विकास का श्रेय सी.आई.बर्नार्ड, हरबर्ट ए. साइमन. जे. डब्ल्यू. फोरेस्टर, रिचार्ड एम. कैरट, जैम्स जी. मार्च आदि को है।

मान्यताएँ एवं विशेषताएँ (Assumptions and Characteristics)-

निर्णय सिद्धान्त स्कूल की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं। ‘

  1. इस स्कूल के अनुसार निर्णय लेना प्रबन्ध का प्राथमिक कार्य है।
  2. यह प्रवन्ध क्षेत्र में विवेकपूर्ण निर्णय लेने पर बल देता है।
  3. इस स्कूल की मान्यता है कि निर्णयन एक सतत् प्रक्रिया है।
  4. इस स्कूल के अनुसार सर्वोत्तम निर्णय के लिए प्रबन्ध को अर्थशास्त्र का व्यावहारिक ज्ञान होना आवश्यक है।
  5. इस स्कूल के अनुसार निर्णयन की अच्छी विधियों का प्रयोग तभी सम्भव है जबकि इस प्रक्रिया में गणितीय विधियों का सहारा लिया जाये।
  6. इस स्कूल की मान्यता है कि अच्छे निर्णय संगठन को प्रगति की ओर ले जाते हैं और बुरे निर्णय संगठन को विघटन की ओर ले जाते हैं।
  7. यह स्कूल विवेकपूर्ण दृष्टिकोण, विवेकता एवं तर्कयुक्त व्यवहार पर आधारित है। इस स्कूल ने निर्णय की विवेकपूर्ण प्रणाली- मॉडल प्रणालियों का निर्माण किया है।
  8. संगठनात्मक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए निर्णय की किस्म प्रमुख घटक है।
  9. इस स्कूल में निर्णय के विभिन्न विकल्पों की खोज की जाती है और उनमें से सर्वश्रेष्ठ विकल्प का चयन किया जाता है।
  10. यह स्कूल प्रबन्धकों को समस्या निवारक के रूप में देखता है।
  11. यह स्कूल प्रभावी संचार व्यवस्था को प्रबन्ध का एक अपरिहार्य भाग मानता है।
  12. इस स्कूल में समस्या के आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं व्यावहारिक पहलुओं पर भी विचार किया जाता है।
संगठनात्मक व्यवहार – महत्वपूर्ण लिंक

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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